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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना ˸धारा के विपरीत विनम्रता व करुणा के रास्ते पर चलें

1 नवम्बर को सब संतों के महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर, 8 धन्यताओं में से दूसरे और तीसरे पर चिंतन किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 2 नवम्बर 20 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 1 नवम्बर को सब संतों के महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

सब संतों के इस महापर्व में, कलीसिया महान आशा पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करती है, जो ख्रीस्त के पुनरूत्थान पर आधारित है : ख्रीस्त जी उठे हैं और हम भी उनके साथ होंगे। संत और धन्य गण ख्रीस्तीय आशा के सबसे आधिकारिक साक्षी हैं क्योंकि उन्होंने धन्यताओं को अपने जीवन में आनन्द और दुःख के बीच पूर्णता से जीया, जिसको येसु ने अपने उपदेश में कहा था और यह आज की धर्मविधि में भी गूँज रहा है। (मती.51-12) सुसमाचार की धन्यताएँ वास्तव में, पवित्रता के मार्ग हैं। संत पापा ने 8 धन्यताओं में से दूसरे और तीसरे पर चिंतन किया।

"धन्य है वे जो शोक मनाते हैं उन्हें सांत्वना मिलेगी"

तीसरी धन्यता है – "धन्य है वे जो शोक मनाते हैं उन्हें सांत्वना मिलेगी।" (5) ये शब्द विरोधाभास लगते हैं क्योंकि शोक मनाना, आनन्द और खुशी का चिन्ह नहीं है। शोक और दुःख का कारण मृत्यु, बीमारी, नैतिक मुसीबत, पाप और गलतियाँ होते हैं। साधारण रूप में, हमारा दैनिक जीवन, क्षणभंगुरता, दुर्बलता और कठिनाईयों से भरा, एक ऐसा जीवन है जो कई बार कृतघ्नता और गलतफहमी के कारण घायल और पीड़ित हो जाता है। येसु इसी सच्चाई के कारण उन लोगों को धन्य कहते हैं जो शोक मनाते और इन सबके बावजूद ईश्वर पर भरोसा रखते एवं अपने आपको ईश्वर की छत्रछाया में रखते हैं। वे उदासीन नहीं होते और न ही दुःख में अपना हृदय कठोर बनाते हैं बल्कि धीरज के साथ ईश्वर की सांत्वना पर आशा करते हैं। इस सांत्वना को वे इसी जीवन में अनुभव करते हैं।

"धन्य हैं वे, जो विनम्र हैं। उन्हें प्रतिज्ञात देश प्राप्त होगा"

दूसरी धन्यता है- "धन्य हैं वे, जो विनम्र हैं। उन्हें प्रतिज्ञात देश प्राप्त होगा।" (4) संत पापा ने कहा, "विनम्रता, येसु की विशेषता है, जो स्वयं कहते हैं ˸ मुझसे सीखो मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ।" (मती. 11,29) विनम्र वे लोग हैं जो अपने आप पर काबू पाना जानते हैं, जो दूसरों के लिए स्थान छोड़ते हैं, उन्हें दूसरों को सुनते और उनकी जरूरतों एवं मांगों में, उनके जीने के तरीके का सम्मान करते हैं। वे उन्हें गिराना अथवा नीचा करना नहीं चाहते, वे सब कुछ के ऊपर होना अथवा उन्हें अपने अधीन  करना नहीं चाहते हैं और न ही अपने विचारों और रूचि को दूसरों की हानि के लिए थोपते हैं। ये लोग दुनिया की मानसिकता द्वारा सराहे तो नहीं जाते हैं बल्कि ईश्वर की नजरों में मूल्यवान होते हैं। इन्हीं लोगों को ईश्वर प्रतिज्ञात देश प्रदान करते हैं अर्थात् अन्नत जीवन। यह धन्यता भी इसी धरती में शुरू होती है और स्वर्ग में ख्रीस्त में पूर्ण हो जाती है। इस समय दुनिया के जीवन में, हरेक दिन के जीवन में जहाँ बहुत अधिक आक्रमकता है... पहली चीज बाहर निकलती है वह है आक्रामकता, रक्षात्मकता...हमें सिद्धी के मार्ग में आगे जाने के लिए विनम्रता की जरूरत है। "सुनना, आदर करना, आक्रमण नहीं करना ˸ विनम्रता।"

संतों और धन्यों की यात्रा

संत पापा ने कहा, "प्यारे भाइयो एवं बहनो, शुद्धता, विनम्रता और करुणा का चुना करना, दीनता के मनोभाव से प्रभु के लिए समर्पित हो जाना तथा कष्ट में अपने आप को न्याय एवं शांति के लिए अर्पित कर देना- इन सबका अर्थ हैं दुनिया की मानसिकता के विपरीत चलना, अधिकार करने की संस्कृति, व्यर्थ मस्ती, कमजोर लोगों के खिलाफ उद्दंडी होने के विपरीत चलना।"  

संत बनने की व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुलाहट

इस सुसमाचारी मार्ग पर संत और धन्य यात्रा कर चुके हैं। आज का महापर्व जो सभी संतों का सम्मान करता है, हमें संत बनने की हमारी व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुलाहट का स्मरण दिलाता है और इस यात्रा के लिए निश्चित आदर्शों को प्रस्तुत करता है कि हर व्यक्ति अनोखे तरीके से, बेजोड़ ढंग से आगे बढ़ता है। इसके लिए यह काफी है कि हम संतों के अक्षय दानों एवं उनके वास्तविक जीवन की कहानियों की याद करें। वे एक समान नहीं हैं, हरेक के अपने व्यक्तित्व हैं और जिसको उन्होंने संतता में आगे बढ़ाया। हम प्रत्येक जन इस रास्ते पर चलकर ऐसा कर सकते हैं। विनम्रता धारण करें और इसके द्वारा हम संतता की ओर आगे बढ़ेंगे।  

संतों की रानी माता मरियम

ख्रीस्त के विश्वस्त शिष्यों के इस विशाल परिवार की एक माता हैं, कुँवारी मरियम। हम उन्हें सभी संतों की रानी के रूप में आदर देते हैं किन्तु सबसे पहले वे एक माता हैं जो हम प्रत्येक को अपने पुत्र येसु का अनुसरण करना सिखलाती हैं। वे हमें पवित्रता की चाह को पुष्ट करने, धन्यताओं के रास्ते पर चलने में मदद दें।  

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने विश्वासियों का अभिवादन करते हुए विभिन्न घटनाओं की याद की।

धन्य माइकेल मैकगिवनी

उन्होंने अमरीका में धन्य माइकेल मैकगिवनी की याद कर कहा, "कल अमरीका के हार्टफोर्ड में माईकेल मैकगिवनी की धन्य घोषणा हुई, वे एक धर्मप्रांतीय पुरोहित थे कोलोम्बो के शूरवीरों के संगठन के संस्थापक। वे सुसमाचार प्रचार के लिए समर्पित थे। उन्होंने जरूरतमंद लोगों की जरूरतों को पूरा करने का हरसंभव प्रयास किया और आपसी सहायता को प्रोत्साहन दिया। उनका उदाहरण, उदारता के सुसमाचार का साक्ष्य देने में हमें हमेशा प्रेरित करे।

संत पापा ने तीन दिनों पहले एजियन सागर में तीव्र भुकम्प से पीड़ित लोगों की याद करते हुए उनके लिए प्रार्थना की।

विश्वासियों का अभिवादन

तत्पश्चात्, रोम एवं विभिन्न देशों के तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन करते हुए कहा, "मैं रोम और विभिन्न देशों से एकत्रित तीर्थयात्रियों का अभिवादन करता हूँ। खासकर, मैं संतों की दौड़ के प्रतिभागियों का अभिवादन करता हूँ जो डॉन बोस्को फाऊंडेशन के द्वारा विश्वभर में प्रोत्साहित है। इस साल वे दूरी के साथ एवं व्यक्ति रूप से दौड़ लगा रहे हैं। भले ही यह महामारी के कारण थोपी गई दूरियों का सम्मान करने के लिए छोटे समूहों में हो रहा हो, इस खेल का आयोजन सब संतों के धार्मिक उत्सव के लिए एक लोकप्रिय विश्वास का आयाम प्रदान करता है। संत पापा ने उनके प्रयास एवं उपस्थिति के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।  

मृत विश्वासियों के लिए प्रार्थना

इसके साथ ही संत पापा ने मृत विश्वासियों के लिए प्रार्थना करने का प्रोत्साहन देते हुए कहा, "मैं स्वास्थ्य नियमों का पालन करते हुए जो महत्वपूर्ण है, उन सभी लोगों के साथ आध्यात्मिक रूप से एक होऊंगा, जो विश्व के विभिन्न हिस्सों में कब्रस्थान जाकर अपने प्रियजनों के लिए प्रार्थना करेंगे।"

तब अंत में उन्होंने सब संतों के पर्व की शुभकामनाएं दीं तथा अपने लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए विश्वासी समुदाय से विदा ली।  

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02 November 2020, 14:01