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लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस लोगों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

रोम के विश्वासियों से पोप ˸ सिनॉडालिटी कलीसिया का स्वभाव व्यक्त करता है

संत पापा फ्रांसिस ने शनिवार, 18 सितम्बर को रोम धर्मप्रांत के विश्वासियों से मुलाकात की तथा उन्हें पवित्र आत्मा को सुनने एवं एक साथ आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 18 सितम्बर 2021 (रेई)- संत पापा ने कहा, "पवित्र आत्मा को सुनना है क्योंकि हम प्रकाशना ग्रंथ में पाते हैं ˸ 'जिनके कान हों वे सुन लें कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।'" (प्रकाश. 2,7)

उन्होंने कहा, "कान देना, सुनना, पहली प्रतिबद्धता है। यह ईश्वर की आवाज को सुनना है उनकी उपस्थिति को पहचानना, उनके पार होने एवं जीवन की सांस को महसूस करना है।" नबी एलियाह ने पहचाना कि ईश्वर हमेशा विस्मय के ईश्वर हैं जो अपने पार होने और अपने आपको महसूस कराने में भी विस्मित करते हैं। वे न तो आंधी में, न भूकम्प में और न आग में उपस्थित थे बल्कि मंद समीर में उपस्थित थे। (1राजा 19,11-13) ईश्वर इसी तरह एकांत में बोलते हैं जिसके लिए हमें अपने कानों को तत्पर रखने की जरूरत है। संत पापा ने कहा कि यह धर्मप्रांत की कलीसिया के लिए सिनॉड (अक्टूबर 2021- अप्रैल 2022) का पहला चरण है। यही कारण है कि मैं आपके धर्माध्यक्ष के रूप में यहाँ हूँ क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि रोम धर्मप्रांत इस यात्रा के लिए प्रतिबद्धता के साथ समर्पित है।  

अक्टूबर 2021- अप्रैल 2022 तक आयोजित आगामी सिनॉड की विषयवस्तु है, "एक सिनॉडल कलीसिया के लिए ˸ एकता, सहभागिता, मिशन।"

पहला चरण

संत पापा ने कहा कि सिनॉड या धर्माध्यक्षीय धर्मसभा, कलीसिया शास्त्र पर सभा नहीं है, न ही फैशन है, न नारा अथवा सभा में नये शब्द का प्रयोग है। इसके विपरीत सिनॉडालिटी कलीसिया के स्वभाव को व्यक्त करता है, इसकी आकृति, इसकी शैली और इसके मिशन को प्रकट करता है। संत पापा ने इसके लिए प्रेरित चरित में वर्णित आरम्भिक कलीसिया का उदाहरण दिया।  

प्रेरित चरित

उन्होंने सिनॉड का अर्थ समझाते हुए कहा कि "सिनॉड" शब्द में वह सब कुछ है जिसे हमें "एक साथ चलने" के लिए समझने की जरूरत है। प्रेरित चरित की किताब में यात्रा की कहानी येरूसालेम से शुरू होकर, समारिया पार होते हुए यहूदिया, सीरिया, एशिया माइनर एवं ग्रीस की ओर आगे बढ़ती और रोम पहुँचती है। यह रास्ता उस कहानी को बयां करता है जिसपर ईश वचन और इसे सुननेवाले एवं उसपर विश्वास करनेवाले लोग एक साथ चलते हैं। इसमें हरेक मुख्य पात्र है और कोई अतिरिक्त नहीं है। अधिकार ईश्वर की वाणी सुनने से आती है और लोग कभी उनसे अलग नहीं होते हैं। जीवन का आधार, परोपकार और विश्वास की सेवा है किन्तु इतिहास भौगोलिक क्षेत्रों को पार करने मात्र से आगे नहीं बढ़ता। यह लगातार आंतरिक बेचैनी प्रकट करता है जो व्यक्ति के विश्वास से उत्पन्न होता है और जो हमें मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित करता है कि क्या अच्छा है और किस चीज को रखा जाना एवं किसे बदलना है। इतिहास सिखलाता है कि स्थिर खड़ा होना कलीसिया के लिए अच्छी स्थिति नहीं है।

संत पापा ने गौर किया कि कुछ समस्याएँ ख्रीस्तीयों की बढ़ती संख्या को व्यवस्थित करने से आती हैं और विशेषकर, गरीबों की आवश्यकताओं को पूरा करने से। इस समस्या का हल पाने के लिए एक उपाय था शिष्यों को एक साथ जमा करना तथा सात लोगों को नियुक्त करना जो लोगों के खाने-पीने की व्यवस्था करने के लिए अपना पूरा समय दे सकें।

धर्मप्रांतीय स्तर

संत पापा ने सिनॉड प्रक्रिया में धर्मप्रांत के चरण को बहुत महत्वपूर्ण कहा क्योंकि इसमें बपतिस्मा प्राप्त लोगों की समग्रता को सुनना शामिल है। उन्होंने जोर दिया कि इस बात को भूलते हुए कि ईश्वर शक्तिशालियों के आसनों को गिराते हैं, धर्मगुरूओं एवं अधीनस्थों तथा शिक्षकों एवं शिष्यों बीच विभाजन रूपी कलीसिया की छवि से ऊपर उठने में बहुत अधिक विलम्ब है। एक साथ चलने से उसकी रेखा के रूप में लंबवतता के बजाय क्षैतिजता का पता चलता है।   

द सेनसुन फिदेई

"द सेनसुस फिदेई" (लातीनी˸ विश्वास का चेतना) सभी को येसु ख्रीस्त के नबी के कार्य की प्रतिष्ठा प्रदान करता है, ताकि हम पहचान सकें कि वर्तमान में सुसमाचार के कौन से रास्ते हैं।

उन्होंने बतलाया कि द सेनसुस फिदेई के अभ्यास को संचार और विचारों की तुलना तक सीमित नहीं किया जा सकता जो हमारे पास किसी विषय, सिद्धांत के एकल पहलू, या अनुशासन के नियम के बारे में हो सकता है।" और "न ही बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों में भेद करने का विचार प्रबल हो सकता"।

सभी के लिए

"महान लोगों के दल का हिस्सा होने का एहसास करना आवश्यक है जो "एक ऐसे भविष्य के लिए खुले हैं जो सभी लोगों के लिए ईश्वर द्वारा तैयार किए गए भोज में भाग लेने हेतु सभी की प्रतीक्षा कर रहा है"। संत पापा ने कहा, "मैं यह बताना चाहूंगा कि 'ईश्वर के लोगों' की अवधारणा पर भी कठोर और विरोधी व्याख्या हो सकते हैं, जो एक विशिष्टता, एक विशेषाधिकार के विचार में फंसे हुए हैं, जैसा कि 'चुनाव' की अवधारणा की व्याख्या के साथ हुआ था। जिसे भविष्यवक्ताओं ने सही किया, यह दर्शाता है कि इसे कैसे सही ढंग से समझा जाना चाहिए"। यह कोई विशेषाधिकार नहीं है बल्कि एक उपहार है जिसको कोई व्यक्ति सभी लोगों के नाम पर ग्रहण करता है, वही उपहार हमने जिम्मेदारी के रूप में ग्रहण किया है।  

सिनॉड की यात्रा में, वास्तव में, सुनने के लिए सेंसस फिदेई को ध्यान में रखना चाहिए। किन्तु उन सभी गाँठों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए जहाँ हम उनकी उम्मीद नहीं करते ˸ "नागरिकता के बिना गाँठ" हो सकते हैं, लेकिन यह कम प्रभावी नहीं है।"  

संत पापा ने कहा, "मैं आपको इस धर्मसभा प्रक्रिया को गंभीरता से लेने के लिए प्रोत्साहित करने और आपको यह बताने के लिए आया हूँ कि पवित्र आत्मा को आपकी आवश्यकता है।" अपने आपको सुनने के द्वारा उसे सुनें और किसी को बाहर या पीछे न छोड़ें।" उन्होंने कहा कि यह न केवल उपस्थित लोगों के लिए बल्कि पूरी कलीसिया के लिए है "जो न केवल संरचनाओं में सुधार, निर्देश देने, आध्यात्मिक साधना, सम्मेलनों की पेशकश या निर्देशों और कार्यक्रमों के माध्यम से मजबूत होता है, बल्कि इस एहसास से कि यह एक ऐसी प्रजा है जो एक साथ चलने की इच्छा रखती है, आपस में और मानवता के साथ। रोम, जिसमें हर प्रकार के लोग रहते हैं और विभिन्न परिस्थितियों में रहते हैं, यह अपनी जटिलता में एक असाधारण समृद्धि है।

संत पापा ने रोम धर्मप्रांत के सभी विश्वासियों को एक साथ चलने एवं एक-दूसरे की चिंता करते हुए आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया।

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18 September 2021, 16:26