उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 2 फरवरी 2021 (रेई)- मंगलवार को प्रेषित संदेश में संत पापा ने उनके प्रति कलीसिया के सामीप्य एवं एक साथ कार्य करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वैश्विकरण का अर्थ एकरूपता नहीं है जो विविधता से इंकार करता एवं एक नये तरह के उपनिवेशवाद को थोपता है।
"हम जानते हैं कि जब विवधताओं को आपसी समझदारी के साथ व्यक्त और समृद्ध किया जाता है तब लोगों के बीच एकता बढ़ती और संबंध सजीव होते हैं। वास्तव में, यह एक ऐसे विकास को बढ़ावा देने का सवाल है जो साधन के रूप में उपभोग नहीं करता, बल्कि पर्यावरण के रूप में उसपर नजर डालता, सुनता, सीखता और आनंदित होता है। यही समग्र परिस्थितिकी है जिससे ग्रह की रक्षा के साथ सामाजिक न्याय जुड़ा है। इसी विनम्र भावना के साथ हम भूखमरी से पूरी जीत तथा स्थायी मूल्य पर आधारित समाज को देख पायेंगे जो अस्थायी एवं आंशिक फैशन का नहीं बल्कि न्याय एवं भलाई का परिणाम है।
संत पापा ने संदेश में सभा के प्रतिभागियों के लिए कामना की कि इन दिनों उनके कार्य, विश्व के प्रति प्रेम का प्रचुर फल लाये, जिसका निर्माण हम सभी करना चाहते हैं एवं जिसके खजाने को हम आनेवाली पीढ़ी को हस्तांतरित करना चाहते हैं, न कि कचरे का ढेर।
संत पापा ने कहा कि हम सभी लोगों के हित पर ध्यान दें ताकि परोपकार और उदारता की भावना से आहत हुए बिना, आध्यात्मिक शून्यता से कुचले बिना, अहम की भावना या व्यक्तिवाद से पंगु हुए बिना, हम इस दुनिया से परे जा सकेंगे।
संत पापा ने इन्हीं शब्दों के साथ आदिवासी समुदाय एवं उन लोगों की मदद करने वालों पर ईश्वर की आशीष की याचना की, जो ग्रह के सुदूर क्षेत्रों में निवास करते हैं किन्तु प्रभु के हाथों से रची सृष्टि के साथ जीते एवं उसका सम्मान करते हैं।