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कार्डिनल पियेत्रो परोलिन और स्पेन के प्रधान मंत्री पेद्रो संचेज (दायें) कार्डिनल पियेत्रो परोलिन और स्पेन के प्रधान मंत्री पेद्रो संचेज (दायें) 

मैड्रिड में कोप 25 के प्रतिभागियों को संत पापा का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने 2 से 13 दिसंबर तक मैड्रिड में चल रहे संयुक्त राष्ट्र की जलवायु सम्मेलन कोप 25 के अध्यक्ष और चिली के पर्यावरण मंत्री श्रीमती करोलिना श्मिट और सभी प्रतिनिधियों को एक संदेश भेजा, जिसे वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान पढ़ सुनाया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 04 दिसम्बर 2019 (रेई) : मैड्रिड में 2 से 13 दिसंबर तक संयुक्त राष्ट्र की जलवायु सम्मेलन कोप 25 में भाग लेने के लिए वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन गये हुए हैं। कार्दिनल परोलिन ने उदघाटन समारोह के दैरान संत पापा फ्राँसिस का संदेश पढ़ा।

संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने 12 दिसंबर, 2015 को कोप 21 द्वारा पर्यावरण पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए "प्रत्येक सदस्य देश द्वारा ठोस प्रतिबद्धता और उदार समर्पण की आवश्यकता पर जोर दिया।

संत पापा ने कहा कि मानवता के लिए मुख्य चुनौतियों में से एक, जलवायु परिवर्तन, पेरिस समझौते को लागू करने के सर्वोत्तम तरीकों की पहचान करने के उद्देश्य से कई बैठकें हुई और बहस में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के विभिन्न अभिनेताओं ने जागरूकता दिखाई है। अब आम घर के संरक्षण के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

 अफसोस की बात है कि चार साल के बाद भी, हमें यह स्वीकार करना होगा कि जलवायु परिवर्तन पर जागरूकता अभी भी कमजोर है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आइपीसीसी) की विशेष रिपोर्ट में वर्णित वैज्ञानिक डेटा द्वारा तीव्र कार्रवाई के लिए पर्याप्त रूप से प्रतिक्रिया करने में असमर्थ है। इन अध्ययनों से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन को कम करने और अनुकूल बनाने के लिए राष्ट्रों द्वारा की गई मौजूदा प्रतिबद्धताएं वास्तव में पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने से बहुत दूर हैं।

इस दृष्टिकोण से, हमें गंभीरता से खुद से पूछना चाहिए कि क्या जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए ईमानदारी, जिम्मेदारी और साहस के साथ, वित्तीय और तकनीकी संसाधनों को सबसे गरीब और सबसे कमजोर तथा पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए आवंटित कर रहे हैं।

कई अध्ययन हमें बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करना अभी भी संभव है। ऐसा करने के लिए हमें एक स्पष्ट, दूरदर्शी और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। उन क्षेत्रों की ओर फिर से वित्तीय और आर्थिक निवेश करना है जो वास्तव में "स्वस्थ" ग्रह पर मानवता के योग्य जीवन की स्थितियों की रक्षा करते हैं। यह सब हमें हमारे उपभोग और उत्पादन मॉडल के महत्व पर और शिक्षा एवं जागरूकता की प्रक्रियाओं को मानवीय गरिमा के अनुरूप बनाने के लिए कहता है।

हम आम भलाई और परिप्रेक्ष्य के परिवर्तन के पक्ष में "सभ्यता की चुनौती" का सामना कर रहे हैं, जो स्पष्ट रूप से जलवायु आपातकाल के "मानव चेहरे" में व्यक्त किया गया है। यह जानते हुए कि हमारे कार्य दूसरों पर आश्रित है, हमें अपने जिम्मेदार कार्यों के माध्यम से आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्रों में इस अवसर का लाभ उठाना होगा। युवा लोग आज इस "आपातकाल" से उत्पन्न होने वाली जटिल समस्याओं के प्रति संवेदनशील हैं। हमें पिछली पीढ़ियों के कारण होने वाली समस्याओं को अगली पीढ़ियों पर बोझ नहीं डालना चाहिए।

अंत में संत पापा ने कोप 25 के कामों की सफलता की कामना करते हुए उम्मीद प्रकट की कि हम अगली पीढ़ी को अच्छे और गरिमापूर्ण भविष्य की आशा प्रदान कर सकेंगे!

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04 December 2019, 16:52