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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना ˸ ईश्वर एवं पड़ोसी के प्रति हमारा प्रेम प्रतिध्वनित हो

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने येसु के शब्दों को दुहराते हुए, ईश्वर को अपने सारे हृदय, सारी आत्मा, सारी बुद्धि और सारी शक्ति से प्यार करने एवं अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करने हेतु सच्चा प्रयास करने का आह्वान किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 31 अक्तूबर 2021 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 31 अक्टूबर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज की धर्मविधि में सुसमाचार पाठ एक शास्त्री के बारे बतलाता है जो येसु के पास आता और पूछता है ˸ सबसे पहली आज्ञा कौन सी है? (मार.12,28) येसु धर्मग्रंथ का हवाला देते हुए जवाब देते हैं और पुष्ट करते हैं, "पहली आज्ञा है ईश्वर को प्यार करो; इसी से दूसरी आज्ञा भी जुड़ी है ˸ अपने पड़ोसियों को अपने समान प्यार करो।" (पद.29-31) इस उत्तर को सुनकर शास्त्री न केवल इसे एक अधिकार के रूप में पहचानता है बल्कि इसे अधिकार के रूप में पहचानते हुए वह उसी वाक्य को दुहराता है जिसको येसु ने कहा था, "ठीक है गुरूवर आपने सच कहा है एक ही ईश्वर है, उसके सिवा कोई नहीं है। उसे अपने सारे हृदय, सारी बुद्धि और सारी शक्ति से प्यार करना एवं पड़ोसियों को अपने समान प्यार करना, यह हर प्रकार के होम और बलिदान से बढ़कर है।"(32-33)

ईश वचन पर चिंतन करना आवश्यक

संत पापा ने कहा, "हम अपने आप से पूछ सकते हैं कि क्योंकि उस शास्त्री ने अपनी सहमति व्यक्त करने में येसु के ही शब्दों को दुहराने की आवश्यकता महसूस की? यह दुहराव मारकुस रचित सुसमाचार में अधिक आश्चर्यजनक लगता है जो एक संक्षिप्त शैली है। इस दुहराव का क्या अर्थ है? यह दुहराव हम सभी के लिए जो सुनते हैं एक सीख है क्योंकि प्रभु के वचन को किसी सुमाचार के समान ग्रहण नहीं किया जा सकता। ईश वचन को दुहराया जाना, आत्मसात किया जाना एवं रखा जाना चाहिए। मठवासियों की मठवासी परम्परा एक निर्भीक किन्तु ठोस शब्द का प्रयोग करती है। यह इस प्रकार कहती है ˸ ईश वचन पर "चिंतन" किया जाना चाहिए। हम कह सकते हैं कि यह इतना पौष्टिक है कि इसे जीवन के हर क्षेत्र तक पहुँचना चाहिए ˸ जैसा कि येसु आज कह रहे हैं, पूरे हृदय, पूरी आत्मा, सारी बुद्धि और शक्ति से। (30) ईश्वर के वचन को प्रतिध्वनित होना है हमारे अंदर गूंजना है। जब यह आंतरिक प्रतिध्वनि है तब इसका अर्थ है कि प्रभु हृदय में निवास करते हैं। और वे हमसे कहते हैं जैसा कि उन्होंने भले शास्त्री से कहा, "तुम ईश्वर के राज्य से दूर नहीं हो।" (पद. 34)

ईश वचन को पढ़ना और दुहराया जाना

संत पापा ने कहा, "प्यारे भाइयो एवं बहनो, प्रभु धर्मग्रंथ के कुशल टिप्पणीकार की अधिक खोज नहीं करते बल्कि विनम्र हृदय की खोज करते हैं जो उनके वचनों का स्वागत करता और उनके द्वारा चुनौती दिये जाने देता है। यही कारण है कि हमें सुसमाचार से परिचित होना अति आवश्यक है, उसे सदा अपने हाथों में रखना है। अपने बैग में सुसमाचार की प्रति रखना है, उसे बार-बार पढ़ना है, उसके प्रति उत्साह से भर जाना है। जब हम ऐसा करते हैं तब येसु का, पिता का वचन हमारे हृदय में प्रवेश करता है, हमारा अभिन्न अंग बनता और हम फल लाते हैं। उदाहरण के लिए हम आज का सुसमाचार को लें। इसे पढ़ना और समझना काफी नहीं है कि हमें ईश्वर और पड़ोसी को प्यार करना है। आवश्यक है कि यह आज्ञा जो एक महान आज्ञा है हममें प्रतिध्वनित हो, हम इसे आत्मसात करें एवं यह हमारे अंतःकरण की आवाज बने। तब हृदय की दराज पर कोई मृत पत्र पड़ा नहीं रहेगा, क्योंकि पवित्र आत्मा, वचन को हममें प्रस्फूटित करते हैं। ईश्वर का वचन कार्य करता है यह हमेशा सक्रिय होता है यह सजीव और प्रभावशाली है। (इब्रा.4,12) इस तरह हम सभी एक जीवित, अलग और असल अनुवाद बन सकते हैं। दुहराव नहीं बल्कि प्रेम के शब्द का एक जीवित, अलग और असल अनुवाद जिसको ईश्वर हमें देते हैं। हम इसे संतों के जीवन में देखते हैं ˸ कोई एक-दूसरे के समान नहीं हैं सभी भिन्न हैं किन्तु सभी एक ही ईश वचन से पोषित हैं।

हम येसु के शब्दों को दुहरायें

संत पापा ने कहा, "आज आइये हम इस शास्त्री से सीख लें। येसु के शब्दों को दुहरायें, हम इसे अपने अंदर प्रतिध्वनित होने दें ˸ ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी बुद्धि और सारी शक्ति से प्यार करो"। हम अपने आप से पूछें ˸ क्या यह आज्ञा सचमुच मेरे जीवन को दिशा देती है? क्या मैं इस आज्ञा पर चिंतन करता हूँ? संत पापा ने रात में सोने जाने से पहले अंतःकरण की जाँच करने की सलाह दी कि क्या आज मैंने ईश्वर को प्यार किया एवं जिनसे मुलाकात की उन्हें क्या अच्छी चीजें दे पाया। हमारी हर मुलाकात से भलाई और प्रेम उत्पन्न हो, जो इस वचन से आता है।

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करते हुए कहा कि धन्य कुँवारी मरियम जिनमें शब्द ने शरीर धारण किया, हमारे हृदय में सुसमाचार के जीवित वचन का स्वागत करना सिखा दे। इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।                 

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31 October 2021, 15:38