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पोलैंड और बेलारूस के बीच की सीमा में आप्रवासी संकट पोलैंड और बेलारूस के बीच की सीमा में आप्रवासी संकट  

हमारी सीमाओं पर दिखाए गए सम्मान की कमी हमें कम इंसान बनाती है

संत पापा फ्राँसिस ने आप्रवासियों के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन के फाऊँडेशन (आई ओ एम) की 70वीं वर्षगाँठ पर एक संदेश भेजा तथा चेतावनी दी कि आप्रवासियों के हर आंकड़े के पीछे एक भाई या बहन का चेहरा है जिसकी रक्षा किये जाने की जरूरत है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 30 नवम्बर 2021 (रेई)- संत पापा ने विश्वभर में हजारों आप्रवासियों की स्थिति को खेदजनक कहा है। आप्रवासियों के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन के फाऊँडेशन की 70वीं वर्षगाँठ पर अपने विडीयो संदेश में संत पापा ने कहा है कि विश्वभर में आप्रवासियों के साथ "व्यापार", "चेसबोर्ड पर कठपुतली" और "राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के शिकार" के समान व्यवहार किया जा रहा है।

आई ओ एम

आई ओ एम का मुख्यालय जेनेवा में है जो आप्रवासियों के क्षेत्र में मुख्य अंतर-सरकारी संगठन है। परमधर्मपीठ इस संगठन का सदस्य 10 सालों से रहा है। आई ओ एम के लिए प्रेषित संत पापा फ्राँसिस के संदेश को वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने प्रस्तुत किया। संदेश में संत पापा सवाल करते हैं, "राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाने या बचाव करने के लिए दुःख और निराशा का फायदा कैसे उठाया जा सकता है? जब मानव व्यक्ति की गरिमा दांव पर लगी हो तो राजनीतिक विचार कैसे प्रबल हो सकते हैं?"  

संत पापा ने कहा, "राष्ट्रीय सीमाओं के पार मानवीय सम्मान की मूलभूत कमी, हममें हमारी 'मानवता' को कम कर देती है।"

संत पापा का संदेश रविवार को देवदूत प्रार्थना में उनकी टिप्पणी के ठीक एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने विश्वभर में आप्रवासियों के साथ दुर्व्यवहार की निंदा की थी तथा इंग्लिश चैनल पार करते हुए मरनेवालों, बेलारूस की सीमा पर फंसे लोगों और भूमध्यसागर में खोये लोगों के लिए शोक प्रकट किया था। यह ग्रीक के लेसबोस द्वीप में उनकी यात्रा के भी कुछ ही दिनों पहले आया है।

दृष्टिकोण में बदलाव

अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने आप्रवासी घटना के नजरिये में बदलाव की अपील की है तथा गौर किया है कि यह न केवल एक आप्रवासी की कहानी नहीं है बल्कि असमानताओं, निराशा, पर्यावरण क्षरण, जलवायु परिवर्तन; सपने, साहस, विदेश में अध्ययन, परिवार का पुनर्मिलन, नए अवसर, सुरक्षा और कठिन किन्तु सम्मानजनक कार्य" की भी बात है।  

संत पापा ने कहा, "आप्रवासन पर बहस वास्तव में आप्रवासियों पर नहीं है। बल्कि हम सभी के बारे हैं, हमारे समाज के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे है। हमें आप्रवासियों की संख्या से नहीं घबराना चाहिए किन्तु उनके साथ एक व्यक्ति के रूप में मुलाकात करना, उनके चेहरों को देखना एवं उनकी कहानियों को सुनना चाहिए। उनके खास व्यक्तिगत एवं पारिवारिक स्थिति पर जितना अच्छा हो जवाब देने की कोशिश करना चाहिए। यह जवाब बहुत अधिक मानवीय संवेदनशीलता, न्याय और भाईचारा की मांग करता है।"

आज का आम प्रलोभन है कष्ट दायक सभी चीजों को खारिज करना। संत पापा ने कहा कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। यह फेंकने की संस्कृति का लक्षण है।

आप्रवासियों से लाभ

संत पापा ने आग्रह किया कि हमें केवल यह नहीं देखना है कि आप्रवासियों के स्वागत के लिए राष्ट्र क्या करते हैं बल्कि वे मेजबान समुदाय के लिए क्या लाते और किस तरह उन्हें समृद्ध करते हैं।

एक प्रतिष्ठित तरीका

प्रतिदिन के इन नाटकों में, "अनियमित परिस्थितियों से सम्मानजनक तरीके खोजने की तत्काल आवश्यकता" है।

संत पापा ने कहा कि हताशा और आशा हमेशा प्रतिबंधात्मक नीतियों पर हावी रहती है। जितने अधिक कानूनी मार्ग होंगे, उतनी ही कम संभावना है कि प्रवासियों को लोगों के अवैध व्यापार करनेवालों के आपराधिक नेटवर्क में खींचा जाएगा या उनके आप्रवास के दौरान शोषित और दुर्व्यवहार किया जाएगा।

आप्रवासी दृष्यमान संबंध बनाते हैं जो समस्त मानव परिवार को एक साथ लाता है, संस्कृति को समृद्ध बनाता एवं व्यापार संबंध को बढ़ाता जो एक आप्रवासी समुदाय का निर्माण करता है।  

अंतरराष्ट्रीय समुदाय

इसलिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से "अनियमित आप्रवास को जन्म देनेवाली स्थितियों का तत्काल सामना करने का आह्वान किया जाता है, इस प्रकार आप्रवास को एक सख्त आवश्यकता के बजाय एक सचेत विकल्प बनाया गया है"।

संत पापा ने कहा कि बहुत सारे लोग जो अपने देश में रह सकते हैं वे अनियमित आप्रवास के लिए मजबूर महसूस नहीं करते। बेहतर आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों के निर्माण के लिए तत्काल प्रयासों की आवश्यकता है ताकि शांति, न्याय, सुरक्षा और मानवीय गरिमा हेतु पूर्ण सम्मान चाहनेवालों के लिए आप्रवास ही एकमात्र विकल्प न हो।

अंत में संत पापा ने कहा, "हम न भूलें कि ये आंकड़े नहीं हैं बल्कि सच्चे लोग हैं जिनका जीवन दाँव पर है। इस जागरूकता के साथ काथलिक कलीसिया और इसकी संस्थाएँ लोगों का स्वागत करने, रक्षा करने, बढ़ावा देने एवं सम्मिलित करने के मिशन को जारी रखेंगी।"

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30 November 2021, 16:43