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कमलूप्स इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल कमलूप्स इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल  

संत पापा चंगाई व मेल-मिलाप की तीर्थयात्रा पर कनाडा की यात्रा करेंगे

वाटिकन प्रेस कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि संत पापा फ्रांसिस ने संकेत दिया है कि वे कनाडा की यात्रा करना चाहते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 28 अकटूबर 2021 (रेई)- वाटिकन प्रेस कार्यालय ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बतलाया है कि कनाडा के काथलिक धर्माध्यक्षों ने देश का दौरा करने का निमंत्रण दिया है।

बयान में कहा गया है कि "कनाडा के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने संत पापा को कनाडा की प्रेरितिक यात्रा, साथ ही साथ आदिवासी लोगों से मेल-मिलाप की लंबे समय से चली आ रही प्रेरितिक प्रक्रिया के संदर्भ में निमंत्रण दिया है। संत पापा ने देश की यात्रा करने का संकेत दिया है। जिसके लिए तिथि निर्धारित किया जाना है।"

कहा गया है कि धर्माध्यक्षों ने संत पापा को चंगाई एवं मेल-मिलाप के तीर्थयात्री के रूप में कनाडा की यात्रा करने का निमंत्रित किया है।  

कनाडा के धर्माध्यक्ष वहाँ के आदिवासी लोगों के लिए विचार-विमर्श कर रहे हैं, खासकर, उनके लिए जो आवासीय स्कूल से प्रभावित हैं। उन्होंने उनकी पीड़ा और चुनौतियों की दुखद कहानियों को साझा किया है।  

संत पापा ने कनाडा के आवासी स्कूल की घटना पर दुःख व्यक्त किया था एवं उनकी चंगाई हेतु प्रार्थना की थी।

पोप फ्रांसिस ने पिछली गर्मियों में कलीसिया द्वारा संचालित कमलूप्स इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल के मैदान में पाई गई सैकड़ों अचिह्नित कब्रों की खोज की "चौंकाने वाली खबर" के लिए अपना दुःख व्यक्त किया था।

6 जून 2021 को देवदूत प्रार्थना के दौरान उन्होंने कहा था कि वे कनाडा की कलीसिया के लिए प्रार्थना कर रहे हैं तथा कनाडा के राजनीतिक एवं धार्मिक नेताओं से अपील की थी कि वे इस मामले पर ध्यान दें तथा मेल-मिलाप एवं चंगाई के रास्ते के लिए प्रतिबद्ध हों।

आवासीय स्कूल

आवासीय स्कूल सरकार द्वारा प्रायोजित स्कूल थे जिनमें से कई ख्रीस्तीय संगठनों द्वारा संचालित थे। जो आदिवासी बच्चों को यूरो-कनाडाई संस्कृति में आत्मसात करने के लिए स्थापित किए गए थे। उन्होंने 1880 के दशक से 20वीं सदी के अंतिम दशकों में काम किया और आदिवासी युवाओं को शिक्षित और परिवर्तित करने तथा उन्हें मुख्यधारा के कनाडाई समाज में शामिल करने का लक्ष्य रखा। इस प्रणाली में उस समय बच्चों को जबरन अपने परिवार से अलग किया जाता था तथा उन्हें आदिवासी विरासत एवं संस्कृति को अपनाने अथवा अपनी भाषा बोलने से रोका जाता था। पूर्व छात्र इस प्रणाली में व्यापक और प्रणालीगत दुराचार के बारे बतलाते हैं।  

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28 October 2021, 16:40