उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, सोमवार, 11 जनवरी 21 (रेई)- वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास की लाईब्रेरी से संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 10 जनवरी को प्रभु के बपतिस्मा महापर्व के अवसर पर देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।
आज हम प्रभु के बपतिस्मा का पर्व मना रहे हैं। कुछ ही दिनों पहले हमने बालक येसु को ज्योतिषों द्वारा दर्शन करते हुए छोड़ा था, आज उन्हें एक युवक के रूप में यर्दन के किनारे पुनः पा रहे हैं। धर्मविधि ने हमें करीब 30 सालों का छलांग लगवाया है। 30 सालों के बारे हम एक चीज जानते हैं कि वे जीवन के छिपे हुए साल हैं जिसको येसु ने परिवार में बिताया। कुछ समय, पहले मिस्र में, हेरोद के अत्याचार के कारण भागकर आप्रवासी के रूप में और बाकी समय, नाजरेथ में, जोसेफ का काम सीखते हुए, परिवार में माता-पिता का आज्ञापालन करते हुए, अध्ययन एवं काम करते हुए। यह विचित्र है कि प्रभु ने पृथ्वी पर अपने जीवन का अधिकांश भाग, सामान्य जीवन को जीते हुए, अपने को प्रकट किये बिना इस तरह बिताया। हम सोचते हैं कि सुसमाचार के अनुसार तीन साल का समय, उपदेश देने, चमत्कार करने और कई अन्य चीजों को करने का था। संत पापा ने कहा कि सिर्फ तीन साल, और बाकी वर्ष अपने परिवार के साथ अप्रकट रूप में था। यह हमारे लिए एक सुन्दर संदेश है। यह दैनिक जीवन के महत्व को प्रकट करता है, ईश्वर की नजरों में जीवन के हर पल एवं हर भाव महत्वपूर्ण हैं चाहे वह कितना ही साधारण अथवा छिपा हुआ क्यों न हो।
प्रभु हमें ऊपर से नहीं बचाते
संत पापा ने गौर किया, "इन तीस सालों के छिपे जीवन के बाद येसु का सार्वजनिक जीवन शुरू होता है, निश्चय ही, इसकी शुरूआत यर्दन नदी में बपतिस्मा के द्वारा होती है। किन्तु येसु ईश्वर हैं फिर भी क्यों बपतिस्मा लिये? योहन का बपतिस्मा पश्चाताप की धर्मविधि थी जो बेहतर जीवन के लिए मन-परिवर्तन की इच्छा का चिन्ह था, अपने पापों के लिए क्षमा मांगना था। येसु को निश्चय ही इसकी आवश्यकता नहीं थी। वास्तव में, योहन बपतिस्ता ने इसे टालने की कोशिश की थी किन्तु येसु ने इसपर जोर दिया। क्यों? क्योंकि वे पापियों के साथ रहना चाहते थे। इसलिए वे उनकी पंक्ति में आये एवं वही किया जो उन्हें (पापियों को) करना था। वे इसे लोगों के मनोभाव से किये, उनके मनोभाव से, जैसा कि धर्मविधि में भजन कहता है "खाली आत्मा और खाली पाँवों से।" खाली आत्मा, अर्थात् किसी चीज से ढके बिना एक पापी के समान। इसी हावभाव के साथ येसु नदी में उतरे ताकि वे उसी स्थिति में अपने को डुबा दें जिसमें हम हैं। बपतिस्मा का असल अर्थ है डुबकी लगाना। अपने प्रथम दिन के मिशन में येसु ने अपने कार्यक्रम संबंधी घोषणा जारी की। उन्होंने बतलाया कि वे ऊपर से, राजकीय निर्णय या बल प्रदर्शन अथवा आदेश देकर नहीं बचाते हैं। वे हमसे मिलने आकर और हमारे पापों को अपने ऊपर लेकर हमें बचाते हैं। इसी तरह, अपने आपको दीन बना कर, खुद इसकी कीमत चुकाकर, ईश्वर दुनिया की बुराई पर जीत पाते हैं। संत पापा ने कहा कि यह एक रास्ता है जिसके द्वारा हम दूसरों को भी ऊपर उठा सकते हैं, उनका न्याय करने, सलाह देने के द्वारा नहीं बल्कि उनके पड़ोसी बनकर, सहानुभूति रखकर, ईश्वर के प्रेम को बांटकर। सामीप्य हमारे लिए ईश्वर का तरीका है वे स्वयं मूसा से कहते हैं ˸ "सोचो, क्या कोई देवता है जो अपने लोगों के इतना करीब है जितना मैं तुम्हारे करीब हूँ?" निकटता, हमारे साथ ईश्वर का तरीका है।
पवित्र आत्मा
येसु द्वारा करुणा के इस कार्य के पश्चात् एक असाधारण घटना घटती है ˸ स्वर्ग खुल जाता है और पवित्र तृत्वमय ईश्वर प्रकट होते हैं। पवित्र आत्मा स्वर्ग से एक कपोत के रूप में उतरते हैं (मार.1.10) और पिता ईश्वर येसु से कहते हैं ˸ तू मेरा परमप्रिय पुत्र हैं, मैं तुमसे अत्यन्त प्रसन्न हूँ।"(मार.1˸11) संत पापा ने कहा कि जब करुणा दिखाई पड़ती है तो ईश्वर खुद को प्रकट करते हैं क्योंकि यही उनका चेहरा है। येसु पापियों के दास बन जाते हैं और पुत्र घोषित किये जाते हैं, हमारे लिए अपने को झुकाते हैं और पवित्र आत्मा उनमें उतरता है।
प्रेम ही प्रेम करने के लिए बुलाता है
यह हम पर भी लागू होता है। हर सेवा कार्य में, हर दया के कार्य में, जब हम ईश्वर को प्रकट करते हैं, तब वे दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करते हैं। किन्तु हमारे कार्य करने से पहले ही हमारा जीवन दया के चिन्ह से अंकित है और यह हम पर लगाया गया है। हम मुफ्त में बचाये गये हैं। मुक्ति मुफ्त है। यह ईश्वर के द्वारा मुफ्त में दी गई है। संस्कारीय रूप में इसे हमारे बपतिस्मा के दिन प्रदान किया गया। किन्तु जिन्होंने बपतिस्मा नहीं लिया वे भी ईश्वर की दया प्राप्त करते हैं क्योंकि ईश्वर वहाँ भी उपस्थित हैं, उनके हृदय द्वार खुलने का इंतजार कर रहे हैं। वे नजदीक आते हैं, बोलने देते हैं, अपनी दया से हमें दुलारते हैं।
माता मरियम से प्रार्थना
संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करते हुए कहा, "माता मरियम जिनसे हम प्रार्थना कर रहे हैं, हमारी बपतिस्मा की पहचान को संजोकर रखने में मदद करे, यही दयालु होने की पहचान है जो विश्वास एवं जीवन के आधार में निहित है।"
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
हिंसा से कुछ हासिल नहीं होता
देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने विभिन्न लोगों की याद करते हुए कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, मैं अमरीका के लोगों का सस्नेह अभिवादन करता हूँ जो कॉन्ग्रेस में पिछले दिनों हुई घेराबंदी से हिल गये हैं। मैं उन लोगों के लिए प्रार्थना करता हूँ जिन्होंने अपनी जान गवायीं है। उन पाँच लोगों ने उत्तेजक पल में अपनी जान गवाँयी। संत पापा ने जोर देकर कहा, "हिंसा हमेशा आत्म विनाशक है। हिंसा से कुछ हासिल नहीं होता और बहुत कुछ खो जाता है। मैं सरकारी अधिकारियों एवं सभी लोगों से अपील करता हूँ कि वे जिम्मेदारी की गहरी भावना को बनाये रखें ताकि भावनाओं को शांत किया जा सके, राष्ट्रीय मेल-मिलाप को बढ़ावा दिया जा सके एवं अमरीकी समाज के मूल में निहित प्रजातंत्र के मूल्यों को प्रोत्साहित किया जा सके। अमरीका की संरक्षिका अति निष्कलंक माता मरियम, मुलाकात की संस्कृति और देखभाल की संस्कृति को जीवित रखने में मदद दे ताकि सार्वजनिक भलाई के शाही रास्ते का निर्माण किया जा सके और मैं उस भूमि में रहने वाले सभी लोगों के लिए प्रार्थना करता हूँ।"
बपतिस्मा प्राप्त बच्चों के लिए प्रार्थना
संत पापा ने संचार माध्यमों से जुड़े सभी लोगों का अभिवादन करते हुए कहा, "अब मैं उन सभी लोगों का अभिवादन करता हूँ जो संचार माध्यमों द्वारा जुड़े हैं। जैसा कि आप जानते हैं महामारी के कारण, आज मैंने सिस्टीन चैपल में परम्परागत बपतिस्मा की धर्मविधि सम्पन्न नहीं किया। फिर भी, मैं उन बच्चों के लिए जिन्होंने बपतिस्मा लिया है तथा उनके माता पिता एवं धर्म माता पिता के लिए अपनी प्रार्थना का आश्वासन देता हूँ। उन बच्चों को भी शुभकामनाएं देता हूँ जो बपतिस्मा ग्रहण करेंगे एवं ख्रीस्तीय पहचान प्राप्त करेंगे, क्षमाशीलता एवं मुक्ति की कृपा प्राप्त करेंगे। ईश्वर सभी को आशीष प्रदान करे।"
पवित्र आत्मा सामान्य चीजों को असामान्य तरीके से करने में मदद दे
संत पापा ने पूजन पद्धति में क्रिसमस काल समाप्त होने एवं सामान्य काल शुरू होने पर विश्वासियों को पवित्र आत्मा से संचालित होने हेतु प्रेरित करते हुए कहा, "हम पवित्र आत्मा के प्रकाश एवं शक्ति का आह्वान करने से न थकें, जिससे कि वे हमें सामान्य चीजों का अनुभव प्रेम से करने एवं उन्हें असाधारण तरीके से पूरा करने में मदद दें। यदि हम पवित्र आत्मा के लिए खुले और उदार होंगे तो वे हमारे दैनिक विचारों एवं कार्यों को प्रेरित करेंगे।
तब अंत में, संत पापा ने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।