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निष्कलंक माता मरियम के मिशनरी ओब्लेट संघ के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस निष्कलंक माता मरियम के मिशनरी ओब्लेट संघ के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

अपने हृदय को ईश्वर से संयुक्त रखकर दुनिया में जाएँ, पोप

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 20 नवम्बर को निष्कलंक माता मरियम के मिशनरी ओब्लेट संघ के 30 सदस्यों से वाटिकन में मुलाकात की।

उषा मनोरमा तिरकी वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 20 नवम्बर 2021 (रेई)- निष्कलंक माता मरियम के मिशनरी ओब्लेट संघ के सदस्य, संस्था की स्थापना की 70वीं वर्षगाँठ और पोप द्वारा संघ के अनुमोदन की 20वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं। संघ की स्थापना फादर गाईतानो लुत्सो ने की थी। यह एक सेकुलर संस्था है।

बुलाहट

संत पापा ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, "आप ख्रीस्त हमारे मुक्तिदाता की घोषणा करने के लिए संत यूजीन के साहस, ख्रीस्त एवं कलीसिया तथा भाई-बहनों के प्रति उनके उत्साही प्रेम का अनुकरण करते हुए सुसमाचार प्रचार के मिशन का स्वागत करने के लिए बुलाये गये हैं। आप इस कारिज्म को दुनिया में ईश्वर से संयुक्त होकर जीते हुए एक लोकधर्मी के रूप में जीने के लिए बुलाये गये हैं।" सेकुलर संस्था में समर्पित होने का अर्थ "बीच में" शरण लेना नहीं है किन्तु पूर्ण रूप से ख्रीस्त के समान सामान्य लोगों के जीवन को साझा करना है। दैनिक जीवन के काम, घर, पड़ोसी संबंध और अन्य चीजों में सहभागी होना, विश्वास के आलोक, उदारता की ऊष्मा और आशा की क्षितिज से प्रेरित होना है।  

यह शरीरधारण के मनोभाव को उस समय और स्थान में जीना है जहाँ ईश्वर ने हमें रखा है, सच्चाई तो खुले हृदय से स्वीकार करना है, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के प्रेम का खुले हृदय से स्वागत करना है।  

विशेषता 

संत पापा ने कहा कि उनकी विशेषता है लोकधर्मियों के क्रिया–कलापों को पवित्र करना ताकि सभी को ख्रीस्त में एकत्रित किया जा सके। "आप अपने समर्पण में दूसरों के समान, दूसरों के बीच, उनकी ही कठिनाइयों में किन्तु ईश्वर से संयुक्त होकर जीयें जो योजनाओं एवं कार्यों को पवित्र करता है।

ख्रीस्त अपने छिपे जीवन में सभी लोगों के आदर्श हैं। उनके सामान्य कार्यों में भी ईश्वरीय मूल्य है। यही बात सेकुलर संस्थाओं के सदस्यों एवं उनसे जुड़े लोगों के लिए भी लागू होता है। उनके प्रतिदिन के सामान्य कार्य, ख्रीस्त के साथ संयुक्ति एवं उनके जीवन के उद्देश्य हेतु व्यक्तिगत समर्पण के लिए एक खास प्रेरितिक मूल्य की मांग करते हैं। सेकुलर गतिविधियाँ अपने आप में सीधे प्रेरितिक कार्य नहीं हैं लेकिन वे बनाये जा सकते हैं।   

संत पापा ने सेकुलर समर्पित जीवन हेतु बुलाहट को तीन मनोभवों में प्रस्तुत किया।

चौकस रहो

येसु कहते हैं, "तुम्हारी कमर कसी रहे और तुम्हारे दीपक जलते रहें।" (लूक.12,35) इसका अर्थ है अनन्त की प्रतिज्ञा को समझते हुए वर्तमान में पूर्ण रूप से जीना। हमारा सम्पूर्ण जीवन अनन्त जीवन की खोज के प्रेरित है और हमें चौकस रहना है। एक व्यक्ति तभी तैयार हो सकता है जब उसने अपना सब कुछ ईश्वर एवं पड़ोसियों को अर्पित कर दिया हो, न कि तब, जब उसके लिए ताली बजती और उसे सफलता मिलती हैं। यह दुनिया में पूर्णता, सच्चाई और ईश्वर की स्वतंत्र संतान के रूप में एवं दूसरों के साथ भाईचारा में जीना है। इस संबंध को प्रार्थना पोषित करती है। प्रार्थना हमें ईश्वर के करीब लाती, अकेलापन से मुक्त करती और हममें आशा जगाती है।

ओब्लेट होना    

संत पापा ने उनसे कहा कि ओब्लेट होने के नाते: आप "ओब्लेट सहयोगी" हैं, जो कि पूरी तरह से ख्रीस्त को अर्पित किया गया है ताकि आप खुद को उसके साथ आध्यात्मिक रूप से पहचान सकें। इसे "पूरी तरह" हमेशा याद रखना बहुत महत्वपूर्ण है। यह एक विशिष्ट, उदार, अनारक्षित सदस्यता को इंगित करता है। संत पापा ने उन्हें सावधान करते हुए कहा, "हमें अपने समर्पण पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए बल्कि उनपर (ख्रीस्त), उनके वरदानों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वे अर्पित (ओब्लेट) किये गये हैं जिसमें हम सभी अर्पित किये गये हैं। येसु हमारे बीच एक सेवक के रूप में आये, क्रूस पर दो डाकुओं के बीच अपना प्राण अर्पित किया और इसके द्वारा बतलाते हैं कि जीवन क्या है। यह प्रेम है जो प्रेम की मांग करता है, यह कृपा है जो मुफ्त देने का आह्वान करता है। उन्होंने इसे क्रूस पर दिखाया क्योंकि यह रास्ता आराम और सरल नहीं है किन्तु शांति और आनन्द का रास्ता है।  

मरियम के समान ईश्वर पर पूर्ण भरोसा रखना

संत मरियम के मान ईश्वर को सुनना और उनकी इच्छा को स्वीकार करना है ताकि उनका वचन हममें शरीरधारण कर सके। माता मरियम के विश्वास, उनके "हाँ", "मैं प्रस्तुत हूँ" कहने के द्वारा पिता की मुक्ति योजना पूरी हुई। संत पापा ने सदस्यों को माता मरियम के समान मनोभावधारण करने की सलाह दी। उन्होंने उन्हें सब कुछ को मरियम के समान प्रसन्नचित समर्पण से करने का प्रोत्साहन दिया, ताकि वे निष्कलंक माता मरियम के सच्चे ओब्लेट मिशनरी बन सकें। साहस और निडरता से संख्या की चिंता किये बिना आगे बढ़ें। "आप खमीर के समान हैं। छोटे, छिपे किन्तु विश्वास से पूर्ण।" अंत में संत पापा ने उन्हें अपनी आशीष प्रदान की।

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20 November 2021, 15:21