जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफरय वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 29 जनवरी 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को वाटिकन स्थित "रोता रोमाना" अर्थात् परमधर्मपीठीय प्रेरितिक अदालत के, न्यायिक वर्ष के उद्घाटन के अवसर पर, अदालत के वक्ताओं, धर्माधिकारियों एवं सहयोगियों को सम्बोधित कर परिवार एवं विवाह के मूल्यों पर प्रकाश डाला।
विश्वास के अभाव का फल
उन्होंने कहा कि काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा इस तथ्य पर बल देती है कि स्त्री एवं पुरुष का वैवाहिक मिलन परस्पर प्रेम एवं बलिदान से पोषित होता है, तथा विश्वास की कमी से विवाह शून्यन की स्थिति उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि विश्वास के कमज़ोर पड़ जाने से दम्पत्तियों में एक दूसरे के कर्तव्य भाव कम हो जाता है किन्तु इसका दुष्परिणाम उनकी सन्तानों को भुगतना पड़ता है। सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि सन्तान ईश प्रदत्त वरदान है जिसकी रक्षा और देखभाल माता-पिता दोनों का दायित्व है।
परमधर्मपीठीय प्रेरितिक अदालत के अभिवक्ताओं को सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि विवाह शून्यन प्रक्रिया के दौरान यह ध्यान रखना उनका दायित्व है कि विवाह में दम्पत्ति के साथ-साथ बच्चे भी शामिल हैं, इसलिये विवाह शून्यन के बाद बच्चों का क्या होगा?, इस प्रश्न पर अधिकाधिक ध्यान केन्द्रित किया जाये।
परिवार समाज का आधार
सन् 2017 में यूरोप में काथलिक परिवारों के संगठन को दिये सन्देश के शब्दों को उद्धृत कर सन्त पापा ने कहा कि यह याद रखना अनिवार्य है कि "परिवार समाज का आधार है और लोगों के स्थायी विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक और अभिन्न अंग तथा साथ ही सबसे पर्याप्त संरचना है।" परिणामस्वरूप, उन्होंने कहा, हम सब का आह्वान किया जाता है कि हम स्थापित सिद्धान्तों के अनुरूप उचित विकल्पों की खोज करें।
अदालत के कार्यकर्त्ताओं के कार्यों की प्रशंसा कर, उनपर पवित्रआत्मा की प्रेरणा का आह्वान करते हुए, सन्त पापा ने यह विश्वास व्यक्त किया कि "रोता रोमाना" जो कलीसिया में न्यायिक विवेक और प्रज्ञा की अभिव्यक्ति करनेवाली संस्था है, निरन्तर विवाह और परिवार सम्बन्धी ईश्वरीय योजना की सेवा में अपने कठिन दायित्वों का पालन जारी रखेगी।