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उपदेश देते हुए संत पापा उपदेश देते हुए संत पापा 

'गरीब हमें सीधे ईश्वर के पास ले जाते हैं',संत पापा फ्राँसिस

संत पापा फ्रांसिस ने तीसरे विश्व दिवस के अवसर पर रोम के गरीबों संग मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए दोपहर का भोजन ग्रहण किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 18 नवम्बर 2019 (रेई) : गरीबों के तीसरे विश्व दिवस को चिह्नित करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर में रोम के कुछ गरीब लोगों और स्वयंसेवकों के साथ, जो बेघर और सबसे जरूरतमंदों की सहायता करते हैं, पवित्र मिस्सा बलिदान का अनुष्ठान किया। संत पापा  ने कहा, “गरीब स्वर्ग तक हमारी पहुँच को आसान बनाते हैं। वे कलीसिया के खजाने हैं।”

काथलिक कलीसिया 2017 से ही 33वें रविवार को ‘गरीबों का विश्व दिवस’ मनाती आ रही है। संत पापा फ्राँसिस ने दया के असाधारण जयंती के अंत में अपने प्रेरितिक पत्र, ‘मिसरिकोर्दिया एत  मिसेरा’ के स्मरणोत्सव पर विश्व गरीब दिवस की स्थापना की।

अपने प्रवचन में संत पापा ने कहा कि दुनिया की सभी वस्तुएँ नष्ट हो जायेंगी। वास्तव में जीवन में क्या मायने रखता है। संत पापा ने विश्वासियों को हमेशा जीवित ईश्वर को अपने में वहन करने हेतु आमंत्रित किया वे "हमारे द्वारा उनके लिये बनाए गए किसी भी भव्य मंदिर से कई गुणा अधिक बड़े हैं और मानव व्यक्ति, हमारे पड़ोसी, दुनिया के सभी मूल्यवान वस्तुओं से अधिक मूल्यवान हैं। इसलिए, जीवन में वास्तव में क्या मायने रखता है, इसे महसूस करने के लिए येसु ने हमें दो प्रलोभनों के बारे में चेतावनी दी है।

जल्दबाजी का प्रलोभन

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि पहलाः जल्दबाजी का प्रलोभन है और उन्होंने उन लोगों के खिलाफ चेतावनी दी जो हमें बताते हैं कि अंत तुरंत आ रहा है, या अंत आ गया है।

उन्होंने कहा, “कितनी बार, हम सब कुछ जानने की तीव्र जिज्ञासा में बहक जाते हैं।  नवीनतम सनसनीखेज या निंदनीय समाचारों द्वारा, मनगढंत भयानक कहानियों द्वारा या उन लोगों द्वारा जो जोर से और गुस्से में चिल्लाते हैं, उन लोगों द्वारा जो हमें बताते हैं कि यह "अभी या कभी नहीं" है। इस तरह की जल्दबाजी, ईश्वर से नहीं आती है।”

संत पापा ने कहा कि इस जल्दीबाजी में हम ईश्वर के लिए भी समय नहीं दे पाते हैं। हमारे पड़ोसी, गरीब, बुजुर्ग और लाचार जिन्हें हमारी जरुरत है, उनके लिए भी हमारे पास समय नहीं है।

संत पापा ने कहा कि जल्दबाजी के प्रलोभन से ऊपर उठने के लिए येसु हमें जीवन में मायने रखने वाली बातों पर दृढ़ता से अमल करने को कहते हैं और वो है : “ईश्वर और हमारे पड़ोसी।”

आत्म-केंद्रितता का प्रलोभन

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि एक ख्रीस्तीय को खुद पर केंद्रित नहीं अपितु दूसरे पर केंद्रित होना चाहिए। एक सच्चा ख्रीस्तीय येसु की भाषा याने प्रेम की भाषा का प्रयोग करता है। अहं का त्याग कर दूसरों के हित के लिए कार्य करता है। वह उन गरीबों की मदद करता है जो उसका बदला चुका नहीं सकते हैं।

गरीब स्वयं की भाषा नहीं बोलते

संत पापा ने कहा "गरीब ईश्वर की दृष्टि में मूल्यवान हैं क्योंकि वे स्वयं की भाषा नहीं बोलते हैं: वे अपने दम पर, अपनी ताकत से खुद का समर्थन नहीं करते हैं, उन्हें किसी की जरूरत है। गरीब हमें याद दिलाते हैं कि हमें किस तरह से सुसमाचार को जीना चाहिए: भिखारियों के जैसे हमें ईश्वर के पास आनी चाहिए।”  

संत पापा ने कहा, "जब गरीब हमारे दरवाजों पर दस्तक देते हैं, तो उनपर नाराज़गी दिखाने के बजाय, हम उनकी जरुरत को महसूस करें। उन्हें एक मानव के रुप में सम्मान दें, उनका स्वागत करें। उन्हें ईश्वर की नजरों से देखने की कोशिश करें।  

गरीब हमें सीधे ईश्वर के पास ले जाते 

संत पापा ने अंत में कहा कि दुनया में बहुत सारी चीजें घटनाएँ आती-जाती रहेंगी, परंतु ईश्वर का प्रेम अटल है, क्योंकि “ईश्वर प्रेम है।” वे गरीब व्यक्ति जो मुझसे प्रेम और उदारता की आशा करते हैं मुझे स्वर्ग और ईश्वर के पास सीधे ले जाते हैं। वे कलीसिया के और हमारे खजाने हैं। गरीबी हमारे लिए उस धन को प्रकट करती है जो कभी समाप्त नहीं होता, जो स्वर्ग और पृथ्वी को एकजुट करता है, वह धन जिनके लिए जीवन वास्तव में जीने लायक है, वह है “प्रेम का धन।”

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18 November 2019, 16:28