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धार्मिक नेताओं एवं शिक्षा पर वैश्विक समझौता की सभा को सम्बोधित करते संत पापा फ्रांसिस धार्मिक नेताओं एवं शिक्षा पर वैश्विक समझौता की सभा को सम्बोधित करते संत पापा फ्रांसिस 

धर्म समग्र शिक्षा के मिशन की पुष्टि करते हैं, पोप फ्रांसिस

संत पापा फ्रांसिस ने धर्म एवं शिक्षा की सभा में भाग ले रहे प्रतिभागियों से मुलाकात की। उन्होंने विभिन्न परम्पराओं का प्रतिनिधित्व करनेवाले सभी शिक्षकों के प्रति अपना सामीप्य एवं आभार व्यक्त किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 5 अक्तूबर 2021 (रेई)- संत पापा ने यूनेस्को द्वारा स्थापित विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर धर्म और शिक्षा की सभा में भाग ले रहे प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए शिक्षा में धार्मिक परम्पराओं की भूमिका की सराहना की।

उन्होंने कहा, "आज हम यह बताना चाहते हैं कि हमारी धार्मिक परंपराएं, जिन्होंने हमेशा स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई हैं, प्रत्येक व्यक्ति को समग्र रूप से शिक्षित करने: उनके सिर, हाथ, हृदय, आत्मा और एक शब्द में कहें तो सभी में उनकी सुंदरता के अपने मिशन की पुष्टि करती हैं"।

संत पापा ने दो वर्षों पहले 12 सितम्बर 2019 को शिक्षा जगत से जुड़े लोगों से की गई अपील दुहरायी, जिसमें उन्होंने इस बात पर, वार्ता करने का आह्वान किया था कि हम किस तरह के भविष्य का निर्माण कर रहे हैं तथा सभी की प्रतिभाओं को नियोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया था, क्योंकि सभी परिवर्तनों के लिए एक शैक्षिक प्रक्रिया की आवश्यकता होती है जिसका उद्देश्य एक नई सार्वभौमिक एकजुटता एवं एक अधिक स्वागत करनेवाला समाज विकसित करना है।

उन्होंने कहा, "यही कारण है कि मैं शिक्षा पर वैश्विक समझौता को प्रोत्साहन देता हूँ जो युवा लोगों के लिए और उनके साथ हमारे समर्पण को फिर से जागृत करे, एक अधिक खुली और समावेशी शिक्षा के लिए हमारे जुनून को नवीनीकृत करे, जिसमें धैर्यपूर्वक सुनना, रचनात्मक संवाद और बेहतर आपसी समझ शामिल है।" उन्होंने सभी का आह्वान करते हुए कहा कि हम विस्तृत शैक्षणिक संबंध में अपने प्रयासों को जोड़ सकें, परिपक्व व्यक्तियों को तैयार कर सकें जो विभाजन एवं शत्रुता से ऊपर उठने में सक्षम हो तथा एक अधिक भाईचारापूर्ण मानवता के लिए संबंधों की रक्षा कर सकें।

संत पापा ने अधिक भाईचारापूर्ण समाज के निर्माण का उपाय बतलाते हुए कहा कि यदि हम एक भाईचारापूर्ण विश्व का निर्माण करना चाहते हैं तो हमें युवाओं को शिक्षित करना होगा, उन्हें स्वीकार करना, प्रोत्साहन देना और प्यार करना होगा चाहे वे किसी भी स्थान के क्यों न हों। मौलिक सिद्धांत "अपने आपको जानें" ने हमेशा शिक्षा का मार्गदर्शन किया है, फिर भी हमें मूल सिद्धांत ˸ "अपने भाई या बहन को जाने" को अनदेखा नहीं करना चाहिए। "सृष्टि को जानें" ताकि आमघर की देखभाल करने की शिक्षा दी जा सके और "परमात्मा को जाने" ताकि जीवन के महान रहस्य की शिक्षा दी जा सके। संत पापा ने कहा कि हमें समग्र विकास सुनिश्चित करना है ताकि हम अपने आपके बारे, भाई-बहनों, सृष्टि एवं ईश्वर के बारे जान सकेंगे। हम उस सच्चाई के बारे युवाओं को बतलाने से नहीं चूकेंगे जो जीवन को अर्थ प्रदान करता है।  

धर्मों एवं शिक्षा बीच संबंध पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनके बीच गहरा संबंध है। अतीत की तरह, हमारे समय में भी, हमारी धार्मिक परंपराओं की बुद्धि और मानवता के साथ, हम एक नई शैक्षिक गतिविधि के लिए एक प्रोत्साहन बनना चाहते हैं जो हमारी दुनिया में सार्वभौमिक भाईचारे को आगे बढ़ा सके।

अतीत में हमारी पृथकताएँ हमें अलग करती थीं जबकि आज हम उन्हें ईश्वर के पास आने के विभिन्न रास्तों के रूप में समृद्ध पाते हैं। यही कारण है कि शिक्षा हमें मदद देती है कि हम हिंसा और दूसरे धर्मों के प्रति घृणा को न्यायसंगत ठहराने के लिए कभी ईश्वर का नाम न लें, हर प्रकार के चरमपंथ की निंदा करें तथा हर व्यक्ति के चुनाव करने एवं अपने अंतःकरण के अनुसार कार्य करने के अधिकार की रक्षा कर सकें।  

अतीत में, धर्म के नाम पर जाति, संस्कृति, राजनीति और अल्पसंख्यकों में भेदभाव होता था, आज हम हर व्यक्ति की पहचान एवं प्रतिष्ठा की रक्षा करना चाहते हैं तथा हर युवा को सिखाना चाहते हैं कि वे सभी को बिना भेदभाव के स्वीकार करें। यही कारण है कि शिक्षा हमें दूसरे व्यक्ति को बिना न्याय अथवा निंदा किये स्वीकार करने की शिक्षा देता है।

यदि अतीत में महिलाओं, बच्चों और सबसे कमजोर लोगों के अधिकारों का हमेशा सम्मान नहीं किया जाता था, आज हम इन अधिकारों के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं और आवाजहीन लोगों के लिए आवाज बनना सिखा रहे हैं। यही कारण है कि शिक्षा हमें हर व्यक्ति के शारीरिक हिंसा का बहिष्कार करने और नैतिक अखंडता हेतु प्रेरित करती हैं।  

यदि अतीत में हमने हमारे आमघर के प्रति शोषण एवं लूट को सहन किया है, आज हम ईश्वर प्रदत्त सृष्टि के प्रति हमारी जिम्मेदारी के लिए अधिक जागरूक हो गये हैं। हम प्रकृति की रक्षा के लिए इसकी पुकार को आवाज दे सकते हैं तथा अपने आपको एवं भावी पीढ़ी को अधिक शांत और पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ जीवनशैली अपनाने हेतु प्रशिक्षित कर सकते हैं। यही कारण है कि शिक्षा हमें हमारी धरती माता से प्रेम करना सिखाती है ताकि भोजन एवं संसाधनों को नष्ट न किया जाए तथा उन संसाधनों को आपस में उदारता से बांटा जाए जिनको ईश्वर ने हम प्रत्येक के जीवन के लिए दिया है।  

अंत में, संत पापा ने सभा में भाग लेनेवाले सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया तथा उन्हें निमंत्रण दिया कि वे कुछ समय मौन रहें ईश्वर से याचना करें कि वे हमारे मन को आलोकित करें ताकि हमारी वार्ता फल ला सके एवं नए शैक्षिक क्षितिज के पथों को आगे बढ़ाने के लिए साहसपूर्वक हमारी सहायता करें।

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05 October 2021, 16:57