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युद्ध में मृत लोगों की कब्रें शांति का संदेश देती हैं

संत पापा फ्रांसिस ने रोम के फ्रांसिसी सैन्य कब्रस्थान में सभी मृत विश्वासियों की याद में ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

रोम, मंगलवार, 2 नवम्बर 2021 (रेई) – उन्होंने उपदेश में कहा, "जीवन एक यात्रा है हम सभी यात्रा पर हैं। यदि हम सभी जीवन में कुछ करना चाहते हैं, तो हम रास्ते पर हैं।" यह कोई सैर नहीं है बल्कि एक यात्रा है। हम कई ऐतिहासिक घटनाओं, अनेक कठिन परिस्थितियों और कब्रस्थान से होकर गुजरते हैं। इस कब्रस्थान की सलाह है "तुम जो पार हो रहे हो, रूको और अपने अंतिम कदम पर विचार करो।"

संत पापा ने कहा कि हम सभी के लिए अंतिम कदम होगा। यह सच है किन्तु महत्वपूर्ण बात है कि हमारा अंतिम कदम जीवन की यात्रा में रास्ते पर हो न कि आसपास घूमता रहे। हम रास्ते पर चलते रहें ताकि हम अपने अंतिम कदम तक चल सकें।

संत पापा ने कब्रस्थान पर चिंतन करते हुए कहा, "ये भले लोग युद्ध में संघर्ष करते हुए मारे गये। ये मारे गये क्योंकि ये अपनी मातृभूमि की रक्षा, मूल्यों की रक्षा, विचारधाराओं की रक्षा करने के लिए बुलाये गये थे। उदास और शोकित राजनीतिक परिस्थिति की रक्षा करने के लिए बुलाये गये थे। वे युद्ध के शिकार हुए जिसने मातृभूमि के बच्चों को अपना शिकार बनाया।"

अज्ञात सैनिक  

मंगलवार को कब्रस्थान में संत पापा ने उपस्थित लोगों को बतलाया कि वहाँ दफनाये गये लोगों के नाम अंकित नहीं हैं बल्कि सिर्फ लिखा है, "फ्राँस के लिए मारे गये, 1944"।

उन्होंने कहा कि इस कब्रस्थान का कोई नाम न हो, जो युद्ध की त्रासदी है किन्तु "ईश्वर के हृदय में हम सभी के नाम अंकित हैं।"  

"मैं यकीन मानता हूँ कि वे सभी जो सदभावना के साथ, पितृभूमि की रक्षा हेतु बुलावे के कारण चले गये, वे प्रभु के साथ हैं। लेकिन हम जो रास्ते पर हैं, युद्ध न हो, क्या इसके लिए पर्याप्त संघर्ष करते हैं? ताकि देशों की अर्थव्यवस्था हथियार उद्योग से मजबूत न हो?”

अपने उपदेश के अंत में संत पापा ने कहा कि उनके उपदेश का शीर्षक होना चाहिए, "कब्रों की ओर देखना"। मृतकों के ये कब्र, जिनमें से अनेक के नाम नहीं हैं, वे शांति के संदेश हैं। वे एक संदेश हैं जो कहता है, "भाइयो एवं बहनो, रूको। हथियार निर्माताओ, रूको।"  उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

 

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02 November 2021, 16:45