खोज

वाटिकन स्थित प्रेरितिक प्रासाद के झरोखे से सन्त पापा फ्राँसिस वाटिकन स्थित प्रेरितिक प्रासाद के झरोखे से सन्त पापा फ्राँसिस  

कॉप-26, बीबीसी के श्रोताओ को सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश

स्कॉटलैण्ड के ग्लास्गो शहर में जलवायु परिवर्तन पर आयोजित कॉप-26 विश्व शिखर सम्मेलन के उपलक्ष्य में सन्त पापा फ्राँसिस ने बीबीसी के श्रोताओ को एक विडियो सन्देश प्रेषित कर वर्तमानकालीन सामाजिक, मानवतावादी एवं नीति सम्बन्धी संकट के प्रति सचेत कराया है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): स्कॉटलैण्ड के ग्लास्गो शहर में जलवायु परिवर्तन पर आयोजित कॉप-26 विश्व शिखर सम्मेलन के उपलक्ष्य में सन्त पापा फ्राँसिस ने बीबीसी के श्रोताओ को एक विडियो सन्देश प्रेषित कर वर्तमानकालीन सामाजिक, मानवतावादी एवं नीति सम्बन्धी संकट के प्रति सचेत कराया है।  

जलवायु परिवर्तन और कोविद-19 महामारी

सन्त पापा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन तथा कोविद-19 महामारी ने मानव जाति की गहन दुर्बलता को उजागर कर हमारी अर्थव्यवस्थाओं के निकायों तथा हमारे समाजों की व्यवस्था के प्रति कई चिन्ताओं को जन्म दिया है।  उन्होंने कहा कि मनुष्यजाति ने सुरक्षा भाव को खो दिया है तथा इस समय वह शक्तिविहिनता का अनुभव कर रही है। वह स्वतः को कमज़ोर और भयभीत महसूस कर रही है तथा स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरण, खाद्य आपूर्ति और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में "संकट" के भँवर में फंसी हुई है।

उन्होंने कहा कि हर संकट दूरदृष्टि, योजनाओं की तैयारी और उन्हें तेजी से अमल में लाने की क्षमता, विश्व अथवा हमारे सामान्य घर के भविष्य पर पुनर्विचार तथा हमारे साझा उद्देश्यों का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता की मांग करता है। ये संकट हमारे समक्ष ऐसे निर्णय लेने की आवश्यकता को प्रस्तुत करते हैं, जो हमेशा आसान नहीं होते हैं। तथापि, कठिनाइयों के ये क्षण अवसरों को भी प्रस्तुत करते हैं जिन्हें खोया नहीं जाना चाहिये।

प्रभावी एकात्मता की ज़रूरत

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि ऐसे क्षणों में अलगाववाद, संरक्षणवाद और शोषण के बजाय इन अवसरों को  यथार्थ परिवर्तन का अवसर माना जाना चाहिये क्योंकि यही दृष्टिकोण एक उज्जवल क्षितिज की ओर हमारा मार्गदर्शन कर सकता है। तथापि, सन्त पापा ने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति हमारे सामान्य धाम के प्रति साझा ज़िम्मेदारी की एक नई भावना, न्याय पर आधारित एक प्रभावी एकजुटता तथा ईश योजना के अन्तर्गत मानव परिवार की एकता के माध्यम से हो सकती है।

सन्त पापा ने कहा कि यह सब एक विशाल सांस्कृतिक चुनौती का प्रतिनिधित्व करता है। इसका अर्थ है जनकल्याण को प्राथमिकता देना, जो परिप्रेक्ष्य में बदलाव और एक नए दृष्टिकोण की मांग करता है, जिसमें हर इंसान की गरिमा, अभी और भविष्य में, हमारे सोचने और कार्य करने के तौर-तरीकों का मार्गदर्शन करे। उन्होंने कहा कि वर्तमानकालीन संकटों से हम यह महत्वपूर्ण शिक्षा प्राप्त करते हैं कि हमें एकसाथ मिलकर निर्माण में संलग्न होना है, ताकि हमारे पीछे छिपने के लिए कोई सीमा, बाधा या राजनीतिक दीवार न रहे।

संयुक्त अपील का ज़िक्र

विगत 04 अक्टूबर को विश्व के विभिन्न धार्मिक नेताओं के साथ मिलकर की गई अपील का स्मरण दिलाते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि इसमें समस्त धार्मिक एवं राजनैतिक नेताओं का आह्वान किया गया है कि वे और अधिक जिम्मेदार और सुसंगत तरीके से कार्य करने के लिये तैयार होवें तथा हमारे सामान्य घर के लिए "देखभाल की संस्कृति" को पोषित करने की दिशा में जिम्मेदारी से काम करें। उन्होंने कहा कि यह सभी की ज़िम्मेदारी है कि वे "संघर्षों के बीज के उन्मूलन हेतु लालच, उदासीनता, अज्ञानता, भय, अन्याय, असुरक्षा और हिंसा" को खत्म करने के लिए अथक प्रयास करें।

        

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

29 October 2021, 11:13