येसु-मरिया की धर्मबहनों से पोप, ईश्वर की अच्छाई के साक्षी बनें
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 5 अक्तूबर 2019 (रेई) येसु-मरिया धर्मसमाज की स्थापना संत क्लौदिना थेवेनेट ने गरीबों की सेवा और छोटे बच्चों की देखभाल के लिए की थी। 200 साल पुराना यह धर्मसमाज आज 28 देशों में एवं 4 महादेशों में फैल चुका है। यह उसके अथक रूप से चलते रहने की कहानी को बयाँ करती है। जिस तरह मरियम अपनी कुटुम्बनी एलिजाबेथ से मुलाकात करने जाती हैं उसी तरह यह धर्मसमाज आनन्द और आशा के साथ आगे बढ़ रहा है ताकि ईश्वर के प्रेम एवं उनकी अच्छाइयों को बांट सके।
महासभा की विषयवस्तु है, "प्रेरितिक परिवार के रूप में, आशा के साथ, रास्ते पर।" संत पापा ने येसु-मरिया की धर्मबहनों को साक्ष्य देने के तीन रास्ते बतलाये-
ईश्वर की करूणामय औक अच्छाई का साक्ष्य
संत पापा ने कहा कि संस्थापिका संत क्लौदिना ने यही अनुभव किया था। उन्होंने ईश्वर की अच्छाई और उनकी करुणा को पहचाना, जो क्षमा कर देते हैं। जिस दिन उन्होंने अपने निज भाई पर गोली चलते देखा और क्षमा करने के संदेश को पाया, उन्होंने ईश्वर की नजरों में सच्चाई को देखा जो अच्छे हैं और लोगों से बेशर्त प्रेम करते हैं।
संत पापा ने कहा कि ईश्वर हम पर नजर डालते हैं और हम उनकी करुणा को महसूस करते हैं इस तरह अपनी अच्छाई एवं प्रेम द्वारा हकीकत को बदल देते हैं। संत पापा ने धर्मबहनों के महासभा के दौरान अपनी बुलाहट एवं प्रेरिताई पर चिंतन करते हुए दुनिया के दुःखों के बीच ईश्वर की नजर और उनके स्पर्श को महसूस करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "हमें अपनी दुनिया को सहानुभूति, बिना भय, बिना पूर्वाग्रह के, साहस के साथ, आनन्द और आशा से ईश्वर की नजरों से हमारे भाई-बहनों के लिए देखना चाहिए। हमें अपने जीवन, वचन तथा सेवा एवं प्रेरिताई के कार्यों द्वारा येसु एवं मरियम के प्रेम का साक्ष्य देना है।
भाईचारा एवं एकात्मता का रास्ता
संत पापा ने कहा कि वे प्रेरितिक ईकाई हैं जो भ्रातृत्वपूर्ण समुदाय में रहते हैं। वे एक दूसरे को येसु का अनुसरण करने और नई बुलाहट की प्रेरणा देने के लिए प्रोत्साहन दें। इसके लिए यह आवश्यक है कि समुदाय में सुसमाचारी संबंध स्थापित किये जाएँ ताकि मिशन में एक-दूसरे के साथ भाईचारापूर्ण प्रेरितिक संबंधों द्वारा वे दूसरी युवा महिलाओं को समर्पित जीवन की ओर आकर्षित कर सकेंगे। इस तरह जीवन के साक्ष्य द्वारा वे ख्रीस्त का अनुसरण करने के आनन्द को प्राप्त करेंगे।
आत्मपरख एवं परे जाने का साहस
कलीसिया मिशनरी है क्योंकि ईश्वर पहले मिशनरी हैं। ईश्वर द्वार खोलते हैं दुनिया में प्रवेश करते और उसे अपनाते हैं। संत पापा ने कहा कि वे अपने जीवन से और सुसमाचार का साक्ष्य देने के द्वारा इसी मिशन में भाग लेते हैं। प्रेम कार्य में प्रकट होता है अतः वे अपनी प्रेरिताई द्वारा ईश्वर की अच्छाई को प्रकट करने से न थकें। संत क्लौदिना ने दो अनाथ बच्चों को अपनाया था किन्तु आज की परिस्थिति रचनात्मक ढंग से येसु और मरियम को प्रकट करने की मांग कर रही है। इसके लिए उन्हें संस्थापिका के समान बाहर निकलना है। उन्हें आत्मपरख करने की जरूरत है ताकि वे सही राह पर आगे बढ़ें। उन्हें यह जाँच करना है कि क्या वे अपने कार्यों, प्रेरिताई एवं उपस्थिति में पवित्र आत्मा को प्रत्युत्तर दे पा रहे हैं।
सुसमाचार प्रचार हेतु नये माध्यमों की खोज
संत पापा ने उन्हें आत्मजाँच करने, मूल्यांकन करने और चुनने की सलाह दी ताकि वे बेहतर प्रत्युत्तर दे सकें जिसकी आज ईश्वर उनसे मांग कर रहे हैं। आज सुसमाचार प्रचार के नये माध्यमों की खोज करने की जरूरत है किन्तु हमेशा यह ध्यान देते हुए कि हम प्रेरितिक समुदाय हैं क्योंकि अकेले समर्पण का कोई भविष्य नहीं है।
संत पापा ने कलीसिया एवं विश्व में उनके अच्छे कामों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने प्रार्थना की कि धन्य कुँवारी मरियम इस रास्ते पर उनका साथ दे ताकि वे संत क्लौदिना की तरह भाई-बहनों की खोज कर सकें।
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