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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

देवदूत प्रार्थना में पोप, ईश्वर के साथ पाप अंतिम शब्द नहीं है

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित किया। उन्होंने सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ कुछ लोगों के द्वारा येसु की आलोचना की जाती है जिन्होंने उन्हें पापियों एवं नाकेदारों के साथ देखा था।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 16 सितम्बर 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 15 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज का सुसमाचार पाठ (लूक. 15,1-32) कुछ लोगों के द्वारा येसु की आलोचना से शुरू होता है जिन्होंने उन्हें पापियों एवं नाकेदारों के साथ देखा था। वे यह कहते हुए भुनभुनाते हैं, ''यह मनुष्य पापियों का स्वागत करता है और उनके साथ खाता-पीता है''। (पद. 2) यह वाक्य वास्तव में एक सुन्दर घोषणा बन गई। येसु पापियों का स्वागत करते और उनके साथ खाते हैं। संत पापा ने कहा कि "यही हमारे साथ होता है, हर ख्रीस्तयाग में एवं हर गिरजाघर में।" येसु सहर्ष अपने भोज में हम सभी का स्वागत करते हैं और हमें अपने आपको अर्पित करते हैं। गिरजाघर के द्वार पर हमें इस वाक्य को अंकित करना चाहिए, "यहाँ येसु पापियों का स्वागत करते और उन्हें अपने भोज में निमंत्रण देते हैं।"

भुनभुनाने वालों को जवाब देते हुए येसु ने तीन दृष्टांत सुनाया। ये तीनों दृष्टांत उन लोगों के लिए आशा के संदेश हैं जो अपने आपको उनसे दूर महसूस करते हैं। संत पापा ने सभी विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा कि आज हम प्रत्येक के लिए यही अच्छा होगा कि हम संत लूकस रचित सुसमाचार के अध्याय 15 को लें और इन तीनों दृष्टांतों को पढ़ें।

पहला दृष्टांत

पहले दृष्टांत में कहा गया है, ''यदि तुम्हारे एक सौ भेड़ें हों और उन में एक भी भटक जाये, तो तुम लोगों में कौन ऐसा होगा, जो निन्यानबे भेड़ों को निर्जन प्रदेश में छोड़कर न जाये और उस भटकी हुई को तब तक न खोजता रहे, जब तक वह उसे नहीं पाये?" (पद. 4)

संत पापा ने कहा कि आप में से कौन एक अच्छा आदमी नहीं होगा जो तुरन्त हिसाब करके 99 भेड़ों को सुरक्षित रखने के लिए एक का त्याग करेगा। ईश्वर दूसरी ओर, ऐसा नहीं करते। उनमें हम प्रत्येक अपनी सुरक्षा महसूस करते हैं। उनके प्रेम की सुन्दरता को हम अच्छी तरह समझ नहीं पाते हैं।

दूसरा दृष्टांत

संत पापा ने कहा, "आप जो उन्हें अपने हृदय के केंद्र में जगह नहीं देते, जो अपने पापों से ऊपर नहीं उठ सकते, शायद कुछ बुरी घटनाएं जो आपके जीवन में घटी हैं उनके कारण आप प्रेम पर विश्वास नहीं करते।" इस दूसरे दृष्टांत में आप वही छोटे सिक्के हैं जिसको प्रभु छोड़ नहीं देते बल्कि लगातार खोजते हैं। वे बतलाना चाहते हैं कि आप उनकी नजरों में मूल्यवान हैं, अनुठे हैं। ईश्वर के हृदय में आपका स्थान कोई नहीं ले सकता।

तीसरा दृष्टांत

तीसरे दृष्टांत में ईश्वर एक पिता हैं जो अपने ऊड़ाव पुत्र के लौटने का इंतजार करते हैं। ईश्वर हमेशा हमारी प्रतीक्षा करते हैं। वे कभी नहीं थकते और न ही निराश होते हैं। हम प्रत्येक ऊड़ाव पुत्र हैं जिन्हें फिर से गले लगाया गया है, खोये सिक्के हैं जिन्हें पाया गया है और भटकी भेड़ें हैं जिसको खोजा और अपने कंधे पर बिठाया गया है। वे हर दिन हमारा इंतजार करते हैं कि हम उनके प्रेम को पहचानें। संत पापा ने कहा कि हम कह सकते हैं कि मैंने कई चीजों को एक साथ मिलाया है। उन्होंने कहा, आप नहीं डरें, ईश्वर आपको प्यार करते हैं, आप जैसे हैं वैसे ही प्यार करते हैं और वे जानते हैं कि सिर्फ उन्हीं का प्रेम आपके जीवन को बदल सकता है।  

ईश्वर की क्षमाशीलता

हम पापियों के लिए ईश्वर का असीम प्रेम जो सुसमाचार का केंद्र है क्या उसका तिरस्कार किया जा सकता है। यही दृष्टांत के बड़े बेटे ने किया। उसने उस परिस्थिति में उनके प्रेम को नहीं समझा और उसने उन्हें पिता से बढ़कर एक मालिक के रूप में देखा। यह हमारे लिए भी एक खतरा है कि हम ईश्वर को करुणावान की अपेक्षा एक कठोर व्यक्ति के रूप में देखते हैं। ईश्वर को क्षमाशीलता की अपेक्षा बल प्रयोग द्वारा बुराई पर विजय पाने की कल्पना करते हैं। संत पापा ने कहा कि ऐसा नहीं है, ईश्वर हमें प्रेम से बचाते हैं बल प्रयोग द्वारा नहीं। वे हमारे सामने विकल्प रखते हैं न कि दबाव डालते। बड़ा पुत्र जिसने अपने पिता की दया को अस्वीकार किया, अपने आप को बंद कर लिया और बड़ी गलती की। उसने अपने आपको सही ठहराया, धोखा किया गया माना और सब कुछ का न्याय अपने विचार अनुसार किया। अतः वह अपने पिता पर क्रूद्ध हो गया और उनसे शिकायत की, "जिसने वेश्याओं के पीछे आपकी सम्पत्ति उड़ा दी है, आपने उसके लिए मोटा बछड़ा मार डाला है।" ( पद. 30) वह उसे अपना भाई नहीं माना, बल्कि कहा "आपका बेटा"। वह सिर्फ अपने आपको उनका बेटा मानता था। संत पापा ने कहा कि हम भी गलती करते हैं जब हम अपने आपको सही मानते और बुरे लोगों को हेय की दृष्टि से देखते हैं। आइये, हम सिर्फ अपने आपको ही अच्छा न मानें क्योंकि ईश्वर जो अच्छे हैं उनकी सहायता के बिना हम बुराई से बाहर नहीं निकल सकते। संत पापा ने पुनः सुसमाचार का पाठ करने की सलाह दी।

किस तरह बुराई पर विजय पाया जा सकता है?

आप किस तरह बुराई पर विजय पा सकते हैं? संत पापा ने कहा कि हम ईश्वर एवं भाई-बहनों की क्षमाशीलता को स्वीकार करते हुए इस पर विजय पा सकते हैं। संत पापा ने कहा कि जब कभी हम पापस्वीकार संस्कार में भाग लेते हैं हम ऐसा कर सकते हैं। हम वहाँ पिता के प्रेम को ग्रहण करते और अपने पापों से ऊपर उठते हैं। ईश्वर जब हमें क्षमा करते हैं तब वे हमारे पापों को भी भूल जाते। वे बहुत अच्छे हैं वे जैसा व्यवहार नहीं करते हैं। हम जब किसी को क्षमा देते हैं और कहते हैं कि सब कुछ ठीक है फिर भी पहला मौका मिलते ही रूचि के साथ उसकी याद करते और बदला चुकाने की कोशिश करते हैं। जबकि ईश्वर बुराई को मिटा देते हैं वे हमें अंदर से नया बना देते और नया जन्म प्रदान करते हैं। हमें आनन्द से भर देते और उदासी, अंधेरा एवं संदेह को दूर कर देते हैं।  

माता मरियम हमारी सहायिका

संत पापा ने विश्वासियों को प्रोत्साहन देते हुए कहा, भाइयो एवं बहनों, साहसी बनें। ईश्वर के साथ पाप अंतिम शब्द नहीं है। हमारी माता मरियम जो जीवन की कठिनाइयों में हमारा साथ देती हैं हमें अपने आपको न्याय-संगत ठहराने के बहाने से मुक्त करे तथा प्रभु के पास जाने की आवश्यकता महसूस कराये जो हमेशा हमारा इंतजार करते हैं कि हमें गले लगा सकें और क्षमा प्रदान कर सकें।  

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थन का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितक आशीर्वाद दिया।

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16 September 2019, 14:12