जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 22 जनवरी 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो) सन्त पापा फ्राँसिस ने इताली युवा लेखक लूका मिलानेज़े की कविताओं की पुस्तक "रीमे आ सोरप्रेज़ा" की प्रस्तावना लिख कर कहा है कि अन्यों की बात सुनना करुणा, दया और कोमलता का पहला रूप है।
सुनने का क्षमता
सन्त पापा लिखते हैं, कि अगर आज कविता की ग़रीबी है, तो ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि सुंदरता विफल हो गई है, बल्कि इसलिए कि हमारी सुनने की क्षमता विफल हो गई है।
सन्त पापा ने प्रस्तावना में लिखा कि "सुन्दरता एक अनुभव है, यह वह सुन्दरता है जिसका वाहक लूका है। यह सुन्दरता कुछ खास मुद्दों पर कोई थका देने वाले काम से अथवा सावधानीपूर्वक चुने गये शब्दों के जाल से उत्पन्न नहीं होती, बल्कि यह एक सहज क्षमता के रूप में उभरती है, जो आंतरिकता को सही शब्दों में पेश करती तथा उन सम्बन्धों को भी दृश्यमान बना देती है जो जाहिरा तौर पर नहीं दिखाई देते हैं।"
चीज़ों की नई गहराई को समझें
सन्त पापा लिखते हैं कि उसकी दृष्टि "एक आंतरिक दृष्टि" है जो उन्हें ख़ुद को, दूसरों को और ईश्वर को देखने के लिए प्रेरित करती है और "वह जानता है कि ज़ाहिरा तौर पर आकस्मिक एवं यदा-कदा चीजों में एक नई गहराई को कैसे समझें"।
वास्तव में यह, नवीन, अलग, और प्रतीयमान रूप से विरोधाभासी चीजों के लिए ख़ुद के भीतर जगह बनाने की क्षमता है, और फिर यह महसूस करने की कि ये "दूसरों की तुलना में अधिक सच्चे हैं"।
अन्त में सन्त पापा लिखते हैं, मेरी शुभकामना है कि लूका इन पन्नों के माध्यम से सौंदर्य और कोमलता का एक साधन बनने में सक्षम बने तथा कम उम्र के लोगों को उन प्रतिभाओं को बाहर लाने के लिए प्रोत्साहित करे जो प्रभु ने उनके भीतर बोई रखी हैं, और जिन्हें कभी-कभी विफलता अथवा भद्दे प्रदर्शन के डर से वे बाहर निकालने का साहस नहीं जुटा पाते हैं।