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विश्व आर्थिक मंच से पोप, अभिन्न विकास के केंद्र में मानव व्यक्ति

संत पापा फ्राँसिस ने विश्व आर्थिक मंच की स्थापना की 50वीं वर्षगाँठ पर मंच के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर क्लौस स्कवाब को एक संदेश भेजकर उन्हें अपनी प्रार्थनामय शुभकामनाएँ अर्पित की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 21 जनवरी 2020 (रेई)˸ विश्व आर्थिक मंच की 50वीं वर्षगाँठ समारोह में परमधर्मपीठ का प्रतिनिधित्व, समग्र मानव विकास के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन कर रहे हैं। 

एक बेहतर दुनिया

संत पापा ने संदेश में कहा, "इन सालों में विश्व आर्थिक मंच ने एक बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए नये और प्रभावी तरीके खोजने हेतु विविध हितधारकों के व्यवसाय के लिए एक अवसर प्रदान किया है। इसने एक रणभूमि प्रदान की है जहाँ राजनीतिक इच्छा और आपसी सहयोग को मार्गदर्शन और शक्ति मिल सकती है ताकि अलगाववाद, व्यक्तिवाद और वैचारिक उपनिवेशवाद जो आधुनिक युग में अधिक प्रभावी है, उनसे ऊपर उठा जा सके।"

इस वर्ष के लिए उनकी विषयवस्तु है, "एक सामंजस्यपूर्ण और सतत विश्व के लिए हितधारक - सभी स्तरों पर अधिक से अधिक जुड़ाव की आवश्यकता पर ध्यान, ताकि मानवता द्वारा सामना किये जानेवाले विविध मुद्दों का अधिक प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके।"

संत पापा ने विगत पाँच दशकों में आर्थिक से श्रम बाजार, डिजीटल तकनीकी एवं पर्यावरण में हुए परिवर्तनों के मद्देनजर आज की चुनौतियों पर गौर करते हुए कहा कि आज की चुनौतियाँ अर्ध-शताब्दी पहले की चनौतियों से भिन्न हैं। जब हम एक नया दशक शुरू कर रहे हैं तब कई सुविधाएँ प्रासंगिक बनी हुई हैं।  

समग्र मानव विकास  

उन्होंने संदेश में लिखा है कि हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम एक ही परिवार के सदस्य हैं। एक-दूसरे की सहायता करना इसी नैतिक सच्चाई से प्रस्फूटित होती है। अतः सत्ता अथवा लाभ से बढ़कर मानव व्यक्ति को ही प्रमुख स्थान दिया जाना चाहिए। यह कर्तव्य व्यापार एवं सरकार पर निर्भर करता है और हमारे सामने आने वाली चुनौतियों के समान समाधानों की तलाश में अपरिहार्य है। परिणामतः अल्पकालिक तकनीकी या आर्थिक पहुँच तथा वर्तमान समस्याओं के हल या भविष्य के प्रयासों का प्रस्ताव रखने के लिए, नैतिक आयाम पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए।

सार्वजनिक हित

संत पापा ने कहा है कि हर भौतिकवादी या उपयोगितावादी दर्शन बहुधा व्यक्तिगत लाभ की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इसके द्वारा सहानुभूति एवं उदारता में कमी आती है और साथ ही साथ अन्याय में भी वृद्धि होती है जबकि एक अभिन्न मानव विकास तभी फल-फूल सकता है, जब मानव परिवार के सभी सदस्यों को शामिल किया जाए और आम लोगों को आगे बढ़ाने में सहयोग दिया जाए।

संत पापा ने याद दिलाया कि विकास की खोज में हम दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को न रौंदे क्योंकि ऐसा कर हम अपने ही मूल्य को कमजोर करते हैं।

संत पापा ने विश्व आर्थिक मंच के पच्चास वर्षों की उपलब्धियों पर गौर करते हुए उम्मीद जतायी कि मंच के वर्तमान एवं भावी सदस्य अपने मन में इस बात को रख पायेंगे कि उन्हें अपने भाई-बहनों के अभिन्न विकास की बड़ी नैतिक जिम्मेदारी है।

संत पापा ने शुभकामनाएँ दी कि उनका विचार-विमर्श उन्हें लोगों के प्रति एकात्मता में वृद्धि की ओर अग्रसर करें, विशेषकर, जो अत्यन्त जरूरतमंद हैं, जो सामाजिक एवं आर्थिक अन्याय का सामना कर रहे हैं और जिसका अस्तित्व खतरे में है।

संत पापा ने सभी प्रतिभागियों को अपनी प्रार्थनामय शुभकामनाएँ देते हुए सभा की सफलता की कामना की और उन पर ईश्वर से प्रज्ञा के आशीष हेतु प्रार्थना की।

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21 January 2020, 16:49