उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
"कलीसिया की प्रेरिताई के केंद्र में है प्रार्थना।
प्रार्थना हमारे लिए एक कुंजी है कि हम पिता के साथ वार्तालाप कर सकें।
हरेक बार, जब हम सुसमाचार से छोटा अंश पढ़ते हैं, हम येसु को हमसे बोलते हुए सुनते हैं,
हम येसु के साथ बातचीत करते हैं,
हम येसु को सुनते और उत्तर देते हैं,
और यही प्रार्थना है।
प्रार्थना करने के द्वारा, हम वास्तविकता को और हमारे हृदय को बदलते हैं।
हमारा हृदय बदल जाता है जब हम प्रार्थना करते हैं।
हम कई चीजें कर सकते हैं, लेकिन प्रार्थना के बिना, यह काम नहीं करता।
हम प्रार्थना करते हैं कि येसु ख्रीस्त के साथ हमारा व्यक्तिगत संबंध ईश्वर के वचन और एक प्रार्थनामय जीवन के द्वारा पोषित हो सके।
मौन में, हरेक, प्रत्येकजन अपने हृदय में प्रार्थना करे।"