माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, सोमवार 30 नवम्बर 2020 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने 11 नए कार्डिनलों के साथ मिलकर संत पेत्रुस महागिरजाघर में आगमन के पहले रविवार को पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान करते हुए विश्वासियों को प्रभु से प्रार्थना करने के लिए कहा कि प्रभु उनके हृदय में प्रार्थना और प्रेम करने की इच्छा जगायें।
शनिवार को संत पापा फ्राँसिस ने 13 नये कार्डिनलों को एक धर्मविधि के दौरान लाल टोपी और अंगूठी पहनाई और कार्डिनल मंडल में शामिल किया। दुर्भाग्य से दो नये कार्डिनलः ब्रुनेई के कार्डिनल कोरनेलियुस सिम और फिलीपींस के कार्डिनल जोस एडविनकुला कोविद-19 से संबंधित यात्रा प्रतिबंधों के कारण इस समारोह में भाग नहीं पहुँच पाये।
संत पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन में ईश्वर से आग्रह किया कि वे हमें "मध्यस्थता की निष्क्रियता से बचायें" और "हमें उदासीनता के अंधकार से जागृत करें।"
उन्होंने पाठों पर चिंतन करते हुए आगमन काल के लिए दो प्रमुख शब्द प्रस्तावित किया: निकटता और निगरानी-ईश्वर की निकटता और हमारी निगरानी।
संत पापा ने कहा कि नबी इसायाह कहते हैं कि ईश्वर हमारे करीब हैं, जबकि सुसमाचार में येसु ने हमें उनकी वापसी की उम्मीद में निगरानी रखने का आग्रह किया है।
निकटता
इसायाह की कल्पना के अनुसार निकटता शब्द पर विचार करते हुए, संत पापा ने कहा कि "आगमन ईश्वर की उस निकटता को याद करने का समय है जो हमारे बीच में रहने के लिए आये थे।"
संत पापा ने कहा कि नबी ईश्वर से पूछता है कि वह एक बार हमारे करीब आने के लिए कहे तो उसे "आकाश फाड़कर नीचे आना है!" (63:19 है)।
संत पापा ने कहा कि हमने आज के अंतरभजन में इसके लिए प्रार्थना की। "विश्वास का पहला चरणः हमें ईश्वर को बताना है कि हमें उनकी आवश्यकता है, हमें उनके करीब होने की आवश्यकता है।"
ईश्वर हमारे करीब आना चाहते हैं, लेकिन वे खुद अपनी मर्जी से नहीं आयेंगे। आज हमें हमारे जीवन में उसे आमंत्रित करना है।
उन्होंने कहा, आगमन हमें याद दिलाता है कि "येसु हमारे बीच आए और फिर से समय के अंत में आएंगे।" संत पापा ने विश्वासियों को "प्रत्येक दिन की शुरुआत में" आओ, प्रभु येसु की प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया और इसे बार-बार दोहराने को कहा। हमारी बैठक के पहले, हमारी पढ़ाई के पहले और हमारे काम से पहले, निर्णय लेने से पहले, हमारे जीवन के हर महत्वपूर्ण या कठिन क्षण में हमें प्रभु को आमंत्रित करना है: आओ, प्रभु येसु!"
चौकस रहना
संत पापा फ्राँसिस ने तब "सतर्कता" शब्द पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें कहा गया था कि "यदि हम येसु को हमारे करीब आने के लिए कहें, तो हम खुद को सतर्क रहने के लिए प्रशिक्षित करेंगे।"
उन्होंने कहा, आज के सुसमाचार पाठ में, प्रेरित मारकुस हमें अपने शिष्यों के लिए येसु के अंतिम संबोधन को साथ प्रस्तुत करता है, जो "दो शब्दों में अभिव्यक्त किया गया है:"सतर्क रहें! "
उन्होंने कहा, " हमें सतर्क रहने की जरुरत है जीवन में हम एक बड़ा गलती कर सकते हैं ईश्वर की ओर अपना मन लगाने के बदले अन्य कई चीजों में अपने आप को व्यस्त रखना। हम बहुत सारी व्यर्थ की चीजों के बीच जो हमारे अपने हित के लिए आवश्यक से है उसे भी खो देंगे।
तथ्य यह है कि हमें सतर्क होने की आवश्यकता है, संत पापा फ्राँसिस ने समझाया, "इसका मतलब है कि अब रात हो गई है," वास्तव में हम "अंधेरे और घबराहट के बीच सुबह का इंतजार कर रहे हैं।" दिन का उजाला तब आएगा जब हम प्रभु के साथ रहेंगे।”
आशा में जीना
संत पापा ने कहा कि इस निश्चितता में कि रात की परछाइयां दूर हो जाएंगी, “उनके आने की उम्मीद में सतर्क रहने का अर्थ है खुद को हतोत्साहित नहीं होने देना। यह आशा में जीना है।”
उन्होंने कहा, “यदि हम स्वर्ग की प्रतीक्षा में हैं, तो हमें सांसारिक चिंताओं से क्यों ग्रसित होना चाहिए? हमें धन, प्रसिद्धि, सफलता के बारे में क्यों चिंतित होना चाहिए?, यह सब समाप्त हो जाएगा। हमें रात के बारे में शिकायत कर समय क्यों बर्बाद करना चाहिए, जब दिन की रोशनी हमें इंतजार कर रही है? "
लेकिन संत पापा फ्राँसिस ने देखा कि जागते रहना आसान नहीं है: "रात में, नींद आना स्वाभाविक है।"
उन्होंने याद किया कि यहां तक कि येसु के शिष्य भी जाग नहीं पाये और सो गये। बार बार जागते रहने और प्रार्थना करने की हिदायत देने के बावजूद वे सो गये।
उन्होंने कहा, “वही उनींदापन हमपर हावी हो सकता है। एक खतरनाक तरह की नींद है: यह औसत दर्जे की नींद है। यह तब होता है जब हम अपने पहले प्यार को भूल जाते हैं और उदासीनता से संतुष्ट हो जाते हैं, एक आरामदायक जिन्दगी की चिंता करते हैं।”
विश्वास की शक्ति
संत पापा ने कहा कि विश्वास सामान्यता के बिल्कुल विपरीत है: “यह ईश्वर के लिए उत्साही इच्छा है, बदलने का साहसिक प्रयास, प्रेम करने का साहस, निरंतर प्रगति। विश्वास पानी नहीं है जो आग की लपटों को बुझाता है, यह आग है जो जलती है, यह लोगों के तनाव को शांत करने की दवा नहीं है, यह प्यार करने वाले लोगों के लिए एक प्रेम कहानी है!”
"हम अपने आप को औसत दर्जे के झोंके से कैसे निकाल सकते हैं?" संत पापा ने उत्तर दिया "प्रार्थना की सतर्कता के साथ।"
उन्होंने कहा, “ प्रार्थना हमें उँचाई की चीजों की ओर अपना ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, यह हमें प्रभु की ओर आकर्षित करता है। प्रार्थना ईश्वर को हमारे करीब होने का अनुभव कराता है; यह हमें हमारे एकांत से मुक्त करता है और हमें आशा देता है। प्रार्थना जीवन के लिए महत्वपूर्ण है: जिस तरह हम सांस लिए बिना नहीं रह सकते, उसीतरह हम प्रार्थना किए बिना ख्रीस्तीय नहीं हो सकते। ”
दया की जागरूकता
संत पापा ने कहा कि खुद को उदासीनता के चबूतरे से निकालने का तरीका दया की जागरूकता है।
"दया ख्रीस्तीय के दिल की धड़कन है: जैसे कोई भी बिना दिल की धड़कन के नहीं रह सकता है, वैसे ही कोई भी ख्रीस्तीय निर्दय नहीं हो सकता।" दयालु होने के नाते, दूसरों की मदद और उनकी सेवा करके ही हम अपने आने वाले जीवन की ओर लक्ष्य कर सकते हैं। प्रभु कहते हैं धन, वैभव, मान सम्मान सबकुध इस इस दुनिया के लिए है और यहीं समाप्त हो जाएगा, बाकी रहेगा तो सिर्फ प्रेम। यह दया के कामों से है जो हम प्रभु के करीब आते हैं।"
अंत में संत पापा फ्राँसिस ने प्रार्थना करने और प्यार करने के लिए सभी विश्वासियों को याद दिलाते हुए कहा,“आइए, अब हम उन्हें बुलायें। आओ, प्रभु येसु, हमें आपकी आवश्यकता है! हमारे करीब आइये। आप प्रकाश हैं। हमें मध्यस्थता की निष्क्रियता से बचायें और हमें उदासीनता के अंधकार से जागृत करें। प्रभु येसु आइये, हमारे विचलित दिलों को सतर्क बनायें। हमारे भीतर प्रार्थना और प्रेम की करने की इच्छा जागृत करें।”