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संत पेत्रुस प्राँगण में स्थापित आप्रवासी स्मारक संत पेत्रुस प्राँगण में स्थापित आप्रवासी स्मारक 

आप्रवासी व शरणार्थी दिवस ˸ 'अधिक समावेशी दुनिया' हेतु पोप का आह्वान

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने 107वें विश्व आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस की याद की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने कहा, "आज हम विश्व आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस मना रहे हैं, इस साल इसकी विषयवस्तु है, 'बृहद हम की ओर'। यह आवश्यक है कि हम एक साथ चलें, बिना पूर्वाग्रह के और बिना भय के, अपने आपको उन लोगों के करीब रखें जो सबसे कमजोर हैं। आप्रवासी, शरणार्थी, विस्थापित, मानव तस्करी के शिकार एवं परित्यक्त लोग। हम एक ऐसे विश्व का निर्माण करने के लिए बुलाये गये हैं जो किसी का बहिष्कार नहीं करता।"

संत पापा ने इस दिवस को मनानेवाले लोगों के साथ अपने आपको शामिल किया। उसके बाद उन्होंने इताली धर्माध्यक्षों की पहल पर आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के लिए आयोजित पहल पर लोरेटो में एकत्रित विश्वासियों का अभिवादन किया।

संत पापा ने विभिन्न संजातीय समुदायों का अभिवादन करते हुए कहा, "मैं यहाँ प्रांगण में अपने झंडे के साथ उपस्थित विभिन्न संजातीय समुदायों का अभिवादन करता एवं उन्हें धन्यवाद देता हूँ। मैं इताली कारितास के आप्री परियोजना के प्रतिनिधियों का अभिवादन करता हूँ। साथ ही साथ, मैं रोम धर्मप्रांत के आप्रवासी कार्यालय तथा अस्ताली केंद्र का भी अभिवादन करता हूँ। आपके उदार समर्पण के लिए धन्यवाद।"    

संत पापा ने प्रांगण में स्थापित नाव पर सवार आप्रवासियों के स्मारक की ओर नजर डालने का आह्वान किया तथा कहा कि उन्हीं की तरह आशा आज भी आप्रवासियों की है कि वे पुनः जीना शुरू कर सकें। हम उनकी आशा को बंद नहीं कर सकते।

ज्वालामुखी विस्फोट से प्रभावित लोगों के प्रति सहानुभूति

संत पापा ने ज्वालामुखी विस्फोट से पीड़ित लोगों की याद करते हुए कहा, "मैं कैनरी द्वीप समूह में ला पाल्मा द्वीप पर ज्वालामुखी के विस्फोट से प्रभावित लोगों के प्रति अपनी निकटता और एकात्मता व्यक्त करता हूँ। मैं खासकर, उन लोगों की चिंता करता हूँ जिन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा है।" उन्होंने उनके लिए हिमपात की माता मरियम से प्रार्थना की।

धन्य डॉन जोवन्नी फ़ोर्नासिनी

बोलोग्ना में पुरोहित और शहीद डॉन जोवन्नी फ़ोर्नासिनी की धन्य घोषणा रविवार को सम्पन्न हुई उनकी याद करते हुए संत पापा ने कहा कि वे परोपकार में उत्साही पल्ली पुरोहित थे, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध की दुखद अवधि में अपने विश्वासियों को नहीं छोड़ा, बल्कि खून बहने तक उसका बचाव किया। उनकी वीरतापूर्ण गवाही हमें जीवन की परीक्षाओं का मजबूती से सामना करने में मदद दे। तब उन्होंने ताली बजाकर नये धन्य को श्रद्धांजलि दी।

तत्पश्चात् उन्होंने रोम तथा विभिन्न देशों से एकत्रित तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया।

अंत में, उन्होंने अपने लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।

 

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26 September 2021, 16:33