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लुजान की माता मरियम लुजान की माता मरियम 

एक ग्रीष्म रात्रि में चंगाई ˸ जब प्रार्थना ने स्वर्ग खोला

लोस्सेरवातोरे रोमानो ने उस गवाही को प्रस्तुत किया है जो संत पापा फ्राँसिस द्वारा 24 अक्टूबर को देवदूत प्रार्थना के दौरान बतलायी गई कहानी जिसमें एक पिता अपनी बेटी की चंगाई के लिए दृढ़तापूर्वक प्रार्थना करता है, उसे विस्तार से प्रस्तुत करती है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

एक मरणासन्न में पड़ी बालिक जो अपने पिता की प्रार्थना द्वारा बचा ली गई थी ˸ इस कहानी का वर्णन संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 24 अक्टूबर को देवदूत प्रार्थना के दौरान किया था। संत पापा ने सुसमाचार पाठ के बरतिमेउस, एक अंधे व्यक्ति के बारे बतलाया था जिसने मसीह को पहचाना, उनसे पुकार कर दया की याचना की तथा उनसे अपने पूरे "अस्तित्व" पर दया करने की अर्जी की। अंधे ने जोर से पुकारा, अपने विश्वास से पुकारा। मारकुस बतलाते हैं कि येसु अंधे व्यक्ति के क्षेत्र में गये।

"बरतिमेउस ने बहुत अधिक शब्दों का प्रयोग नहीं किया। उसने उतना ही कहा जितना आवश्यक था और अपने आपको ईश्वर के प्रेम के लिए समर्पित कर दिया जो उनके जीवन को पुनः प्रस्फूटित कर सकते थे और जो मानवीय रूप में असंभव था। यही कारण था कि उसने प्रभु से भीक्षा दान की मांग नहीं की बल्कि हर चीज को प्रकट किया – अपने अंधेपन और अपनी पीड़ा को दिखलाया जो उसके नहीं देख पाने से कहीं बढ़कर थे। उनका अंधापन एक विशाल हिमशैल का मात्र ऊपरी हिस्सा था जबकि उसके हृदय में घाव, अपमान, टूटे सपने, गलतियाँ, और आत्मग्लनि थीं। उसने हृदय से प्रार्थना की। और क्या हुआ? जब हम ईश्वर से कृपा की याचना करते हैं क्या हम भी अपनी प्रार्थना में अपनी कहानी, हमारे घावों, अपमान, टूटे सपने, गलतियाँ और आत्मग्लनि को शामिल करते हैं?  

पोप अपनी यात्रा में और आगे जाते हैं, उन्होंने अपनी यादों के गोदाम में झांका तथा 2005- 2006 के बीच ग्रीष्म की एक रात, अपनी मातृभूमि अर्जेंटीना की संरक्षिका लुजान की माता मरियम के महागिरजाघर के फाटक की याद की।

"हम में से कई लोग जब प्रार्थना करते हैं तो विश्वास नहीं करते कि प्रभु चमत्कार कर सकते हैं। मैं एक कहानी की याद करता हूँ – जिसको मैंने देखा है – एक पिता जिसको डॉक्टरों ने बतलाया था कि उसकी नौ साल की बेटी उस रात नहीं बचेगी; वह अस्पताल में थी। उसने एक बस पकड़ा एवं कई किलोमीटर यात्रा कर माता मरियम के ग्रोटो के पास पहुँचा। वह बंद हो चुका था और वह फाटक के पास रूका रहा, पूरी रात प्रार्थना की ˸ "प्रभु उसे बचा लीजिए"। उसने माता मरियम से प्रार्थना की, ईश्वर से रो-रोकर पूरी रात याचना की, हृदय से अर्जी की। तब सुबह वह अस्पताल वापस लौटा। उसने अपनी पत्नी को रोते हुए पाया, तब सोचा कि वह मर चुकी है। लेकिन उसकी पत्नी ने कहा, "तुम नहीं समझते।" डॉक्टरों ने कहा कि यह एक आश्चर्यजनक बात है वह चंगी होती दिख रही है। उस व्यक्ति की पुकार जिसने प्रभु से सब कुछ मांगा उसकी प्रार्थना को प्रभु ने सुन लिया। संत पापा ने कहा, "यह कोई कहानी नहीं है मैंने इसे धर्मप्रांत में देखा है।"

लुजान में उस रात क्या हुआ था?

"यह एक चमत्कार की गवाही है। जब पोप बोएनोस आयरिस के धर्माध्यक्ष थे। उन्होंने कहानी को कर्ता के रूप में बतलाने को कहा। वे चमत्कार से अचंभित हुए क्योंकि मैंने इस कहानी के बारे बहुत बतलाया है।"

एक ग्रीष्म रात, "मैं लुजान में अपने रिश्तेदारों के यहाँ से लौट रहा था। मैं याद करता हूँ कि हमने एक पार्टी की थी और मध्यरात्रि में प्राँगण पार किया था, मैंने एक युवक को देखा जो गुलाब फूल के गुच्छों के साथ रेलिंग को पकड़ा हुआ था। मैं वहाँ पहुँचा और उससे पूछा कि क्या बुरा हुआ है। व्यक्ति ने बतलाया कि उसकी छोटी बेटी अस्पताल में है। वह राजधानी से लुजान आया था और गुलाब फूल के गुलदस्ते को उसके मित्र ने उसे दिया था जो उसके साथ कार में आया था उसने उसे कुँवारी मरियम को अर्पित किया।     

मैंने उससे कहा, आइये हम महागिरजाघर चलें। उस समय रात के करीब 12 बज रहे थे। सिर्फ आप, आपके मित्र अंदर नहीं जा सकते, 'मैं सिर्फ आपकी जिम्मेदारी दे सकता हूँ।' हम घर होते हुए महागिरजाघर के पीछे से अंदर घुसे। मैंने गार्ड से कहा कि यदि कुछ होता है तो इस व्यक्ति के लिए मैं जिम्मेदार हूँ। उस पिता ने फूल गुच्छे को फूलदानी में रखा और पवित्र संदुक के सामने रख दिया, तब मैं बेंच में बैठा और प्रार्थना करने लगा। वह चुपचाप घुटनी टेका और फिर बैठ गया, अपनी छोटी बेटी के लिए रोजरी विन्ती करने लगा। जब मैं प्रार्थना करना समाप्त किया, 20 मिनट बाद व्यक्ति बाहर निकला, मैंने उन्हें आशीष दी और हमने एक-दूसरे को विदा कहा। यह रविवार के दिन में घटित हुई।"     

"दूसरे शनिवार को जब मैं पापस्वीकार सुन रहा था, वह व्यक्ति मेरे पास आया – मैंने उसे नहीं पहचाना था... उन सभी लोगों के साथ जो महागिरजाघर से पार हुए थे और खासकर, गर्मी में अधिक भीड़ होती है – यह वही व्यक्ति था जो अपनी बेटी के साथ आया था जो करीब 8-9 साल की थी। उसने मुझसे कहा, "फादर, क्या आप मुझे पहचानते हैं?" मैं कहा, "आप कौन हैं?"  

"उसने उत्तर दिया, मैं वही व्यक्ति हूँ जो उस दिन आपके साथ प्रार्थना कर रहा था। यह मेरी छोटी बेटी है! माता मरियम ने मेरे लिए एक चमत्कार किया है। जब हम प्रार्थना कर रहे थे, रात के करीब 12 बज रहे थे तब मेरी छोटी बेटी उठ बैठी और खाने के लिए मांगा। मैं बाद में, सुबह यात्रा कर वहाँ पहुँचा, उसे देखने गया। मैंने आईसीयू में पूछा और उन्होंने बतलाया कि मेरी बेटी वहाँ नहीं है। मैंने सोचा कि वह मर चुकी है किन्तु नहीं, वह अपनी माँ के साथ वार्ड में थी।"

आइये हम सुसमाचार में देखें ˸ जब येसु ने शतपति के नौकर को चंगा किया तब उन्होंने उसे दूर से ही चंगा किया था। सुसमाचार अब भी जीवित है, यह मरियम के द्वारा चंगाई दुहराता है। मैं यही बतलाना चाहता था। यह एक सच्ची कहानी है। मैंने कई लोगों में से फ्राँसिस को भी बतलाया था जब मैं बोएनोस आयरिस में था। उन्होंने मुझे इसे लिखने को कहा और जिसको मैं कर रहा हूँ।"

इस कहानी में कोई नाम नहीं है किन्तु यह सच है। पुरोहित जो उसके साथ रहा उसने कभी उस चंगाई पानेवाले परिवार से बात नहीं की। पुरोहित ने कहा कि माता मरियम का चमत्कार सुसमाचार के एक परिच्छेद से दूसरे परिच्छेद में जाने के समान है। "मैंने कभी उन लोगों का नाम नहीं लिया जिन्होंने चंगाई पायी मैंने सिर्फ ईश्वर की स्तुति एवं प्रशंसा की।"      

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28 October 2021, 17:14