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समावेशी पूंजीवाद परिषद के सदस्यों के साथ संत पापा फ्राँसिस समावेशी पूंजीवाद परिषद के सदस्यों के साथ संत पापा फ्राँसिस 

समावेशी पूंजीवाद परिषद के सदस्यों को संत पापा का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन सें हो रहे परमधर्मपीठीय विभागों के अध्यक्षों की सभा के बाद समावेशी पूंजीवाद परिषद के सदस्यों को संबोधित किया। संत पापा ने कार्डिनल पीटर टर्कसन को उनके परिचय भाषण के लिए धन्यवाद दिया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार,11 नवम्बर 2019 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के बोलीविया कक्ष में समावेशी पूंजीवाद परिषद के सदस्यों से मुलाकात की। समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठ के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन को उनके परिचय भाषण के लिए धन्यवाद दिया।

संत पापा ने तीन साल पहले फॉर्च्यून-टाइम ग्लोबल फोरम 2016 में प्रतिभागियों के साथ हुई मुलाकात को याद किया जिसमें उन्होंने अधिक समावेशी और न्यायसंगत आर्थिक मॉडल की आवश्यकता को संबोधित किया, जो प्रत्येक व्यक्ति को इस दुनिया के संसाधनों में साझा करने की अनुमति देगा और उसकी क्षमता का एहसास करने के अवसर होंगे। 2016 के फोरम ने अधिक मानवीय अर्थव्यवस्था बनाने और वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन में योगदान देने के उद्देश्य से विचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु समावेशी पूंजीवाद के लिए परिषद को शुरु किया।  

समावेशी पूंजीवाद

संत पापा ने कहा, “आपने पूँजीवाद को समग्र मानव भलाई के लिए एक अधिक समावेशी साधन बनाने के तरीकों की तलाश करने की फोरम की चुनौती को स्वीकार किया है। यह बहिष्करण की अर्थव्यवस्था पर काबू पाने और कुछ लोगों द्वारा अत्यधिक सम्पत्ति और बड़ी संख्या में लोगों के सम्पत्ति के अंतर को कम करने के अंतराल को कम करता है। (सीएफ इवांजेली गौदियुम, 53-55)। वैश्विक स्तर पर गरीबी का बढ़ता स्तर व्यक्तियों और राष्ट्रों के सामंजस्यपूर्ण एकीकरण के बजाय असमानता की व्यापकता का गवाह है। एक आर्थिक प्रणाली जो निष्पक्ष, भरोसेमंद है और मानवता के सामने आने वाली सबसे गहन चुनौतियों को संबोधित करने में सक्षम है और हमारे विश्व की तत्काल आवश्यकता है। मैं आपको उदार एकजुटता के मार्ग पर चलने के लिए और एक नैतिक दृष्टिकोण के लिए अर्थशास्त्र और वित्त की वापसी के लिए काम करने हेतु प्रोत्साहित करता हूं जो मानवों के पक्ष में है।”  (सीएफ इवांजेली गौदियुम, 58)।

एक स्वस्थ आर्थिक प्रणाली

हाल के इतिहास पर एक नज़र, विशेष रूप से 2008 के वित्तीय संकट से हमें पता चलता है कि एक स्वस्थ आर्थिक प्रणाली दीर्घकालिक उत्पादक, टिकाऊ और सामाजिक रूप से जिम्मेदार विकास और निवेश किसी भी कीमत पर अल्पकालिक लाभ पर आधारित नहीं हो सकती है।

यह सच है कि “व्यापार एक महान व्यवसाय है, जो धन का उत्पादन करने और हमारी दुनिया को बेहतर बनाने के लिए निर्देशित है। यह उन क्षेत्रों के लिए समृद्धि का एक फलदायी स्रोत हो सकता है जहां यह संचालित होता है, खासकर अगर यह नौकरियों के सृजन को अपनी सेवा के एक सामान्य हिस्से के रूप में देखता है।”(लौदातो सी, 129)। हालाँकि, संत पापा ने कहा कि प्रामाणिक विकास को केवल आर्थिक विकास तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता है, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति और पूरे व्यक्ति के विकास को बढ़ावा देना चाहिए। अर्थात बजट को संतुलित करने, बुनियादी ढांचे में सुधार या उपभोक्ता वस्तुओं की एक विस्तृत विविधता की पेशकश करना।  इसमें स्वयं के व्यक्तिगत रूपांतरण और जरूरतमंद लोगों के प्रति उदारता के आधार पर ठोस आर्थिक मॉडल का नवीकरण, शुद्धिकरण और मजबूती शामिल है।

आर्थिक जीवन के नैतिक आयाम

संत पापा ने कहा कि नैतिकता से अलग एक आर्थिक प्रणाली अधिक सामाजिक व्यवस्था नहीं लाती है, बल्कि उपभोग और बर्बादी की संस्कृति को देती है। जब हम आर्थिक जीवन के नैतिक आयाम को पहचानते हैं, जो कि काथलिक सामाजिक सिद्धांत के कई पहलुओं में से एक है, जिसे अनिवार्य रूप से सम्मान दिया जाना चाहिए। हमें दूसरों की भलाई और उनके अभिन्न विकास के लिए उदारता के साथ दान और मदद करने की इच्छा को बरकरार रखना है। हमारी दुनिया जिन मुद्दों का सामना कर रही है और उसके बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए निर्णायक रूप से कार्य करने की अनिवार्यता को आपने पहचाना है। एक समावेशी पूंजीवाद जो किसी को पीछे नहीं छोड़ता है, जो हमारे भाइयों या बहनों में से किसी को भी नहीं छोड़ता है, वह एक महान आकांक्षा है, जो आपके सर्वोत्तम प्रयासों का फल है।

अंत में संत पापा ने कलीसिया के सामाजिक सिद्धांत के मूल सिद्धांतों के अनुरूप, अधिक न्यायपूर्ण और मानवीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उनकी प्रतिबद्धता की प्रशंसा करते हुए अपना हार्दिक आभार व्यक्त किया तथा उन्हें और उनके परिवार के लिए प्रार्थना करने का आश्वासन दिया।

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11 November 2019, 15:39