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सन्त पापा फ्राँसिस स्कोलास ओकारेन्तस के युवाओं के संग - 25.11.2019 सन्त पापा फ्राँसिस स्कोलास ओकारेन्तस के युवाओं के संग - 25.11.2019 

जापानी स्कोलास ओकारेन्तेस के युवा सन्त पापा के साथ

टोकियो में सोमवार प्रातः सन्त पापा फ्राँसिस ने "स्कोलास ओकारेन्तेस" संगठन की जापानी शाखा के युवा प्रतिनिधियों से परमधर्मपीठीय राजदूतावास में मुलाकात की।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

टोकियो, सोमवार, 25 नवम्बर 2019 (रेई,वाटिकन रेडियो): टोकियो में सोमवार प्रातः सन्त पापा  फ्राँसिस ने "स्कोलास ओकारेन्तेस" संगठन की जापानी शाखा के युवा प्रतिनिधियों से परमधर्मपीठीय राजदूतावास में मुलाकात की।

"स्कोलास ओकारेन्तेस" की स्थापना 2001 में आर्जेन्टीना में स्कूली छात्रों को एकजुट करने के लिये की गई थी, ताकि उनमें शिक्षा, खेल-कूद और संस्कृति के माध्यम मानवीय मूल्यों का संचार किया जा सके। सन्त पापा फ्राँसिस के समर्थन से आज "स्कोलास ओकारेन्तेस" संगठन की शाखाएँ विश्व के कई राष्ट्रों में स्थापित हो गई हैं।

न्याय की स्थापना और युद्धों का अन्त

"स्कोलास ओकारेन्तेस" संगठन से जुड़े तथा इसकी पहलों में शामिल जापान के युवा प्रतिनिधियों ने सोमवार को सन्त पापा से मुलाकात कर उन्हें बताया कि वे शिक्षा हासिल करने के लिये संकल्परत हैं तथा उसे अपना मिशन मानते हैं ताकि विश्व में न्याय स्थापित हो तथा सभी युद्धों का अन्त हो सके। उन्होंने बताया कि "स्कोलास ओकारेन्तेस" की पहलों के तहत वे सभी धर्मों, जातियों एवं संस्कृतियों के युवाओं से मुलाकातें करते रहते हैं। 

विचार को व्यक्त करना ज़रूरी

इस अवसर पर जापान के "स्कोलास ओकारेन्तेस" संगठन के अध्यक्ष होसे देल कोराल ने सन्त पापा फ्राँसिस का अभिवादन किया तथा उन्हें एक विशाल कैनवस पर की गई पेन्टिंग अर्पित की। युवाओं के साक्ष्य के लिये धन्यवाद देते हुए सन्त पापा ने समझाया कि “प्रज्ञा का अर्थ केवल विचार नहीं हैं, बल्कि तीन तरह से उसकी अभिव्यक्ति करना है: "मनोमस्तिष्क से विचार को व्यक्त करना; दिल से मन की भावना को व्यक्त करना, तथा हाथ से उसपर ध्यान देना जो मैं करता हूँ।" सन्त पापा ने कहा, "आपके द्वारा अर्पित पेन्टिंग में आपने इन तीन अभिव्यक्तियों का उपयोग किया है और जब ये तीनों समरसता में व्यक्त की जाती हैं तब सही मायने में हमारी कृति रचनात्मक होती है।" युवाओं के साहस की सन्त पापा ने सराहना की तथा कहा कि अपने विचार अपने आप में ही रखना सुखकर है किन्तु उन्हें अन्यों पर प्रकट करना साहस का कार्य है।

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25 November 2019, 11:55