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रूस में लैटिन-रीति के  युवा काथलिक रूस में लैटिन-रीति के युवा काथलिक 

रूसी काथलिकों को एकता कायम रखने हेतु संत पापा का प्रोत्साहन

संत पापा फ्राँसिस रूस में लैटिन-रीति के काथलिकों के प्रेरितिक प्रशासकों को उनकी स्थापना की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक संदेश भेजा।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 11 अक्टूबर 2021 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने अपनी आशा व्यक्त की है कि रूसी संघ का पूरा काथलिक समुदाय "सुसमाचार का बीज बने और  खुशी एवं विनम्रता के साथ, ईश्वर के राज्य की एक स्पष्ट पारदर्शिता प्रदान करे।"

रूस में लैटिन-रीति के काथलिकों के लिए प्रेरितिक प्रशासन की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए लिखे गए एक संदेश में, संत पापा ने उन्हें, "मसीह में एकजुट करने वाले कलीसियाई समन्वय की पुष्टि में" अपना आध्यात्मिक सामीप्य का आश्वासन दिया।"

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पूरा समुदाय "सभी के साथ अपनी सहभागिता को जारी रखेगा, क्योंकि प्रभु की गवाही देने से "ईश्वर प्रसन्न होते हैं और पूरे समाज की भलाई में योगदान देता है। ख्रीस्तीय गवाह विशेष रूप से सबसे जरूरतमंद और सबसे उपेक्षित लोगों की सेवा श्रेष्ठ है।"

सुसमाचार के अनुसार बढ़ने का अवसर

संत पापा ने कहा कि यह वर्षगांठ "न्यायिक कृत्यों" के स्मरण के बजाय, प्रभु से प्राप्त सभी अच्छे और इतने सारे भाइयों और बहनों को याद करने एक अवसर होना चाहिए, जो "अगले दरवाजे" के सच्चे संतों" के रूप में हैं। जिन्होंने यात्रा को बनाए रखा है। उन्होंने कहा, "यह सुसमाचार के अनुसार बढ़ने का भी एक अवसर है, ऐसे समुदाय बनाने की आकांक्षा जो ईश्वर के वचन के प्रति अधिक विनम्र हैं, आशा से अनुप्राणित हैं और आत्मा की सांत्वना शक्ति द्वारा बनाए गए हैं; जो खुला है, प्रेम की सर्वोच्च आज्ञा के पालन करता है, सभी के साथ एकजुटता से मिलने और साझा करता है, विशेष रूप से ऑर्थोडोक्स कलीसिया के भाइयों और बहनों के साथ।"

कलीसियाई आत्म-जागरूकता का महत्व

संत पापा ने अपने विचार जारी रखते हुए कहा कि वर्षगांठ, एक ऐसा समय है जिसमें "कलीसियाई आत्म-जागरूकता" का पोषण होता है ताकि कलीसिया खुद को नवीनीकृत और शुद्ध करने में सक्षम हो और "ईश्वर की मदद से हर प्रलोभन से खुद को दूर रख सके।"

एकता की राह

अंत में, संत पापा ने ख्रीस्तियों से "एक साथ आगे बढ़ने" के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सभी ख्रीस्तीय प्रभु का  एक शरीर बनाने के लिए पवित्र आत्मा का बपतिस्मा ग्रहण किये हैं, अतः पूर्वी ख्रीस्तीय परंपरा में एक साथ आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि हमेशा ईश्वर की मदद से,  यह "आपसी ज्ञान को गहरा करने और एकता के मार्ग पर कदम से कदम आगे बढ़ने" का अवसर है, ताकि आप अपने आप को समन्वय के लक्ष्य की ओर एक सामान्य तीर्थयात्रा में भाइयों और बहनों" के रूप में फिर से खोज सकें, जिसे ईश्वर हमें हर युखरीस्तीय समारोह में इंगित करते हैं।"

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11 October 2021, 15:40