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शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रार्थना सभा शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रार्थना सभा 

संत पापा ने शांति प्रार्थना सभा में भाग लिया

संत पापा फ्राँसिस ने 20 अक्टूबर को रोम के अराचेली स्थित संत मरिया महागिरजाघर में शांति हेतु संत इजिदो समुदाय द्वारा आयोजित 34वीं विश्व प्रार्थना सभा में भाग लिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 20 अक्तूबर 2020 (रेई)- असीसी के मनोभाव में आयोजित इस अंतरधार्मिक शांति प्रार्थना सभा की विषयवस्तु थी, "कोई भी अकेला बच नहीं सकता। शांति और भाईचारा।" असीसी में होनेवाले इस सभा को कोविड-19 आपातकाल के कारण रोम के कम्पिदोलियो हिल में आयोजित किया गया था। सभा में कुस्तुनतुनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष बर्थोलोमियो प्रथम तथा यहूदी, इस्लाम और बौद्ध धर्मों के प्रतिनिधि भी भाग लिये। 

इस अवसर को दो भागों में बांटा गया था- संध्या 4.25 बजे अराचेली के संत मरिया महागिरजाघर में विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों ने एक ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सभा में भाग लिया। संत पापा फ्राँसिस भी इस प्रार्थना सभा में उपस्थित थे। प्रार्थना सभा के बाद 5.15 बजे कम्पिदोलियो के प्रांगण में दूसरा समारोह हुआ जहाँ इटली के राष्ट्रपति सेरजो मत्तारेल्ला और इटली सरकार के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे। समारोह का समापन एक साथ शांति का आह्वान करते हुए किया गया।

संत पापा का संदेश

संत पापा ने प्रार्थना सभा के दौरान उपस्थित सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित कर कहा, "एक साथ प्रार्थना करना एक वरदान है। मैं आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूँ, विशेषकर, मेरे भाई, कुस्तुनतुनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष बरथोलोमियो, कैंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष जस्टिन और जर्मनी के एवंजेलिकल कौंसिल के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष हेनरिक।"

संत पापा ने कहा कि येसु की मृत्यु के पूर्व, घोर दुःख सहते हुए क्रूसित येसु को देखकर कई लोगों ने उनका मजाक किया, "अपने को बचा।" (मार. 15,30) उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा प्रलोभन है। यह किसी को नहीं छोड़ता है ख्रीस्तियों को भी नहीं। सिर्फ अपने आपको एवं अपनों को बचाने का प्रलोभन। अपनी ही समस्याओं एवं हित पर ध्यान देने का प्रलोभन, मानो कि दूसरी किसी चीज का कोई महत्व ही नहीं है। यह मानव स्वभाव है किन्तु गलत है। क्रूसित ईश्वर के लिए यह आखरी प्रलोभन था।

अपने को बचा लो- ये शब्द सबसे पहले उन लोगों के द्वारा कहे गये, जो वहाँ से गुजर रहे थे (29) वे साधारण लोग थे, उन्होंने येसु की शिक्षा सुनी थी एवं उनके चमत्कारों को देखा था। अब वे उनसे कह रहे हैं, अपने को बचा लो, क्रूस से उतर आओ। उनमें सहानुभूति की भावना नहीं थी। उन्हें सिर्फ चमत्कार चाहिए था। वे देखना चाहते थे कि येसु किस तरह क्रूस से नीचे उतरते हैं।

अक्सर हम भी चमत्कार देखना चाहते हैं- एक ऐसे ईश्वर को देखना चाहते हैं जो दया दिखाता, दुनिया की नजरों में शक्तिशाली है, जो अपनी शक्ति प्रदर्शित करता और हमारी बुराई चाहनेवालों को नष्ट कर देता है। संत पापा ने कहा कि यह वास्तव में ईश्वर नहीं है बल्कि हमारी सोच है। कितनी बार हम ईश्वर को अपनी छवि में देखते हैं जबकि हम उनकी छवि हैं। हम अपने समान ईश्वर चाहते हैं। इस तरह हम ईश्वर की पूजा करने के स्थान पर अपनी ही पूजा करने लगते हैं। यह पूजा उदासीनता के द्वारा पोषित होता है। जो लोग वहाँ से गुजर रहे थे उन्हें येसु पर रूचि सिर्फ अपने फायदे के लिए थी।  

अपने को बचा लो- इन शब्दों का उच्चारण करनेवाले दूसरे लोग थे, प्रधानयाजक एवं सदुकी। उन्होंने ही येसु को दण्ड दिलवाया था क्योंकि वे उन्हें खतरा मानते थे। हम भी अपने आपको बचाने के लिए दूसरों को क्रूसित करते हैं। प्रधानयाजकों ने उनकी निंदा की और कहा कि "इसने दूसरों को बचाया किन्तु यह अपने को नहीं बचा सकता।" (31) वे येसु के बारे जानते थे उन्होंने उनकी चंगाई देखी थी किन्तु उनका बुरा निष्कर्ष निकाला।  

अपने को बचा लो- अंततः वे लोग जो उनके अगल-बगल क्रूस पर लटकाये गये थे उन्होंने भी उनका मजाक उड़ाया। दूसरों की टीका-टिप्पणी करना, दूसरों के विरूद्ध बोलना, दूसरों की गलती पर उंगली दिखाना कितना आसान है, यहाँ तक कि कमजोर और बहिष्कृत लोगों को भी दोष देने से नहीं छोड़ा जाता है, पर हम इसे अपने लिए नहीं लेते। वे येसु से क्यों परेशान थे? क्योंकि येसु ने उन्हें क्रूस से नीचे नहीं उतारा। उन्होंने कहा, "अपने को और हमें भी बचा लो।" (लूक. 23,39) वे येसु को सिर्फ अपनी समस्या का समाधान करने के लिए देख रहे थे। किन्तु ईश्वर हमारी दैनिक समस्याओं का समाधान करने नहीं आये बल्कि वास्तविक समस्या से मुक्त करने आये, वह है प्रेम की कमी। यही हमारी व्यक्तिगत, सामाजिक, अंतरराष्ट्रीय एवं पर्यावरणीय बुराई की जड़ है, सिर्फ अपने लिए सोचना। यह बुराई का पिता है। तब एक डाकू येसु में विनम्र प्रेम को देखता है। वह सिर्फ एक चीज कर स्वर्ग राज में प्रवेश करता है, अपनी चिंता को येसु की ओर मोड़कर, अपने आप से निकलकर दूसरे व्यक्ति पर ध्यान देकर।

आइये, हम क्रूसित येसु से याचना करें कि वे हमें एकजुट और अधिक भाईचारा पूर्ण होने की कृपा दे। जब हम दुनिया के रास्ते पर चलने के प्रलोभन में पड़ें, हमें येसु के शब्दों की याद दिलाये, "जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है वह उसे खो देगा।" (मार. 8, 35) दुनिया की नजरों में जो घाटा है वही हमारी मुक्ति है। हम प्रभु से सीखें कि अपने आपको बचाने के लिए खुद को खाली कर सकें। (फिली.2,7) प्रभु हमें भाईचारा के रास्ते पर आगे बढ़ने में मदद दे और इस तरह हम सच्चे ईश्वर के विश्वसनीय गवाह बनेंगे।

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20 October 2020, 18:14