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यूरोप के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन यूरोप के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन 

यूरोप के धर्माध्यक्षों से संत पापा ˸ उदारता की कमी ही उदासी का कारण

संत पापा फ्रांसिस ने यूरोप के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के गठन की 50वीं वर्षगाँठ पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर में धर्माध्यक्षों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित किया, जहाँ अपने प्रवचन में उन्होंने धर्माध्यक्षों को तीन विन्दुओं पर चिंतन करने के लिए प्रेरित किया ˸ चिंतन, पुनः निर्माण और देखना।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सटी, बृहस्पतिवार, 23 सितम्बर 2021 (रेई)- संत पापा ने कहा, "आज ईश वचन हमारे लिए तीन शब्द प्रस्तुत करता है जो हमें ख्रीस्तीयों एवं यूरोप के धर्माध्यों के रूप में चुनौती देता है ˸ चिंतन, पुनःनिर्माण और देखना।

चिंतन 

नबी हग्गय के द्वारा प्रभु हमसे कहते हैं "तुम अपनी स्थिति पर विचार करो।" (हग्गय 1,5-7) प्रभु हमारी किस स्थिति पर विचार करने के लिए कहते हैं? हम प्रभु की आवाज सुनें जो कहता है "जब यह मंदिर टूटा-फूटा पड़ा है तो क्या यह समय तुम लोगों के लिए अच्छी तरह आच्छादित घरों में रहने का है?” ( 4)

संत पापा ने कहा कि निर्वासन से लौटने के बाद लोग अपने घरों के पुनःनिर्माण में लगे थे और अब अपने घरो में आराम से रह रहे थे जबकि ईश्वर का मंदिर टूटा फूटा था और जिसकी चिंता कोई नहीं कर रहा था। संत पापा ने कहा कि "अपनी स्थिति पर विचार करो" चुनौती दे रहा है क्योंकि आज हम यूरोप में ख्रीस्तीय, परम्परा द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा में अपनी संरचनाओं, घरों और कलीसियाओं के अंदर आराम से रह रहे हैं जबकि हमारे आस-पास गिरजाघर खाली हो रहे हैं एवं येसु को अधिक लोग भूल रहे हैं।

कितने लोग हैं जिन्हें ईश्वर के लिए अब किसी तरह की भूख- प्यास नहीं है इसलिए नहीं कि वे बुरे हैं बल्कि इसलिए, क्योंकि उनमें विश्वास की भूख जगानेवाला कोई नहीं है। बहुत सारे लोग हैं जो सिर्फ भौतिक आवश्यकताओं की तृप्ति से प्रेरित हैं और ईश्वर की आश्यकता महसूस नहीं करते। ईश वचन हमें चुनौती देता है कि हम अपने आपको देखें। क्या हम उन लोगों के प्रति चिंता एवं सहानुभूति महसूस करते हैं जिन्होंने येसु के साथ मुलाकात के आनन्द को महसूस नहीं किया है अथवा जिसने आनन्द खो दिया है? क्या हम आराम से रहते हैं क्योंकि हमारा जीवन सामान्य रूप से चलता है अथवा क्या हम अपने भाई बहनों को येसु के आनन्द से दूर देखकर परेशान होते हैं?  

नबी हग्गय के द्वारा प्रभु अपने लोगों से पूछते हैं कि वे चिंतन करें, "तुम खाते हो किन्तु तुम्हें तृप्ति नहीं मिलती, तुम पीते हो किन्तु तुम्हारी प्यास नहीं बुझती, तुम कपड़े पहनते हो किन्तु तम्हारा शरीर गरम नहीं रहता। (6) लोगों के पास सब कुछ था किन्तु वे खुश नहीं थे। उनके लिए किस चीज की कमी थी? येसु इसका उत्तर देते हैं, मैं भूखा था और तुमने मुझे नहीं खिलाया, मैं प्यासा था और तुमने मुझे नहीं पिलाया, मैं नंगा था और तुमने मुझे नहीं पहनाया।" (मती. 25:42-43) संत पापा ने कहा कि उदारता की कमी उदासी का कारण है क्योंकि प्रेम ही मानव हृदय को संतुष्ट कर सकता है। सिर्फ अपने लिए चिंता के कारण येरूसालेम के लोगों ने मुक्ति के वरदान को खो दिया। यह हमारी भी समस्या हो सकती है ˸ कलीसिया में विभिन्न पदों, विचार-विमर्श, विषयवस्तु, कार्य-प्रणाली की चिंता में हम सुसमाचार के सच्चे कार्य, उदारता एवं वरदान को भूल सकते हैं। समस्याओं का समाधान और आत्म-अवशोषण हमेशा नि:शुल्क उपहार है।

पुनःनिर्माण

नबी के द्वारा ईश्वर अपने मंदिर के पुनःनिर्माण की मांग करते हैं (हग्गय 1,8) और लोग मंदिर का निर्माण करते हैं। वे शांति पूर्ण उपस्थिति से संतुष्ट न होकर भविष्य के लिए पुनः काम करना शुरू करते हैं। संत पापा ने कहा कि यूरोप के आम घर के निर्माण के लिए यही करना है। उन्होंने एक क्षणभंगुर आम सहमति की तलाश नहीं की, लेकिन सभी के लिए भविष्य का सपना देखा। इस प्रकार यूरोपीय घर की दीवारें खड़ी की गईं, और केवल इस तरह से उन्हें समेकित किया जा सकता है। कलीसिया, ईश्वर के घर के लिए भी यही सच है। उसे सुंदर और स्वागत योग्य बनाने के लिए, हमें एक साथ, भविष्य की ओर देखने की जरूरत है, न कि अतीत को बहाल करने की। हमें उसकी नींव से हर समय और स्थान की कलीसिय का पुनर्निर्माण करने की जरूरत है, ईश्वर की उपासना और पड़ोसी के प्यार से, न कि अपने स्वार्थ के लिए। इस्राएल के लोगों ने अपने हाथों से मंदिर का पुनर्निर्माण किया। उसी इस महाद्वीप पर विश्वास के महान पुनर्निर्माणकर्ताओं ने भी किया। उन्होंने ईसवर पर भरोसा करते हुए अपना छोटा काम किया। संत पापा ने संत फ्राँसिस, संत मार्टिन, संत दोमनिक, पाद्रे पियो एवं कई अन्य संतों की याद की जिन्होंने ईश्वर की कृपा को स्वीकार करते हुए अपने आपमें परिवर्तन की शुरूआत की। वे बाधाओं से विचलित नहीं हुए न ही शिकायत करने और दोष देने में समय गवाँया। उन्होंने सुसमाचार को जीया। इस तरह उन्होंने ईश्वर के प्रेम की शक्ति से सामीप्य, सहानुभूति एवं कोमलता प्रकट की। संत पापा ने कहा कि पुनर्निर्माण का अर्थ है एकता के शिल्पकार, हर स्तर पर एकता के बुनकर बनना: छल से नहीं बल्कि सुसमाचार द्वारा।  

देखना

संत पापा ने गौर किया कि बहुत सारे लोग यूरोप को विश्वास के अवशेष के रूप में देखते हैं क्योंकि उन्होंने येसु को अपने जीवन में क्रियाशील नहीं देखा है। क्योंकि हमने अपने जीवन से उनका पर्याप्त साक्ष्य नहीं दिया है। ईश्वर अपने आपको मनुष्यों के कार्यों एवं चेहरों से प्रकट करते हैं जो उनकी उपस्थिति से बदल गये हैं। यदि ख्रीस्तीय, सुसमाचार के आनंद को प्रसारित करने के बजाय, एक पुरानी बौद्धिक और नैतिक धार्मिक भाषा में बोलते रहें, तो लोग अच्छे चरवाहे को नहीं देख पाएंगे। वे उसे नहीं पहचानेंगे जो अपनी भेड़ों में से प्रत्येक से प्यार करता है, उन्हें नाम से बुलाता है, और उन्हें अपने कंधों पर रखता है। वे उसे नहीं देखेंगे जिसके अविश्वसनीय जुनून का हम प्रचार करते हैं: क्योंकि यह मानव जाति के लिए जुनून है।

संत पापा ने कहा कि येसु हमें प्रार्थना और गरीबी, रचनात्मकता और वरदान के लिए बुलाते हैं। आइए, हम आज के यूरोप की मदद करें, जो थके हुए हैं, येसु और उसकी दुल्हन के हमेशा के युवा चेहरे को फिर से खोजने के लिए। हम लोगों को इस अमर सुंदरता को दिखाने के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित करने में कैसे असफल हो सकते हैं?

                   

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23 September 2021, 17:32