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"मरियानुम" के शिक्षकों एवं छात्रों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस "मरियानुम" के शिक्षकों एवं छात्रों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

कलीसिया व विश्व को संत मरियम के मातृत्व और नारीत्व की आवश्यकता

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को रोम के परमधर्मपीठीय ईशशास्त्रीय विभाग "मरियानुम" के शिक्षकों एवं छात्रों से मुलाकात की जो विभाग की स्थापना की 70वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 24 अक्तूबर 2020 (रेई)- रोम के परमधर्मपीठीय ईशशास्त्रीय विभाग "मरियानुम" के 200 शिक्षकों एवं छात्रों को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने कहा कि मरियम के साथ स्कूल जाने के अर्थ है विश्वास और जीवन का स्कूल जाना। वे शिक्षिका हैं क्योंकि वे मानव एवं जीवन की वर्णमाला को अच्छी तरह सिखाती हैं। धर्मग्रंथ माता मरियम के दो मूल तत्वों पर प्रकाश डालता है – वे एक माता हैं और एक नारी हैं।

मरियम का मातृत्व भाईचारा पर आधारित

एलिजाबेथ ने "प्रभु की माता" को पहचाना (43) ईश्वर की माता हम सभी की भी माता हैं। वास्तव में, शिष्य योहन और उनके माध्यम से हम प्रत्येक को क्रूस पर से प्रभु ने कहा है, "यह तुम्हारी माता हैं।" (योहन 19, 27) मुक्ति के उस समय में जब येसु हमें अपना जीवन और आत्मा प्रदान कर रहे थे, इस कार्य को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी माता को नहीं छोड़ा, क्योंकि वे चाहते हैं कि हम एक माँ के साथ चलें, निश्चय ही वे सबसे अच्छी माँ हैं। हमारी माँ ने ईश्वर को हमारा भाई बनाया और एक माता के रूप में वे कलीसिया और समस्त विश्व को अधिक भाईचारा पूर्ण बना सकती है। कलीसिया को जरूरत है उनके ममतामय हृदय को पहचानने की जो एकता के लिए धड़कता है जिसकी आवश्यकता पृथ्वी को है कि वह अपने सभी बच्चों का घर बन जाए।

माँ के बिना विश्व का कोई भविष्य नहीं

विश्व पत्र फ्रतेल्ली तूत्ती का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हमारी माता एक नये विश्व को जन्म देना चाहती है जहाँ हम सभी भाई-बहन होंगे और जहाँ हमारे समाज के सभी बहिष्कृत लोगों के लिए जगह होगी। "हमें मातृत्व की आवश्यकता है, जो कोमलता के साथ जीवन को उत्पन्न और पुनर्जीवित करते हैं, क्योंकि केवल उपहार, देखभाल और बांटना ही मानव को एक साथ रख सकता है।"

संत पापा के अनुसार माँ के बिना विश्व का कोई भविष्य नहीं है। सिर्फ लाभ भविष्य प्रदान नहीं कर सकता, इसके विपरीत, कई बार यह असमानता एवं अन्याय बढ़ाता है। जबकि माताएँ अपने सभी बच्चों को अपनत्व महसूस कराती एवं आशा प्रदान करती हैं।

संत पापा ने मरियानुम के शिक्षकों एवं छात्रों से कहा कि वे एक भाईचारापूर्ण संस्था का निर्माण करने के लिए बुलाये गये हैं, न केवल पारिवारिक वातावरण का निर्माण कर बल्कि अन्य संस्थाओं के साथ सहयोग की नई सम्भवनाओं को खोलते हुए जो क्षितिज को बढ़ाने में मदद देगा। कई बार इसे खोलने में डर लगता है, सोचकर कि इसकी विशिष्ठता खो जायेगी। लेकिन यदि आप जीवन देने एवं भविष्य निर्माण के कार्य में संलग्न हो जाते हैं जो आप गलती नहीं करते क्योंकि तब आप माताओं के समान कार्य करते हैं। मरियम एक ऐसी माता हैं जो हमें मुलाकात करने एवं एक साथ चलने की कला सिखाती हैं जो वृहद परिवार के लिए अच्छा है।

संत मरियम की नारीत्व हमें प्रजा बनाती

संत पापा ने कहा, "यह महिला का एक आवश्यक तत्व है। मुक्तिदाता का "जन्म एक नारी से हुआ" (गला.4,4) सुसमाचार में मरियम एक नारी हैं, नई हेवा हैं, जो हमारी मुक्ति के लिए काना से कलवारी तक मध्यस्थ बनकर आती हैं। (यो. 2:4, 19:26) अंततः वे एक ऐसी नारी हैं जिन्होंने सूर्य का वस्त्र धारण किया है और येसु के वंशजों की देखभाल करती हैं। (प्रकाशना 12:17) माता के रूप में जिस तरह वे कलीसिया रूपी परिवार का निर्माण करती है उसी तरह एक महिला के रूप में वे हमें प्रजा बनाती हैं।

संत पापा ने कहा कि निश्चय ही महिलाओं की भूमिका मुक्ति इतिहास में महत्वपूर्ण है, यह केवल कलीसिया के लिए और विश्व के लिए हो सकती है किन्तु कितनी महिलाओं को प्रतिष्ठा नहीं मिल पाती है। महिला जिसने ईश्वर को दुनिया में लाया उनके वरदान को इतिहास में भी ला सकती है। ईशशास्त्र को इसकी जरूरत है ताकि यह अमूर्त और वैचारिक न हो। मरियोलोजी खासकर, कला और कविता के माध्यम से संस्कृति को बढ़ने, सुन्दरता को प्रकट करने में मदद देती है जो आशा का मानवीकरण करता है। यह कलीसिया में बपतिस्मा की गरिमा से शुरूकर महिलाओं के अधिक योग्य स्थान की खोज करने के लिए बुलायी गई है।  

संत पापा ने उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

24 October 2020, 14:56