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सन्त पापा फ्रांसिस के दर्शन हेतु पहुँची महिलाएं, मडागास्कर, 08.09.2019 सन्त पापा फ्रांसिस के दर्शन हेतु पहुँची महिलाएं, मडागास्कर, 08.09.2019 

विक्टोरे राज़ोमानारिवो की समाधि की भेंट

मडागास्कर के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात के अवसर पर सन्त पापा फ्रांसिस ने समस्त नागरिकों के अखण्ड विकास का आह्वान करते हुए धन्य विक्टोरे राज़ोमानारिवो को इस दिशा में अग्रसर होने के लिये आदर्श निरूपित किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकनसिटी

अन्तानानारिवो, रविवार, 8 सितम्बर 2019 (रेई, वाटिकन रेडियो): मडागास्कर के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात के अवसर पर सन्त पापा फ्रांसिस ने समस्त नागरिकों के अखण्ड विकास का आह्वान करते हुए धन्य विक्टोरे राज़ोमानारिवो को इस दिशा में अग्रसर होने के लिये आदर्श निरूपित किया। शनिवार सन्ध्या सन्त पापा ने मडागास्कर की इसी धन्य महिला की समाधि पर श्रद्धार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की थी।

मडागास्कर के नेताओं से उन्होंने कहा, "कलीसिया के रूप में,  हम आपकी साथी नागरिक धन्य  राज़ोमानारिवो के संवाद करने के तरीके का अनुसरण करना चाहते हैं। इस धरती तथा इसकी परम्परराओं के प्रति उनका प्रेमपूर्ण साक्ष्य, येसु ख्रीस्त में विश्वास के प्रतीक स्वरूप निर्धनों के प्रति उनकी निष्कपट सेवा, हमें वह मार्ग दिखाते हैं जिसपर चलने के लिये हम सब आमंत्रित हैं।"

काथलिक धर्म का आलिंगन  

सन् 1848 ई. में धन्य विक्टोरे का जन्म अन्तानानारिवो में एक समृद्ध जनजातीय परिवार में हुआ था। फ्राँस के येसु धर्मसमाजी मिशनरियों के कार्यों से प्रभावित होकर सन् 1863ई. में उन्होंने बपतिस्मा संस्कार ग्रहण कर ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया था। हालांकि, विक्टोरे ने काथलिक धर्म का आलिंगन कर लिया था उनके माता-पिता ने उनका विवाह एक सैन्य अफसर से करा दिया जो उनका ही चचेरा भाई था। पति के शराबी, अय्याशी और साथ ही हिंसक होने की वजह से विक्टोरे को नाना प्रकार के कष्ट सहने पड़े किन्तु वे पतिव्रता रहीं।         

कल्याणकारी सेवा

सन् 1883 ई. में फ्राँको-मलगाशी संघर्ष के दौरान काथलिक मिशनरियों को देश से निकाल दिया गया था किन्तु विक्टोरे काथलिक धर्म का पालन करती रहीं तथा काथलिकों की मदद के लिये उन्होंने मरियम भक्ति को आधार मानकर "लूनियोन कैथोलिक" नामक  एक आंदोलन की स्थापना की। तदोपरान्त, विक्टोरे आजीवन निर्धनों एवं कुष्ठ रोगियों की सेवा में जुटी रहीं। बताया जाता है कि उनके कार्यों से प्रभावित होकर उनके पति ने भी मरते समय उनसे क्षमा याचना कर बपतिस्मा ग्रहण कर लिया था।

निधन और धन्य घोषणा  

लगभग चार वर्षों तक बीमार रहने के बाद, 21 अगस्त, सन् 1894 को विक्टोरे का निधन हो गया था। सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने 9 मई सन् 1985 को विक्टोरे द्वारा सम्पादित एक चमत्कार को अनुमोदन दिया था तथा 30 अप्रैल सन् 1989 ई. को उन्होंने विक्टोरे राज़ोमानारिवो को धन्य घोषित कर कलीसिया में वेदी का सम्मान प्रदान किया था। 

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08 September 2019, 11:16