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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना में पोप ˸ मुक्ति एक वरदान है सौदेबाजी का मुद्रा नहीं

संत पापा फ्रांसिस ने रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व विश्वासियों से कहा कि ख्रीस्तीय जीवन एक वरदान है, जो हमारी क्षमता और हमारी योजना पर नहीं बल्कि ईश्वर की प्रेमी नजर पर आधारित है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 10 अक्तूबर 2021 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 10 अक्टूबर को, संत पापा फ्रांसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।"

आज की धर्मविधि येसु और एक धनी व्यक्ति के बीच मुलाकात को प्रस्तुत करता है जिसके पास बहुत सारा धन था (मार.10,22) और जिसे इतिहास में एक धनी व्यक्ति के रूप में जाना जाता है (मती.19,20-22) हम उसका नाम नहीं जानते हैं। संत मारकुस का सुसमाचार वास्तव में, उसके बारे इस प्रकार बतलाता है जिसमें न तो उम्र और न नाम का जिक्र है एवं सलाह देता है कि उस व्यक्ति में हम प्रत्येक अपने आपको एक दर्पण के रूप में देख सकते हैं। निश्चिय ही, येसु के साथ उसकी मुलाकात विश्वास की परख करने का अवसर देता है। संत पापा ने कहा कि मैं इसको पढ़कर अपने विश्वास की जाँच कर रहा हूँ।  

वह व्यक्ति सवाल से शुरू करता है ˸ "अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए।" (17) हम उसके द्वारा प्रयोग की गई क्रिया पर ध्यान दें ˸ "प्राप्त करने के लिए" – "करना चाहिए" आदि। यहीं उसकी धार्मिकता है ˸ एक कर्तव्य, प्राप्त करने के मतलब से करना, मैं कुछ करता हूँ ताकि मैं अपनी आवश्यकता को प्राप्त कर सकूँ। संत पापा ने इसे ईश्वर के साथ व्यापारिक संबंध कहा। जबकि दूसरी ओर, विश्वास, ठंढ़ा और मशीनी संस्कार, 'मैं करुँगा तभी पाऊँगा' नहीं है।" यह स्वतंत्रता एवं प्रेम का सवाल है। संत पापा ने विश्वासियों को आत्म-जाँच हेतु प्रेरित करते हुए कहा, यहाँ पहला आत्मजाँच है कि मेरे लिए विश्वास क्या है? यदि यह एक कर्तव्य या आदान–प्रदान का मुद्रा है तो हम भटक रहे हैं क्योंकि मुक्ति एक वरदान है न कि कर्तव्य, यह मुफ्त है और खरीदा नहीं जा सकता। सबसे पहले हमें वाणिज्यिक और यांत्रिक विश्वास से मुक्त होना है जो एक पिता के रूप में नहीं बल्कि लेखा रखनेवाले ईश्वर की झूठी छवि को प्रस्तुत करता है। हम जीवन में कई बार व्यापारिक विश्वास के संबंध को जीते हैं ˸ मैं ऐसा करता हूँ और तब ईश्वर मुझे यह प्रदान करते हैं।

दूसरे चरण में, येसु उस व्यक्ति को ईश्वर के सच्चे चेहरे को प्रस्तुत कर मदद करते हैं। वास्तव में, पाठ बतलाता है कि "उन्होंने उसे ध्यान से देखा और उनके हृदय में प्रेम उमड़ आया।" (21) संत पापा ने कहा कि यही ईश्वर का गुँण है। यहीं विश्वास का जन्म होता और पुनःजन्म होता है। एक कर्तव्य से नहीं, कुछ कर देने से नहीं अथवा न ही कीमत चुकाने से बल्कि प्रेम की नजर से, स्वीकार किये जाने से। इस तरह ख्रीस्तीय जीवन सुन्दर बनता है। यह हमारी क्षमताओं और योजनाओं पर नहीं है बल्कि ईश्वर की नजर पर आधारित है। क्या आपका विश्वास, मेरा विश्वास थक चुका है? और क्या आप इसे मजबूत करना चाहते हैं? ईश्वर की नजर की खोज करें ˸ आराधना के लिए समय दें, पापस्वीकार संस्कार में अपने आपको क्षमा करने दें और क्रूस के सामने खड़े हों। संक्षेप में, उन्हें खुद को प्यार करने दें। यही विश्वास की शुरूआत है ˸ वे जो एक पिता हैं उन्हें खुद को प्यार करने दें।

प्रश्न और नजर के बाद – तीसरा और अंतिम चरण है – येसु की ओर से निमंत्रण, जो कहते हैं ˸ "तुममें सिर्फ एक चीज की कमी है।" संत पापा ने कहा, "उस धनी व्यक्ति में किस चीज की कमी थी? उन्होंने कहा, "दान की, मुफ्त में देने की कमी थी ˸ जाओ, तुम्हारे पास जो है उसे बेच कर गरीबों को दे दो।" (21) शायद इसी चीज का अभाव हममें भी है। बहुधा हम बहुत कम देते हैं जबकि येसु हमें जितना संभव हो उतना देने का निमंत्रण देते हैं। कितनी बार हम कर्तव्यों, नियमों और कुछ प्रार्थनाओं को पूरा कर संतुष्ट हो जाते हैं जबकि ईश्वर जिन्होंने हमें जीवन दिया है हमें जीवन को उठाने के लिए कहते हैं! आज के सुसमाचार पाठ में कर्तव्य से दान करने के चरण को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। येसु आज्ञाओं की याद करते हुए कहते हैं ˸ हत्या मत करो, व्यविचार मत करो, चोरी मत करो ... आदि (19) और अंत में सकारात्मक प्रस्ताव की ओर बढ़ते हैं ˸ जाओ, बेचो, दे दो, मेरा अनुसरण करो। (21) विश्वास केवल नहीं तक सीमित नहीं हो सकता क्योंकि ख्रीस्तीय जीवन हाँ है, प्रेम का हाँ।

संत पापा ने कहा, "प्यारे भाइयो एवं बहनो, दान के बिना एक विश्वास और एक विश्वास के बिना दान एक पूर्ण विश्वास नहीं है, यह एक कमजोर विश्वास है, एक बीमार विश्वास। हम इसकी तुलना पौष्टिक किन्तु स्वादहीन भोजन से कर सकते हैं या एक खेल जिसको अच्छी तरह खेला जाता किन्तु एक भी गोल नहीं मारा जाता। यदि नमक नहीं है तो खाना फीका पड़ जाएगा।" बिना उपहार, बिना दान, बिना उदारता के विश्वास हमें अंत में उदास बना देगा, ठीक उसी व्यक्ति की तरह, जिस तरह उसने अपने ऊपर येसु की प्रेमी नजरों को देखा किन्तु उसका चेहरा उतर गया और वह उदास होकर घर लौट गया। (पद 22) संत पापा ने कहा, "आज हम अपने आप से पूछ सकते हैं ˸ मेरा विश्वास कहाँ खड़ा है? क्या मैं इसे एक मशीनरी चीज, कर्तव्य का संबंध या ईश्वर पर रूचि के रूप में महसूस करता हूँ? क्या मैं इसे येसु को अपने ऊपर नजर डालने और प्रेम करने देने के रूप में याद करता हूँ? अपने आपको येसु द्वारा देखे जाने एवं प्रेम करने दें। उनसे प्रभावित होकर, क्या मैं मुफ्त में, उदारता पूर्वक और पूरे हृदय से अपने आपको अर्पित करता हूँ?

धन्य कुंवारी मरियम, जिन्होंने ईश्वर को पूर्ण रूप से हाँ कहा, लेकिन के बिना हाँ – संत पापा ने कहा कि लेकिन के बिना हाँ कहना आसान नहीं होता, किन्तु कुँवारी मरियम ने लेकिन के बिना हाँ कहा- आइये हम जीवन को दान करने की सुन्दरता का आनन्द लें।   

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने नये धन्यों की याद करते हुए कहा, "आज मैं सहर्ष नये धन्यों की उद्घोषणा की घोषणा करता हूँ। कल नेपल्स में, मरिया लोरेंत्सा लोंगो की धन्य घोषणा हुई जो 16वीं शताब्दी में एक पत्नी और परिवार की माता थी। एक विधवा के रूप में, नेपल्स में उन्होंने लाइलाज का एक अस्पताल और गरीब क्लारा की कपुचिन की स्थापना की। वे एक महान विश्वास की महिला थीं और एक प्रार्थनामय जीवन व्यतीत किया। उन्होंने गरीबों एवं पीड़ितों की हर संभव मदद की।

आज कलाब्रिया के त्रोपेया में, पवित्र हृदय के ओब्लेट के संस्थापक डॉन फ्रांचेस्को मोत्तोला की धन्य घोषणा हुई। उनका निधन 1969 को हुआ था। वे एक उत्साही पुरोहित थे जिन्होंने अथक रूप से सुसमाचार का प्रचार किया, उन्होंने पुरोहिताई को उदारता एवं चिंतन में जीते हुए सच्ची मिशाल प्रस्तुत की। तब संत पापा ने ताली बजाकर नये धन्यों को सम्मानित किया।  

तत्पश्चात् संत पापा ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की याद करते हुए उन भाई बहनों के लिए प्रार्थना की जो मानसिक रूप से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा, "मैं उन भाई बहनों की याद करता हूँ जो मानसिक असंतुलन की बीमारी से ग्रसित हैं और कई बार खासकर युवा आत्म हत्या के शिकार होते हैं। आइये हम उनके लिए और उनके परिवार वालों के लिए प्रार्थना करें, ताकि वे अकेले न छोड़ दिए जाएँ अथवा भेदभाव के शिकार बनें बल्कि स्वागत और समर्थन किये जाएँ।

उसके बाद संत पापा ने रोम वासियों एवं विभिन्न देशों से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया।  

अंत में, उन्होंने सभी से प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगल कामनाएँ अर्पित की।   

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश और समाचार

 

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10 अक्तूबर 2021, 16:36