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पोलैंड के ऑशविट्ज़ स्मारक स्थल की 75 वीं वर्षगांठ  पर उपस्थित अतिथि पोलैंड के ऑशविट्ज़ स्मारक स्थल की 75 वीं वर्षगांठ पर उपस्थित अतिथि 

स्मृति आवश्यक है, ऑशविट्ज़ के निदेशक साइविंस्की

27 जनवरी, 1945 को सोवियत सैनिकों ने द्वितीय विश्व युद्ध के सबसे बुरे मौत शिविरों में से एक ऑशविट्ज़ बिरकेनौ को आज़ाद कर दिया था। उस समय से यह एक यादगार अवसर बन गया है और हर साल अंतरराष्ट्रीय होलोकॉस्ट (बलिदान) दिवस के रूप में मनाया जाता है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 27 जनवरी, 2020 (वाटिकन न्यूज) : आज 27 जनवरी पोलैंड के ऑशविट्ज़ स्मारक स्थल की 75 वीं वर्षगांठ है। नाजियों द्वारा संचालित मौत शिविर से मुक्ति प्राप्त करीब दो सौ बचे लोग ऑशविट्ज़ बिरकेनौ स्मारक में इकट्ठा हुए। ये बुजुर्ग पुरुष और महिलाएं, वहां होने वाले अपराधों के जीवित गवाह हैं।

इस वर्षगांठ के अवसर पर, ऑशविट्ज़-बिरकेनौ मेमोरियल और संग्रहालय के निदेशक पीटर साइविंस्की ने वाटिकन न्यूज को बताया कि तेजी से बदलती दुनिया में होलोकॉस्ट को याद दिलाना बहुत आवश्यक है। 

होलोकॉस्ट में कुल 6 मिलियन लोगों को मार डाला गया था। सन् 1940 से 45 के बीच यहाँ करीब 1.1 मिलियन लोगों की हत्या कर दी गई, जिसमें संत एडिथ स्टाइन और संत फादर मैक्सिमिलियन कोल्बे शामिल थे, जिन्होंने एक अजनबी के बदले मरना स्वीकार किया था। ऑशविट्ज़ बिरकेनौ में उन सभी लोगों को या तो गोली मारकर, या गैस चैम्बर में या भूखा रखकर अथवा प्रताड़ित कर मार डाला गया था। जिनमें से अधिकांश यूरोप के यहूदी थे किन्तु युद्ध के कुछ पोलिश, रोमी और रूसी कैदी भी थे जिनकी मौत हुई थी।

स्मृति का महत्व

हाल ही में एक भाषण में, संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि "यदि हम अपनी याददाश्त खो देते हैं, तो हम अपने भविष्य को नष्ट कर देते हैं"। निर्देशक पीटर ने यह कहते हुए इन भावनाओं को प्रतिध्वनित किया कि तेजी से बदलती दुनिया में "स्मृति आवश्यक है"।

दुनिया के कई हिस्सों में स्वार्थ और उदासीनता में वृद्धि को देखते हुए, श्री साइविंस्की ने कहा कि "लोग भविष्य के बारे में डरते हैं", और जब लोग भयभीत होते हैं तो वे "खुद में बंद हो जाते हैं।"; उन्होंने कहा, "लोग दिन प्रति दिन स्वार्थी बनते जा रहे हैं। आज समाज ऐसी दिशा की ओर बढ़ता जा रहा है जो दुनिया के अन्य हिस्सों में होने वाली भयानक स्थितियों पर प्रतिक्रिया करने में सक्षम नहीं है।

उन्होंने कहा कि "राजनीति में भी हम लोकलुभावनवाद की एक नई लहर देख रहे हैं। एक "नफरत की नई विचारधारा" बोई जा रही है जो खुद को ज़ेनोफोबिया और यहूदी-विरोधी के रूप में प्रकट कर रही है जो समाज में भी दिखाई दे रही है। इसके प्रकाश में, स्मृति बहुत महत्वपूर्ण है।

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27 January 2020, 16:43