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संत पापाः सच्ची स्वतंत्रता आत्मा के अनुसरण में

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा माला में गलातियों के नाम संत पौलुस के पत्र का समापन करते हुए आत्मा के अनुरूप चलने का आह्वान किया जो हमें स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार 10 अक्टूबर 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्टम के सभागार में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

हम गलातियों के नाम पत्र पर अपनी धर्मशिक्षा के अंतिम भाग में पहुंच गये हैं। संत पौलुस के द्वारा लिखित इस पत्र में बुहत सारी चीजें हैं जिनके बारे में हम चर्चा कर सकते हैं। ईश वचन एक अंतहीन स्रोत है। इस पत्र में हम प्रेरित को एक सुसमाचार प्रचारक, ईशशस्त्री और चरवाहे के रुप में पाते हैं।

संत पौलुस की प्रेरिताई का राज

अंताखिया के धर्माध्यक्ष इग्नासियुस ने अति सुन्दर ढ़ंग से यह लिखते हुए अपने विचारों को अभिव्यक्त किया है, “हमारे लिए केवल एक ही शिक्षक हैं, उन्होंने जो कहा और वह पूरा हुआ, उन्होंने एकांत में जिन चीजों को किया वे पिता के लिए उपयुक्त हैं। वे जो येसु की बातों को अपने में धारण करते वे उनकी शांति को भी सुन सकते हैं।” हम कह सकते हैं कि प्रेरित पौलुस ईश्वर की शांति को अपने शब्दों में व्यक्त करने के योग्य होते हैं। उनके हृदय में उत्पन्न अति नवीनतम विचार हमें येसु ख्रीस्त के रहस्य बातों को जानने में मदद करती है, जो हमें विस्मित करती हैं। वे एक सच्चे ईशशस्त्री हैं जिन्होंने येसु ख्रीस्त के रहस्यों में विचार-मंथन किया और उन्हें अपने बौद्धिक सृजनात्मकता में हमारे लिए प्रस्तुत किया। उन्होंने एक खोये हुए और भ्रमित समुदाय के लिए एक प्रेरित स्वरुप अपनी प्रेरिताई पूरी की। उन्होंने विभिन्न रूपों में और विभिन्न परिस्थितियों में इसे व्यंगोक्ति, दृढ़ता, नम्रता में किया...। उन्होंने प्रेरित स्वरुप अपने अधिकार की रक्षा की वहीं उन्होंने अपने व्यक्तित्व में व्याप्त कमजोरियों को नहीं छुपाया। यह हमें उनके हृदय में पवित्र आत्मा की भरी सच्ची शक्ति को व्यक्त करता है जो उसे पुनर्जीवित विजयी येसु ख्रीस्त से मिलन में प्राप्त हुआ था जिसके द्वारा उनका सम्पूर्ण जीवन परिवर्तित हो गया और उन्होंने अपने पूरे जीवन को सुसमाचार की सेवा में अर्पित कर दिया। 

संहिता की पूर्णतः पवित्र आत्मा में

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि प्रेरित पौलुस ने ख्रीस्तीयता को शांतिपूर्ण रुपों में कभी अनुभव नहीं किया बल्कि इसके विपरीत उसमें बोलने और शक्ति की कमी पायी। येसु ख्रीस्त में मिली स्वतंत्रता की घोषणा उन्होंने बड़े जोश में की जो हमें आज भी आगे ले चलती है, खास रुप में हमें इसका एहसास तब होता है जब हम उनके दुःख और अकेलेपन पर चिंतन करते हैं जिसका सामना उन्हें करना पड़ा। वे अपनी बुलाहट में इस बात को लेकर सुनिश्चित थे कि उन्हें एक कार्य मिला है जिसका निष्पादन सिर्फ वे ही कर सकते हैं, और वे गलातियों को भी इस तथ्य को बतलाने चाहते हैं कि उन्हें भी स्वतंत्रता मिली है जहाँ वे सभी गुलामी से मुक्त किये गये हैं क्योंकि यह उन्हें अतीत में की गई प्रतिज्ञा के मुताबिक येसु ख्रीस्त में उत्तराधिकारी, ईश्वर की संतान बनाता है। इस स्वतंत्रता के आधार पर वे आने वाली सभी जोखिमों से अवगत थे, उन्होंने परिणामों को कभी भी कम नहीं आंका। उन्होंने साहस के साथ विश्वासियों के लिए इस बात की पुष्टि की कि स्वतंत्रता भोगविलासिता नहीं है और न ही यह हमें अभिमानपूर्ण आत्मनिर्भरता के रूपों की ओर जाना है। संत पौलुस  स्वतंत्रता को प्रेम से ओत-प्रोत सेवा के कार्य में अभिव्यक्त होने की बात कहते हैं। यह सम्पूर्ण दृष्टिकोण पवित्र आत्मा की प्रेरणा अनुरूप इस्रलाएली प्रजा को दी गई संहिता के अनुपालन में पूरी होती है जो पाप की गुलामी में गिरने से बचाती है। संत पापा कहा कि हम पीछे लौटने के प्रलोभन में सदैव पड़ जाते हैं। धर्मग्रंथ ख्रीस्तियों को परिभाषित करते हुए कहता है कि हम वे लोग हैं जो पीछे नहीं लौटते हैं, लेकिन हम आत्मा से मिलने वाले नये जीवन का परित्याग कर संहिता का अनुसरण करने की परीक्षा में सदैव पड़ जाते हैं। संत पौलुस हमें इस बात की शिक्षा देते हैं कि सच्ची संहिता की परिपूर्णत पवित्र आत्मा में है जो हमें येसु ने दिया है। ख्रीस्तीय स्वतंत्रता हमारे लिए एक अति सुन्दर उपहार है जो पवित्र आत्मा में पूर्णरूपेण जीया जाता है।  

आत्मा से प्रेरित, दो मनोभाव

इस धर्मशिक्षा के अंत में, संत पापा ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि हमारे अंदर दो मनोभाव जागृत होते हैं। प्रेरित की धर्मशिक्षा एक ओर हममें उत्साह उत्पन्न करती है, हम स्वतंत्रता के मार्ग, पवित्र आत्मा की प्रेरणानुसार अपना जीवन संचालित करने को आकर्षित होते हैं तो वहीं दूसरी ओर हम अपनी कमजोरियों से अवगत होते हैं क्योंकि हम अपने रोज दिन के जीवन में इस बात का अनुभव करते हैं कि दीनता के भाव धारण करना, आत्मा के हितकारी कार्यों के प्रति समर्पित होना हमारे लिए कितना कठिन है। इस भांति थकान हमारे जीवन में प्रवेश करता है जो उत्साह को कम कर देती है। हम अपने भौतिक जीवन-शैली के संबंध में हताश, कमजोर, कभी-कभी परित्यक्त होने का अनुभव करते हैं। संत अगुस्टीन हमारे जीवन की ऐसी परिस्थिति को सुसमाचार के परिदृश्य अनुरूप झील में उठे तूफान की संज्ञा देते हैं जो हमें विचिलत करता है। वे कहते हैं, “आपके हृदय में ख्रीस्त पर विश्वास येसु का नाव में होने की भांति है। आप अपमानों को सुनते और कमजोर हो जाते, आप विचलित हो जाते हैं और येसु सोते रहते हैं। आप येसु को, अपने विश्वास को जगायें। मुसीबतों में भी आप कुछ कर सकते हैं। अपने विश्वास को जगायें। ख्रीस्त आप को जगाते और आप से बातें करते हैं... अतः आप येसु ख्रीस्त को जगायें। जो कहा गया उस पर विश्वास करें और आपके हृदय में गहरी शांति व्याप्त होगी”  (Sermon 63)। संत पापा ने कहा कि हमारे साथ ठीक ऐसा ही होता है। हमें ख्रीस्त को अपने हृदय में जगाने की आवश्यकता है और केवल तब हम चीजों को उनकी आंखों से देख सकेंगे क्योंकि वे तूफानों के परे देखते हैं। उस शांतिमय दृष्टि से हम उस सुन्दरता को देख सकते हैं जो हमारी सोच से परे है।

अच्छे कार्य करते रहें

इस चुनौती पूर्ण और मनोरम यात्रा में प्रेरित हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि हम अपने जीवन में अच्छी चीजों को करने से न थकें। हम विश्वास करें कि पवित्र आत्मा हमारी कमजोरी के समय सदैव हमारी सहायता करने हेतु आते और हमें जरूरी चीजों के भर देते हैं। अतः हम उन्हें निरंतर पुकारें। हम अपने साधारण शब्दों में जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में ऐसा कर सकते हैं। हम इस प्रार्थना को अपने साथ धर्मग्रंथ की छोटी पुस्तिका में रख सकते हैं जिसे कलीसिया पेन्तेकोस्त के दिन कहती है- आइए पवित्र आत्मा आइए, अपने स्वर्गीय निवास से आइए, हमें दिव्य ज्योति से भर दीजिए, आइए दीनहीनों के पिता, आइए, सभी ज्ञान के स्रोत, हमारे हृदयों को आलोकित कीजिए, आप हमारे सांत्वनादाता हैं, आप हमारे हृदय के अतिथि हैं, हमारे मनोरम उपहार... यह एक अति सुन्दर प्रार्थना है। इस प्रार्थना को बारंबार दुहराना हमारे लिए अच्छा होगा। यह हमें पवित्र आत्मा के संग स्वतंत्रता और आनंद में चलने हेतु मदद करता है।  

आमदर्शन समारोह पर संत पापा की धर्मशिक्षा

 

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10 November 2021, 15:20