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सिनेमा-बिक्री संचालकों के काथलिक संघ के सदस्यों के साथ संत पापा  फ्राँसिस सिनेमा-बिक्री संचालकों के काथलिक संघ के सदस्यों के साथ संत पापा फ्राँसिस 

सिनेमा-बिक्री संचालकों के काथलिक संघ को संत पापा का संदेश

संत पापा ने इटली कलीसिया की सिनेमा और मनोरंजन से संबंधित सिनेमा-बिक्री संचालकों के संगठन की सत्तरवीं सालगिरह के अवसर पर मुलाकात की। अपने संदेश में उन्होंने संचार, रचनात्मकता और दृष्टि को केंद्रित करते हुए संदेश दिया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 07 दिसम्बर 2019 (रेई) :संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 7 दिसम्बर को वाटिकन के संत क्लेमंटीन सभागार में सिनेमा-बिक्री संचालकों के काथलिक संघ के करीब 400 सदस्यों के साथ मुलाकात की।  

संत पापा ने वाटिकन में सभी का स्वागत करते हुए सीईआई के महासचिव को उनके परिचय भाषण के लिए धन्यवाद दिया। संत पापा ने इटली कलीसिया की सिनेमा और मनोरंजन से संबंधित संगठन की सत्तरवीं सालगिरह समारोह में शरीक होने की खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यह वर्षगांठ अपने आप में एक पड़ाव नहीं है, बल्कि सत्तर साल पहले की गई प्रतिबद्धताओं को नवीनीकृत करने का अवसर है। इसके लिए, मैं आपको तीन कार्यों के बारे में संक्षेप में बताना चाहूंगा, जिसमें आप काम करते हैं।”

पहला: संचार

जैसा कि हम जानते हैं, सिनेमा लोगों को एक जगह जमा करने का एक बड़ा साधन है। विशेष रूप से युद्ध के बाद कई सामूहिक क्षणों में समाज को एक सामाजिक परिवेश के पुनर्निर्माण में एक असाधारण तरीके से योगदान दिया। फिल्मों द्वारा लोगों में आशा और जीवन जीने के उत्साह को स्थानांतरित किया गया। दैनिक चिंताओं और कठिनाइयों में भी एक साथ आना, राहत की सांस देता था। जीवन के लिए एक शैक्षिक और प्रशिक्षण का क्षण भी होता था। संत पापा ने उन महान प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए एक फिल्म "बच्चे हमें देखते हैं," के बारे में कहा कि यह एक सुंदर और सार्थक काम था।

संत पापा ने कहा, "हम ख्रीस्तियों को उस संचार को प्रकट करने के लिए कहा जाता है जो हमारी पहचान को विश्वासियों के रूप में चिह्नित करता है। वास्तव में विश्वास एक रिश्ता है, एक मुलाकात है और ईश्वर के प्रेम के आवेग के तहत हम दूसरे को समझ सकते, एक दूसरे को स्वीकार कर सकते तथा एक दूसरे के लिए उपहार बन सकते हैं।"(53 वें विश्व संचार दिवस के लिए संदेश, 24 जनवरी 2019)।

दूसरा: रचनात्मकता

 किसी भी कलात्मक अभिव्यक्ति की तरह फिल्म रचनात्मकता का फल है, जो इंसान की विशिष्टता, उसकी आंतरिकता और इरादे को उजागर करती है। जब कोई कारीगर अपना काम करता है, तो वह सिर, दिल और हाथों को एकीकृत करके एक स्पष्ट और परिभाषित डिजाइन बनाता है। संत पापा ने उन्हें रचनात्मकता को जगह देने, कल्पना करने और नए रास्ते की खोज करने हेतु प्रोत्साहित करते हुए कहा, “रचनात्मकता मौलिक है। हम अच्छी तरह जानते हैं कि नया डिजिटल प्लेटफॉर्म पारंपरिक मीडिया के लिए एक बड़ी चुनौती है।

यहां तक ​​कि सिनेमा भी आधुनिक प्रौद्योगिकियों के सामने चुनौतियों का सामना कर रही है। आपके संघ और संगठन, यदि वे "संग्रहालय" नहीं बनना चाहते हैं, तो इन चुनौतियों को सक्रिय और रचनात्मक रूप से लेना चाहिए। दुस्साहस, जैसा कि संस्थापकों के साथ हुआ, एक बार फिर सबसे आगे होने का आह्वान करता है, लेकिन एक अलग या अनियमित तरीके से नहीं, बल्कि एक साथ मिलकर।

तीसरा: दृष्टि (विजन)

संत पापा ने आगे कहा, “सिनेमा कार्य की दृष्टि, मानव आत्मा में कई झलक दिखा सकती है। यह सब उस भावनात्मक आवेश पर निर्भर करता है जो दृष्टि को दिया जाता है। वहाँ हँसी, क्रोध, भय, भावना, रुचि हो सकती है ... सब कुछ दृष्टि में जानबूझकर जुड़ा हुआ है, जो एक सरल नेत्र व्यायाम नहीं है, लेकिन यह वास्तविकता पर सेट किया गया दृष्टि है। दरअसल, दृष्टि आंतरिकता के सबसे विविध अभिविन्यास को प्रकट करती है, क्योंकि यह चीजों को देखने और अंदर की चीजों को देखने में सक्षम है।”

संत पापा ने उन्हें खुद से प्रश्न करने हेतु आमंत्रित किया जो सिनेमा से डील करते हैं, “क्या यह एक ऐसी भावना है जो भावनाओं को जगाती है? क्या यह एक ऐसा रूप है जो संचार और रचनात्मकता का संचार करता है? उत्तर स्पष्ट नहीं हैं और आंतरिक मंथन की एक बड़ी आवश्यकता है। आंख संचार करती है और जीवन शैली में संलग्न होती है अवलोकन सामुदायिक भवन की नींव है और आप अच्छी तरह से जानते हैं कि भविष्य के रास्तों में खुद को प्रोजेक्ट करने के लिए अतीत की बाधाओं को दूर करना कितना महत्वपूर्ण है। आप अपने जुनून और अपनी क्षमता को कलीसियाई अर्थ और शैली के साथ जीयें।”  

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07 December 2019, 15:01