माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
बगदाद, सोमवार 8 मार्च 2021 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस द्वारा उर की यात्रा पूरे मध्य पूर्व और दुनिया के लिए एक प्रतीकात्मक मूल्य था। इराक की इस ऐतिहासिक यात्रा के अंतिम दिन, मोसुल और क़ाराकोश का पड़ाव, एक महत्वपूर्ण गवाही है।
देश के बड़े ख्रीस्तीय क्षेत्र में, हज़ारों परिवारों को कट्टरता के प्रकोप के सामने अपना घर और अपना सब कुछ त्यागना पड़ा। संत पापा फ्राँसिस का स्वागत करने वाले निष्कलंक माँ मरिया के बड़े गिरजाघर को आईएसआईएस ने एक ट्रेनिंग बेस में तब्दील कर दिया था।
वहाँ संत जोसेफ की आधी नष्ट हो चुकी मूर्ति ने पेत्रुस के उत्तराधिकारी का स्वागत किया, जो इन समुदायों के विश्वास को पुष्टि करने के लिए आए, लेकिन उन्होंने उनकी लहू गवाही से खुद के विश्वास को मजबूत किया।
संत पापा फ्राँसिस ने कहा, आतंकवाद और युद्ध की तबाही के बीच भी, हम विश्वास के साथ, मृत्यु पर जीवन की विजय को देखते हैं, संत पापा ने "न केवल इमारतों को पुनर्स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया, बल्कि उन सभी संबंधों को मजबीत करना जो समुदायों और परिवारों, युवा और बूढ़ों को एकजुट करते हैं।"
पोप ने याद दिलाया कि युद्ध, आतंकवाद और घृणा ने न केवल मलबे परंतु हमारे दिल में गहरे घाव छोड़ दिए हैं, प्यार में बने रहने और ख्रीस्तीय बने रहने के लिए क्षमा आवश्यक है।
ख्रीस्तियों का आलिंगन, जिन्होंने अन्य साथी नागरिकों के साथ मिलकर उत्पीड़न का सामना किया है, साथ में एरबिल शहर में जहाँ कई ख्रीस्तियों ने आइसिस के आतंक से भागकर शरण ली थी, इस स्टेडियम के हर्षित आलिंगन संत पापा की यात्रा की मुहर हैं। बहुतों ने संत पापा को यह यात्रा न करने की सलाह दी थी।
लेकिन रोम के धर्माध्यक्ष, शहीदों के खून से पैदा हुई एक कलीसिया को, अपने बच्चों को निराश नहीं कर सकते। उन्होंने हर जोखिम का सामना करते हुए उन्हें अपने आलिंगन में लिया। यह उनके परमाध्यक्षीय काल की सबसे महत्वपूर्ण यात्रा है।