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संत पापा फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना के दौरान 

देवदूत प्रार्थना ˸ अपनी क्षमता का प्रयोग अच्छाई के लिए करना

वाटिकन में रविवार 15 नम्बर को गरीबों के लिए विश्व दिवस के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा उन्हें सम्बोधित किया। संदेश में उन्होंने अशर्फियों के दृष्टांत पर चिंतन किया।

उषा मनोरम ातिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 16 नवम्बर 20 (रेई) – वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 15 नम्बर को गरीबों के लिए विश्व दिवस के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

इस पूजन पद्धति वर्ष के अंतिम से पहले रविवार का सुसमाचार पाठ अशर्फियों के प्रसिद्ध दृष्टांत (मती. 25,14-30) को प्रस्तुत करता है। यह अंत समय के बारे में येसु के भाषण का एक भाग है, जिसके तुरन्त बाद उनका दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान आता है। दृष्टांत एक धनी मनुष्य के बारे बतलाता है जो विदेश जानेवाला था और अपनी लम्बी अनुपस्थिति को देखते हुए, अपनी सम्पति को अपने तीन सेवकों के बीच बांटता है, पहले को पाँच हजार, दूसरे को दो हजार और तीसरे को एक हजार देता है। येसु इस बात को स्पष्ट करते हैं कि विभाजन उनकी योग्यता के अनुसार किया गया। (15)

हरेक अपनी क्षमता के अनुसार

संत पापा ने कहा, "प्रभु हम सभी के साथ ऐसा ही करते हैं : वे हम सभी को अच्छी तरह जानते हैं, वे जानते हैं कि हम एक समान नहीं हैं और किसी की क्षति पर किसी को विशेषाधिकर देना नहीं चाहते हैं किन्तु हरेक को उसकी शक्ति के अनुसार क्षमता प्रदान करते हैं।"

स्वामी की अनुपस्थिति में, पहले दो सेवक बहुत काम करते हैं इतना काम करते हैं कि मिली अशर्फियों से दोगुना कमा लेते हैं। तीसरा सेवक ऐसा नहीं करता है, वह उसे भूमि खोदकर छिपा देता है, ताकि खतरा से बच सके। वह उसे चोरों के भय से सुरक्षित वहीं छोड़ देता है, बढ़ाता नहीं। स्वामी के लौटने का समय आता है, तब वह अपने सेवकों को लेखा देने के लिए बुलाता है। प्रथम दो अपने मेहनत के अच्छे फल प्रस्तुत करते हैं जिसको उन्होंने कमाया है, तब स्वामी उन्हें शाबाशी देता और अपने उत्सव के आनन्द में सहभागी होने का निमंत्रण देता है। तीसरा, यद्यपि अपनी गलती महसूस करता, तुरन्त अपने को न्यायसंगत ठहराने की कोशिश करते हुए कहता है, "स्वामी, मुझे मालूम था कि आप कठोर हैं। आपने जहाँ नहीं बोया, वहाँ लुनते हैं और जहाँ नहीं बिखेरा वहाँ बटोरते हैं। इसलिए मैं डर गया और मैंने जाकर आपका धन भूमि में छिपा दिया।" (24-25) वह अपने आलस्य को स्वामी पर "कठोर" होने का आरोप लगाकर बचाता है। संत पापा ने कहा, "यह एक मनोभाव है जो हम में भी है, कई बार हम दूसरों पर आरोप लगाकर अपने को बचाते हैं। किन्तु यह उनकी गलती नहीं है, गलती हमारी है, त्रुटि हमारी है।" यह सेवक दूसरों पर दोष लगाता है। अपने आपको न्यायसंगत ठहराने के लिए अपने स्वामी पर दोष लगाता है। हम भी कई बार ऐसा करते हैं। तब स्वामी उसे फटकारता और "दुष्ट एवं आलसी सेवक" कहता है। (26) उससे सब अशर्फियाँ ले लेता एवं अपने घर से बाहर कर देता है।

अपनी क्षमता का प्रयोग

संत पापा ने कहा, "यह दृष्टांत सभी पर लागू होता है लेकिन हमेशा की तरह, खासकर, ख्रीस्तियों पर लागू होता है।" आज भी यह बहुत सामयिक है ˸ आज जब गरीबों के लिए विश्व दिवस है कलीसिया हम ख्रीस्तियों से कहती है ˸ "अपना हाथ गरीबों के लिए बढ़ाओ। गरीबों तक पहुँचो। जीवन में तुम अकेले नहीं हो, कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें तुम्हारी जरूरत है। स्वार्थी मत बनो, गरीबों पर ध्यान दो।" हम सभी ने मानव के रूप में ईश्वर से एक विरासत प्राप्त की है, मानवीय समृद्धि, चाहे जो कुछ भी हो। ख्रीस्त के शिष्यों के रूप में हमने विश्वास, सुसमाचार, पवित्र आत्मा, संस्कार एवं कई अन्य चीजों को प्राप्त किया है। इन दानों का प्रयोग अच्छे कामों को करने, इस जीवन में ईश्वर और अपने भाई-बहनों की सेवा हेतु अच्छा काम करने के लिए करना चाहिए। और आज कलीसिया हमसे कहती है, "ईश्वर ने तुम्हें जो दिया है हम उसका प्रयोग करो और गरीबों को देखो। उन्हें देखो, वे बहुत सारे हैं, हमारे शहरों में भी, हमारे शहरों के केंद्र में बहुत सारे हैं, उनकी भलाई करो।"  

गरीबों पर ध्यान दें         

संत पापा ने कहा, "कई बार हम सोचते हैं कि ख्रीस्तीय होना हानि नहीं करना है। हानि नहीं करना अच्छा है किन्तु भलाई नहीं करना, अच्छा नहीं है। हमें अच्छा करना है अपने आप से बाहर निकलना और देखना है, उन्हें देखना है जिन्हें अधिक आवश्यकता है। हमारे शहर के केंद्र में भी बहुत लोग भूखें हैं और कई बार हम उदासीनता के तर्क में प्रवेश कर लेते हैं। गरीब वहाँ है और हम दूसरी ओर देखते हैं। गरीब की ओर अपना हाथ बढ़ाओ, वह ख्रीस्त है। कुछ लोग कहते हैं, "ये पुरोहित, ये धर्माध्यक्ष जो गरीब- गरीब बोलते रहते हैं...हम चाहते हैं कि वे अनन्त जीवन के बारे बोलें। देखिये भाइयो और बहनों, गरीब सुसमाचार के केंद्र में हैं, येसु ने गरीबों के बारे बोलना सिखलाया, येसु गरीबों के लिए ही आये। अपना हाथ गरीबों की ओर बढ़ाओ। आपने बहुत कुछ पाया है और क्या अपने भाइयों और बहनों को छोड़ देंगे कि वे भूख से मर जायें?"

प्रिय भाइयो एवं बहनो, प्रत्येक अपने हृदय में कहे जिसको आज येसु कह रहे हैं, "अपना हाथ गरीबों के लिए बढ़ाओ" और येसु एक दूसरी चीज भी कह रहे हैं, "जानते हो वह गरीब मैं हूँ।"

माता मरियम से देना सीखें

कुँवारी मरियम ने महान वरदान, स्वयं येसु को प्राप्त किया किन्तु उन्हें अपने लिए नहीं रखा, बल्कि दुनिया को दिया, अपने लोगों को दिया। हम उनसे सीखें, गरीबों के लिए अपना हाथ बढ़ाना।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरित आशीर्वाद दिया। देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने विश्वासियों का अभिवादन किया।

फिलीपींस के बाढ़ पीड़ितों के लिए प्रार्थना

उन्होंने विभिन्न घटनाओं की याद करते हुए अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, "मैं प्रार्थना में फिलीपींस के लोगों के करीब जो भयंकर आंधी के कारण विनाश और बाढ़ से पीड़ित हैं। मैं सबसे गरीब परिवारों के प्रति अपना आध्यात्मिक सामीप्य व्यक्त करता हूँ जो इन प्राकृतिक आपदाओं के शिकार हुए हैं और मैं उन लोगों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करता हूँ जो उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।"

आइवरी कोस्ट के नेताओं को प्रोत्साहन

तब संत पापा ने आइवरी कोस्ट की याद की जहाँ 15 नवम्बर को राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जाता है और जहाँ इस समय सामाजिक एवं राजनीतिक तनाव की स्थिति है। उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से कई लोग इसके शिकार हुए हैं। मैं प्रभु से राष्ट्रीय सौहार्द हेतु प्रार्थना में जुड़ता हूँ और प्यारे देश के सभी पुत्र-पुत्रियों का आह्वान करता हूँ कि वे मेल-मिलाप और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए जिम्मेदारी को सहयोग दें। संत पापा ने खासकर, राजनीतिक नेताओं को प्रोत्साहन दिया कि वे सही समाधान खोजने हेतु आपसी विश्वास एवं वार्ता का वातावरण पुनः स्थापित करें जो सार्वजनिक हित की रक्षा करे और उसे बढ़ावा दे।"  

तीर्थयात्रियों का अभिवादन

तत्पश्चात् संत पापा ने रोम एवं विश्व के विभिन्न हिस्सों से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया एवं उन्हें कलीसिया की आवाज का स्मरण दिलाते हुए कहा, "आज आप न भूलें कि कलीसिया की आवाज हमारे हृदयों में गूँजती है- "गरीबों तक पहुँचें।" क्योंकि हम जानते हैं कि गरीब व्यक्ति ख्रीस्त होता है। संत पापा ने जर्मनी के गायक दल के बच्चों का अभिवादन करते हुए उनकी उपस्थिति के लिए खुशी जाहिर की।

अंत में, उन्होंने अपने लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।   

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16 November 2020, 14:27