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धर्मसभा का समापन पर प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस धर्मसभा का समापन पर प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस 

गरीबों की प्रार्थना स्वर्ग तक पहुंचती है, समापन पर संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने पान-अमाजोन क्षेत्र के लिए धर्माध्यक्षीय के धर्मसभा का समापन संत पेत्रुस महागिरजाघर में पवित्र मिस्सा समारोह के साथ किया। अपने प्रवचन में, उन्होंने प्रार्थना के तीन मॉडल प्रस्तुत किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 28 अक्टूबर 2019 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा ने रविवारीय पाठ के आधार पर प्रवचन तीन व्यक्तियों पर केंद्रित किया : एक फरीसी, एक नाकेदार और एक गरीब व्यक्ति। उनमें से प्रत्येक हमें प्रार्थना करने के तरीके के बारे में बतलाते हैं कि किस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए और किस प्रकार की प्रार्थना "ईश्वर को अच्छे लगते" हैं।

फरीसी की प्रार्थना

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि फरीसी ईश्वर का धन्यवाद करते हुए अपनी प्रार्थना की शुरुआत अच्छी तरह से करता है, "क्योंकि सबसे अच्छी प्रार्थना धन्यवाद और प्रशंसा है"। तुरंत बाद वह कहता है कि वह ईश्वर का आभारी है क्योंकि वह "अन्य पुरुषों की तरह नहीं है"। आत्म-आश्वासन से भरा हुआ "आज्ञाओं का पालन करने वाला, अपनी योग्यता और गुणों व अपनी क्षमताओं के बारे में बताता है, वह केवल खुद पर केंद्रित है। वह प्रेम विहीन व्यक्ति है। फरीसी प्रार्थना करने के बजाय खुद की प्रशंसा करता है"। वह ईश्वर के मंदिर में खड़ा खुद की पूजा करता है। वह ईश्वर और अपने पड़ोसी दोनों को भूल जाता है, और दूसरों को "बेकार" मानता है, जिनसे वह दूरी बनाए रखता है।

संत पापा ने कहा कि कितनी बार प्रमुख पदों पर बैठे लोग "दूरियां बढ़ाने के लिए दीवारें खड़ी करते हैं, दूसरे लोगों को और भी अधिक गिरा हुआ, छोटा महसूस कराते हैं", उनकी परंपराओं को तिरस्कृत करते हुए, उनके इतिहास को मिटाते हुए, उनके जमीनों पर कब्जा करते हुए उनकी सारी सम्पति को हड़प लेते हैं। "अत्याचार और शोषण में तब्दील हो चुकी कथित श्रेष्ठता, आज भी मौजूद है।"

अमाजोन का चेहरा

संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "अमाजोन के झुलसे हुए चेहरे में", हमने देखा है कि "अतीत की गलतियाँ अन्य व्यक्तियों की लूट और हमारे भाइयों एवं बहनों और हमारी बहन पृथ्वी पर घावों की बाढ़ को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं थीं।" उन्होंने कहा कि संस्कारों और प्रार्थनाओं के साथ स्वयं की पूजा का पाखंडी रूप जारी है, "ईश्वर की सच्ची पूजा को भूल जाना जो हमेशा पड़ोसी के प्रेम में व्यक्त किया जाता है।"

संत पापा ने "अपने आप को श्रेष्ठ न मानने के लिए और न ही निंदक और निकम्मे बनने के लिए ईश्वर से कृपा मांगी।

नाकेदार की प्रार्थना

संत पापा ने कहा कि नाकेदार की प्रार्थना हमें यह समझने में मदद करती है कि ईश्वर को कैसी प्रार्थना पसंद है। नाकेदार ने ईश्वर के सामने अपनी कमजोरी को प्रकट किया और अपने पापों को स्वीकार किया। उसने दूर खड़े होकर सारे दिल से छाती पीटते हुए प्रभु से विन्ती की क्योंकि प्रभु हृदय में रहते हैं। 

आगे संत पापा ने कहा कि ईश्वर के सामने तन कर खड़े होना, अभिमान, भ्रम, बहाने या औचित्य के बिना प्रार्थना करना, अंधेरा और झूठ ये सब शैतान से आते हैं। प्रकाश और सत्य ईश्वर से आते हैं।

उन्होंने कहा, "हम फरीसी और नाकेदार दोनों हैं। हम नाकेदार हैं क्योंकि हम पापी हैं और थोड़ा फरीसी हैं क्योंकि हम अभिमानी हैं।" "यह अक्सर खुद के साथ काम कर सकता है, लेकिन ईश्वर के साथ नहीं"। हमें खुद को याद दिलाना है कि हम गरीब हैं",क्योंकि ईश्वर का उद्धार केवल आंतरिक गरीबी के वातावरण में संचालित होता है।"

गरीब व्यक्ति की प्रार्थना

संत पापा ने कहा कि गरीब की प्रार्थना सीधे ईश्वर के पास पहुँचती है। प्रवक्ता ग्रंथ के शब्दों में, "यह स्वर्ग तक पहुंच जाएगी"। गरीब खुद को दूसरों से आगे नहीं रखता, इस जीवन में केवल ईश्वर ही उसका धन है और इसलिए वह गरीब ख्रीस्तीय भविष्यवाणी का जीवित प्रतीक है।”

संत पापा ने कहा कि पान-अमाजोन क्षेत्र के लिए धर्माध्यक्षों की धर्मसभा को "गरीबों की आवाज़ सुनने और उनके जीवन की अनिश्चितता पर चिंतन करने की कृपा मिली थी। धर्मसभा ने उन लोगों को भी सुना जिन्होंने यह परीक्षण किया है कि निर्मित दुनिया का इलाज करना संभव है "शोषण किए जाने वाले संसाधन के रूप में नहीं, बल्कि ईश्वर में विश्वास करते हुए आमघर को संरक्षित किया जाना चाहिए"।

प्रवचन के अंत में संत पापा ने प्रार्थना की कि हम सभी गरीबों के रोने की आवाज़ सुनने में सक्षम हो सकें : यह कलीसिया की आशा का क्रंदन है। “जब हम उनके क्रंदन को अपना बना लेंगे, तो हमारी प्रार्थना भी स्वर्ग तक पहुँच जाएगी।”

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28 October 2019, 16:47