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शांति के प्रतीक स्वरूप कबूतर उड़ाते संत पापा फ्राँसिस शांति के प्रतीक स्वरूप कबूतर उड़ाते संत पापा फ्राँसिस  

आगामी विश्व शांति दिवस हेतु संत पापा का संदेश

वाटिकन ने आगामी विश्व शांति दिवस 1 जनवरी 2020 के लिए, संत पापा फ्राँसिस के संदेश को प्रकाशित कर दिया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 12 दिसम्बर 19 (रेई)˸ वाटिकन ने आगामी विश्व शांति दिवस 1 जनवरी 2020 के लिए, संत पापा फ्राँसिस के संदेश को प्रकाशित कर दिया है।

आगामी विश्व शांति दिवस के लिए संत पापा फ्राँसिस के संदेश की विषयवस्तु है, "शांति आशा की एक यात्रा की तरह˸ वार्ता, मेल-मिलाप और पारिस्थितिक बदलाव।"

संत पापा ने अपने संदेश में कहा है कि "शांति, महान एवं मूल्यवान है, हमारी आशा का उद्देश्य एवं समस्त मानव परिवार की आकांक्षा है।" एक मानव के रूप में शांति के लिए हमारी आशा, मौजूदा तनाव के कारण है जो वर्तमान को सभी कठिनाइयों के साथ स्वीकार करना और जीना संभव बनाता है। इस तरह आशा एक सदगुण है जो हमें प्रेरित करती और जब बाधाएँ अलंघ्य प्रतीत हों तब भी आगे बढ़ाती है।

आज मानव परिवार की स्थिति

संत पापा ने याद किया है कि मानव परिवार अपने शरीर में युद्ध और संघर्ष के निशान लिये हुए है, विशेषकर, गरीबों और कमजोर लोगों में। कई निर्दोष लोग तिरस्कार और बहिष्कार, दुःख एवं अन्याय के शिकार हैं। क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय तनावों के कारण कितनों को क्रूर हिंसा का सामना करना पड़ता है।

युद्ध जो बहुधा दूसरों की पृथकता को स्वीकार नहीं कर सकने का परिणाम है, पीड़ा और वर्चस्व को बढ़ावा दिया है तथा स्वार्थ, अहंकार, घृणा, व्यंग, बहिष्कार और दूसरों को नष्ट कर देने की भावना में वृद्धि हुई है।       

संत पापा ने अतीत की विनाशकारी घटनाओं की यादों को बनाये रखने की सलाह दी है ताकि उनसे सीख लिया जा सके। उन्होंने कहा, "सभी राष्ट्र शोषण एवं भ्रष्टाचार की जंजीरों को तोड़ने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं जो हिंसा और घृणा को इंधन देता है। आज भी प्रतिष्ठा, भौतिक अखंडता, स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, सामुदायिक एकात्मता और भविष्य की आशा से बहुत सारे लोग वंचित हैं। संत पापा ने कहा है कि हर प्रकार के युद्ध भ्रातृघातक हैं जो मानव परिवार के भाईचारा के स्वभाविक गुण को नष्ट करते हैं।        

एक-दूसरे से डर, शांति और स्थिरता के अनुकूल नहीं

जापान में अपनी यात्रा की याद करते हुए संत पापा ने परमाणु हथियार के निराकरण के आह्वान की याद की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शांति और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता की स्थापना, एक-दूसरे के प्रति भय या पूर्ण विनाश का भय दिखाने से नहीं की जा सकती। उनका निर्माण केवल वैश्विक एकात्मता एवं सहयोग की भावना पर ही की जा सकती है।

भावी शांति के लिए अतीत की याद

संत पापा ने स्मृति को आशा की क्षितिज कहा। कई बार युद्ध और संघर्ष के अंधेरे में, एकात्मता का एक छोटा चिन्ह, साहसिक निर्णय लेने हेतु प्रेरित कर सकती है। यह नई शक्ति प्रदान कर सकती है एवं व्यक्ति एवं समुदाय के लिए आशा की ज्योति जला सकती है।

शांति निर्माता

संत पापा के संदेश के अंतिम भाग में स्मरण दिलाया गया है कि शांति एक ऐसी चीज है जिसका निर्माण निरंतर किया जाना चाहिए और यह एक यात्रा है जिसमें सार्वजनिक भलाई को ध्यान में रखकर एक साथ आगे बढ़ना चाहिए।  

दुनिया को खाली शब्दों की आवश्यकता नहीं है बल्कि ठोस साक्ष्यों और शांति निर्माताओं की आवश्यकता है जो उस वार्ता को बढ़ावा देते हैं जिसके द्वारा बहिष्कार या शोषण को दूर किया जा सके। 

स्पष्ट शब्दों में हम कह सकते हैं कि विचारधारा एवं अलग विचारों के परे सच्चाई की खोज में दृढ़ वार्ता के बिना हम शांति प्राप्त नहीं कर सकते। इस वार्ता के द्वारा हम शत्रुओं को भी भाई-बहन के रूप में देख सकते हैं। शांति प्रक्रिया के लिए धीरज, समर्पण और रचनात्मकता की जरूरत है। इसे धीरे-धीरे करके, आशा के रास्ते को खोलते हुए निर्मित किया जाना चाहिए जो प्रतिशोध की चाह से अधिक मजबूत होता है।  

एक-दूसरे को भाई-बहन के रूप में पहचानना

संत पापा ने संदेश में सभी लोगों से आग्रह किया है कि दूसरों पर हावी होने की चाह को त्याग दें तथा आह्वान किया है कि एक-दूसरे को एक व्यक्ति के रूप में एवं ईश्वर के पुत्र और पुत्री के रूप में देखें। आपस में भाई-बहन की तरह रहें क्योंकि केवल सम्मान के रास्ते को चुनकर हम प्रतिशोध के चक्कर को तोड़ सकते हैं और आशा की यात्रा पर आगे बढ़ सकते हैं।  

क्षमाशीलता में जीना सीखने के द्वारा हम शांति के स्त्री और पुरूष की क्षमता में बढ़ते हैं। इस बात पर गौर करते हुए कि सच्ची शांति केवल अधिक न्यायसंगत आर्थिक व्यवस्था से प्राप्त की जा सकती है, उन्होंने उसे मुक्त और एकता का चिन्ह कहा है।

पारिस्थितिक रूपांतरण: जीवन को देखने का एक नया तरीका

अपने प्रेरितिक विश्व पत्र लौदातो सी की याद करते हुए संत पापा ने पारिस्थितिक बदलाव लाने का आह्वान किया है ताकि दूसरों के प्रति विद्रोह, आमघर के लिए सम्मान की कमी या प्राकृतिक संसाधनों का दुरूपयोग, जिसमें समुदाय, सार्वजनिक कल्याण एवं प्रकृति को ध्यान दिये बिना, तत्काल लाभ प्राप्त करने की कोशिश की जाती है, उसका सही और निर्माणात्मक जवाब दिया जा सके।

उन्होंने कहा है कि अमाजोन पर हाल में हुई धर्माध्यक्षीय धर्मसभा हमें "समुदायों और भूमि, भूत एवं वर्तमान, अनुभव एवं आशा के बीच एक शांतिमय संबंध" के लिए समर्पण को नवीकृत करने के लिए यात्रा शुरू की गयी है।  

संत पापा ने इसे दुनिया को सुनने एवं चिंतन करने की यात्रा कहा है जिसको ईश्वर ने हमें हमारे आमघर को बनाने हेतु उपहार के रूप में प्रदान किया है।

"पारिस्थितिक बदलाव जिसके लिए हमारा आह्वान किया गया है हमें जीवन को एक नये तरीके से देखने के लिए प्रेरित करेगा, जो सृष्टिकर्ता की उदारता द्वारा हमें मिली है कि हम उनके आनन्द और शासन के सहभागी हो सकें।" संत पापा ने कहा है कि ख्रीस्तियों का येसु ख्रीस्त के साथ उनकी मुलाकात का प्रभाव, विश्व में उनके संबंधों में प्रकट हो।

हम जिसकी आशा करते उसे प्राप्त करते हैं

अपने संदेश के अंतिम अध्याय में संत पापा ने कहा है कि "मेल-मिलाप की यात्रा हमसे धैर्य एवं भरोसा की मांग करती है। शांति की प्राप्ति तब कर नहीं हो सकती जब तक कि इसकी आशा न की जाए।

उन्होंने जोर दिया है कि ईश्वर के प्रेम से प्रेरित होकर प्रत्येक जन को शांति की संभवना पर विश्वास करना आवश्यक है, जो मुक्तिदायी, असीम, मुक्त और अथक है।

उन्होंने भय, जिसका मूल संघर्ष है उससे ऊपर उठने का आह्वान किया है तथा ख्रीस्तीय जीवन के रास्ते पर, मेल-मिलाप के संस्कार से पोषित होकर, मुलाकात की संस्कृति को बढ़ावा देने, विश्वव्यापी बंधुत्व को सजीव बनाने का परामर्श दिया है जिसके लिए हमें हिंसा को मन, वचन और कर्म से त्यागना होगा चाहे, वह अपने पड़ोसी के प्रति अथवा ईश्वर की सृष्टि के प्रति हो।

अंत में, उन्होंने कहा है कि हमारे पिता ईश्वर की कृपा, असीम प्रेम के रूप में हममें डाली गयी है। ख्रीस्त में उनकी क्षमाशीलता को ग्रहण कर, हम अपने समय के लोगों के बीच, उसी शांति को प्रदान करने के लिए बाहर निकलें। पवित्र आत्मा हमें दिन प्रति दिन प्रेरित करे ताकि हम न्याय और शांति के शिल्पकार बन सकें।

 

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12 December 2019, 17:15