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बुधवारीय आमदर्शन में संत पापा बुधवारीय आमदर्शन में संत पापा  

ईश्वरीय कार्य सुचारू रूप से चलते हैं

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में पवित्र आत्मा द्वारा संचालित ईश्वरीय कार्य पर प्रकाश डाला जो हमें भयमुक्त बनाता है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, 18 सितम्बर 2019 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को प्रेरित चरित पर अपनी धर्मशिक्षा माला देने के पूर्व संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

हम प्रेरित चरित पर अपनी धर्मशिक्षा माला को जारी रखते हैं। यहूदी पेत्रुस और शिष्यों को येसु का नाम लेकर शिक्षा देने से मना करते हैं लेकिन पेत्रुस इस मनाही का साहसपूर्वक उत्तर देते हुए कहते हैं कि वे सुसमाचार प्रचार के संबंध में उनकी आज्ञाओं का पालन नहीं कर सकते हैं।

पवित्र आत्मा साहस का कारण

संत पापा ने कहा कि इस भांति शिष्य अपने को “विश्वास की आज्ञा” से प्रेरित पाते और उसका प्रचार वे दूसरों के बीच करते हैं।(रोमि.1.5) वास्तव में, पेंतेकोस्त के शुरू से वे अपने को “अकेले” नहीं पाते हैं। शिष्य अपने को पवित्र आत्मा की विशेष शक्ति से अभिभूत पाते हैं जो उन्हें इस बात को घोषित करने में मदद करता है कि वे “अकेले” नहीं हैं अपितु “पवित्र आत्मा उनके साथ हैं।” (प्रेरि.5.32) संत पापा ने कहा कि वे अपने में केन्द्रित नहीं हैं। पवित्र आत्मा से परिपूर्ण शिष्यगण किसी से भयभीत नहीं होते हैं। उनका साहस अपने में अद्वितीय था। लेकिन, यही शिष्यगण, सैनिकों द्वारा येसु को गिरफ्तार किये जाने पर डर के मारे, उन्हें छोड़कर भाग गये थे। “वहीं डरपोक शिष्य आज अपने में साहस से भरे थे, क्योंॽ क्योंकि पवित्र आत्मा उनके साथ था।” संत पापा ने कहा, “हमारे साथ भी यही होता है, यदि हमारे अंदर पवित्र आत्मा की उपस्थिति है, तो हम अपने जीवन में साहस के साथ आगे बढ़ते हैं, हम मुसीबतों में विजय होते हैं, अपनी शक्ति से नहीं वरन पवित्र आत्मा की शक्ति से जो हममें विद्यमान हैं।” शिष्य हमारे समय के शहीदों की भांति पुनर्जीवित प्रभु येसु ख्रीस्त का साक्ष्य देने हेतु अपने में पीछे नहीं हटते हैं। शहीदों ने अपनी ख्रीस्तीय पहचान को नहीं छुपाया। आज से कुछ साल पहले और आज भी बहुत से हैं, संत पापा ने कहा कि आज से चार साल पहले लीबिया के समुद्री तट पर कार्य करने वाले कोपिट आर्थोडॉक्स ख्रीस्तियों को मौत के घात उतार दिया गया। लेकिन उनके मुख से अंतिम वाक्य उच्चरित हुए, “येस, येसु।” उन्होंने अपने जीवन में विश्वास का सौदा नहीं किया क्योंकि पवित्र आत्मा उनके साथ था। वे वर्तमान के शहीद हैं। शिष्यगण पवित्र आत्मा के वे “मेगाफोन” हैं जिन्हें पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त बिना विचलित हुए अपने वचनों को प्रसारित करने और लोगों को मुक्ति का संदेश देने हेतु भेजते हैं।

विवेकी बनें

शिष्यों का यह विश्वास यहूदियों की “धार्मिक प्रणाली” को हिला कर रख देती है, वे भयभीत हो जाते और परिणाम स्वरुप हिंसा में उतर जाते और शिष्यों को जान से मार डालने की धमकी देते हैं। ख्रीस्तियों के विरूद्ध सतावट इसी तरह का होता है, वे लोग जो ख्रीस्तीयता को एक भय के रुप में देखते ख्रीस्तियों को मौत के घात उतार देते हैं। लेकिन सभा के बीच में, एक फरीसी की एक अलग आवाज सुनाई देती है जिसका नाम गमालिएल था, जो “संहिता का ज्ञाता और एक विवेकशील व्यक्ति था, जिसकी कद्र सभी लोग करते थे।” संत पौलुस उनके प्रशिक्षण केन्द्र में रहकर “पूर्वजों की संहिता का ज्ञान” हासिल किया था।(प्रेरि.22.3) गमालिएल इस मुद्दे को अपने हाथों में लेते हुए अपने भाइयों को विवेकशील बनने की शिक्षा देते हैं।

ईश्वर का कार्य सदा बना रहता है

वे इस बात को सुस्पष्ट करते हैं कि मानव के द्वारा शुरू किया गया कार्य अपनी समाप्ति को प्राप्त करता है वहीं ईश्वरीय विधान के अनुसार शुरू हुए कार्य अपने में सदैव बने रहते हैं। मानवीय परियोजना के अनुसार किये गये कार्य की एक अवधि होती है और उसका अंत हमारी तरह हो जाता है। इस संदर्भ में हम सभी देशों में बहुत की राजनीतिक परियोजनाओं पर विचार कर सकते हैं जो कई बार अपने में परिवर्तित होते हैं। संत पापा ने कहा कि हम बड़े साम्राज्यों, विगत सदियों के तानाशाहों के बारे में विचार कर सकते हैं। वे अपने में बहुत शक्तिशाली, विश्व पर राज्य करते थे, लेकिन उनका विनाश हो गया। हम वर्तमान समय की शासन प्रणाली के बारे में भी कह सकते हैं, यदि उसमें ईश्वर का साथ नहीं हैं तो उसका भी इति हो जायेगा, क्योंकि मानव की शक्ति अपने में अनंत नहीं है। उन्होंने कहा, “केवल ईश्वर की शक्ति अपने में अनंत है।” हम ख्रीस्तीयता के इतिहास को देखें, कलीसिया जो अपने में पापों से भरी है, जहाँ हम बहुत-सी बुराइयों को देखते हैं, पिछले दो सदियों में इतनी सारी बुराइयाँ हुई हैं फिर भी इसका विनाश क्यों नहीं हुआ हैॽ क्योंकि ईश्वर हमारे साथ हैं। संत पापा फ्रांसिस ने कहा, “हम सभी पापी हैं और बहुत बार हम अपने में बुराई करते हैं, लेकिन ईश्वर हमारे साथ हैं।” ईश्वर सर्वप्रथम हमारी रक्षा करते हैं, वे सदैव हमें अपनी सुरक्षा में रखते हैं। हमारे लिए हमारी शक्ति “ईश्वर का हमारे साथ” रहना है। गमालिएल अपनी बातों में इस वास्तविकता का साक्ष्य देते हैं। वे कहते हैं, “इस मामले के संबंध मैं आप लोगों से यह कहना चाहता हूँ कि आप इनके काम में दखल न दें और इन्हें अपनी राह चलने दें। यदि यह योजना या आन्दोलन मनुष्यों का है, तो यह अपने आप नष्ट हो जायेगा। परन्तु यदि यह ईश्वर का है तो आप इन्हें नहीं मिटा सकेंगे और ईश्वर के विरोधी प्रमाणित होंगे” (प्रेरि. 5. 38-39)। यह हमें विवेकी बनने की शिक्षा देती है।

पेड़ की पहचान फल से

ये हमारे लिए शांति औऱ दूर-दर्शिता के वचन हैं जो ख्रीस्तीय जीवन में घटने वाली घटनाओं को नई निगाहों से, “सुसमाचार के ज्ञान” में देखने हेतु मदद करती है, हम पेड़ को उसके फलों से  पहचाने हेतु बुलाये जाते हैं (मत्ती.7.16)। वे हमारे हृदय का स्पर्श करते और हममें प्रभावकारी फल उत्पन्न करते हैं। यहूदियों की सभा के कुछ लोग गमालिएल के वचनों को सुनते और चेलों को मार डालने के अपने विचारों का परित्याग करते हैं।

विवेक हेतु विनय

संत पापा ने कहा कि हम पवित्र आत्मा से निवेदन करें कि वे व्यक्तिगत और एक समुदाय के रुप में हमें विवेकशील बनने की कृपा प्रदान करें। वे हमें मुक्ति के इतिहास को एकता के रुप में देखने की कृपा दें क्योंकि समय औऱ मानव चेहरे में हम जीवित ईश्वर के संदेश को पाते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभों के संग हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। 

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18 September 2019, 16:46