दादा-दादी और बुजुर्गों के लिए विश्व दिवस की प्रार्थना
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
"प्रभु, मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ, आपकी उपस्थिति के दिलासे के लिए।" इसी वाक्य के साथ नाना-नानी एवं बुजूर्गों के लिए विश्व दिवस हेतु प्रार्थना की शुरूआत हुई है। जिसको लोकधर्मी, परिवार एवं जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद ने शुक्रवार को एक वीडियो द्वारा जारी किया। प्रार्थना की शुरूआत संत पापा फ्राँसिस ने स्पानी भाषा में की है उसके बाद 21 अन्य बुजूर्गों ने फेंच, अंग्रेजी, पुर्तगाली और इताली भाषा में की है। प्रार्थना करनेवालों में कनाडा के 101 वर्षीय सेवानिवृत धर्माध्यक्ष लौरेंत नोएल ओप भी हैं।
कृतज्ञता
संत पापा ने प्रार्थना की शुरूआत प्रभु को उनकी उपस्थिति के दिलासे के लिए धन्यवाद देते हुए किया है। जिसने अकेलेपन के समय में आशा और साहस प्रदान किया है। 84 वर्षीय पोप फ्रांसिस ने याद किया है कि प्रभु ने उनके युवावस्था के समय से ही उनकी चट्टान और गढ़ रहे हैं।
अन्य बुजूर्गों ने परिवार के वरदान और लम्बी आयु, जीवन के आनन्द और कठिनाई तथा जीवन के स्वप्नों को साकार करने एवं साकार होने वाले हैं उनके लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की है।
शांति का मार्ग
बुजूर्गों ने ईश्वर को नवीकृत फलप्रदता के लिए धन्यवाद दिया है जिसके लिए वे बुलाये गये हैं। उन्होंने प्रभु से प्रार्थना की है कि वे शांति के मार्ग बन सकें, उनसे अधिक पीड़ित लोगों का आलिंगन करना सीख सकें, स्वप्न देखना कभी न छोड़ें एवं आनेवाली पीढ़ी के लिए ईश्वर के महान कार्यों का बखान कर सकें।
पोप और कलीसिया पर प्रभु के आशीष की याचना करने के बाद, विश्व के नवीनीकरण के लिए पवित्र आत्मा से प्रार्थना की गई है ताकि महामारी का अंत हो सके और गरीब को सांत्वना मिले एवं युदधों का अंत हो।
प्रार्थना का समापन नाना-नानी एवं बुजूर्गों के लिए प्रथम विश्व दिवस की विषयवस्तु से हुई है, "मैं सदा तुम्हारे साथ हूँ।" (मती. 28:30)
उत्सव
लोकधर्मी, परिवार एवं जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद ने नाना-नानी एवं बुजूर्गों के लिए विश्व दिवस के उत्सव का आयोजन किया है।
रोम में इसे संत पेत्रुस महागिरजाघर में पूर्वाहन 10.00 बजे ख्रीस्तीयाग के साथ मनाया जाएगा। परिषद ने कहा है कि समारोह में रोम धर्मप्रांत के करीब 2000 बुजूर्ग एवं उनकी प्रेरितिक देखभाल करनेवाली संस्थाओं के सदस्य भाग लेंगे। बहुत सारे दादा-दादी अपने पोपे पोतियों के साथ होंगे। कई बुजूर्ग कोविड-19 के कारण एकाकी में साल भर से अधिक रहने के बाद पहली बार घर से बाहर आयेंगे।
ख्रीस्तयाग के अंत में, उपस्थित युवा अपने दादा-दादी एवं बुजूर्गों को फूल और संत पापा का संदेश, "मैं सदा तुम्हारे साथ हूँ" अर्पित करेंगे।
परिषद को जानकारी मिली है कि विश्वभर के विभिन्न धर्मप्रांतों एवं पल्लियों ने इस दिन को मनाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया है। उन्होंने प्रत्येकजन, खासकर, युवाओं को निमंत्रण दिया है कि वे अपने दादा-दादी एवं अपने समुदायों में अकेले रहनेवाले बुजूर्गों से मुलाकात करें।
दण्डमोचन हेतु संत पापा फ्रांसिस का संदेश
संत पापा फ्राँसिस ने 25 जुलाई को विश्वासियों को दण्डमोचन प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया है। इसके लिए उन्हें वर्चुवल रूप में सम्पर्क करने अथवा सीधे रूप से मुलाकात करने की सलाह दी है। (बीमार, परित्यक्त, विकलांग एवं अन्य तरह से असहाय बुजूर्ग से मुलाकात)
संत पापा ने दादा-दादी एवं बुजूर्गों के लिए एक संदेश भी प्रकाशित किया है जिसमें उन्होंने जोर दिया है कि बुजूर्गों की बुलाहट है मूल की रक्षा करना, विश्वास को युवाओं के लिए हस्तांतरित करना और छोटे लोगों की देखभाल करना।
पोप फ्रांसिस द्वारा 31 जनवरी को घोषित यह दिवस हर साल जुलाई के चौथे रविवार को, येसु के नाना-नानी संत अन्ना और संत ज्वोकिम के पर्व के नजदीक मनाया जाएगा। नाना-नानी एवं बुजूर्गों के लिए विश्व दिवस की विषयवस्तु है, "मैं सदा तुम्हारे साथ हूँ।" (मती. 28:20)
नाना-नानी और बुजूर्गों के लिए विश्व दिवस की प्रार्थना इस प्रकार है ˸
प्रभु, मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ,
आपकी उपस्थिति के दिलासे के लिए ˸
अकेलापन के समय में भी,
आप मेरी आशा और भरोसा हैं,
आप मेरी चट्टान और युवावस्था से ही मेरे गढ़ हैं।
मैं धन्यवाद देता हूँ मुझे एक परिवार देने के लिए
और लम्बी आयु के साथ आशीष प्रदान करने के लिए।
आनन्द और कठिनाई के क्षणों के लिए धन्यवाद,
उन स्वप्नों के लिए धन्यवाद जो मेरे जीवन में साकार हो चुके हैं
उन लोगों के लिए जो मेरे आगे हैं।
मैं नवीकृत फलप्रदता के लिए धन्यवाद देती हूँ
जिसके लिए आपने मुझे बुलाया है।
हे प्रभु, मेरे विश्वास को बढ़ाइये,
मुझे अपनी शांति का मार्ग बना,
उन लोगों का आलिंगन करना सिखा जो मुझसे अधिक पीड़ित हैं
कि वे उम्मीद करना कभी न छोड़ें
और आपके महान कार्यों का बखान नई पीढ़ी के लिए करते रहें।
पोप फ्रांसिस एवं कलीसिया की रक्षा कर एवं मार्गदर्शन कर,
कि सुसमाचार का प्रकाश दुनिया के अंतिम छोर तक पहुँच सके।
हे प्रभु, अपनी आत्मा भेज कि वह दुनिया को नवीन कर दे।
जिससे कि महामारी की आँधी शांत हो जाए,
गरीब को दिलासा मिले एवं युद्धों का अंत हो।
दुर्बलता में मुझे बल प्रदान कर
और मुझे पूर्ण जीवन जीने में सहायता दे
जिसके हर क्षण को तू मुझे देता है।
उस निश्चितता से कि तू हर दिन मेरे साथ है
दुनिया के अंत तक।
आमेन।
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