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मठवासी धर्मबहनों से हाथ मिलाते हुए संत पापा मठवासी धर्मबहनों से हाथ मिलाते हुए संत पापा 

ईश्वर प्रेम के उदार कार्यों से प्रसन्न होते हैं, संत पापा फ्रँसिस

संत पापा फ्राँसिस ने अन्तानारिवो के कार्मेल मठ में मडागास्कर के विभिन्न दूसरे मठों से आयी एकांत मठवसियों के साथ मुलाकात की और उनके साथ दोपहर की प्रार्थना का पाठ किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सटी

अन्तानारिवो, शनिवार 7 सितम्बर 2019 (रेई): मडागास्कर की प्रेरितिक यात्रा के पहले दिन संत पापा फ्राँसिस ने अन्तानारिवो के कार्मेल मठ में करीब 100 एकांत मठवसियों के साथ मुलाकात की जो मडागास्कर के विभिन्न दूसरे मठों से आयी हुई थीं। संत पापा ने उनके साथ दोपहर की प्रार्थना का पाठ किया और उनहें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

 

उत्तम प्रेम

संत पापा फ्राँसिस ने तैयार लिखित संदेश को न पढ़कर तत्काल बोलना शुरु किया। संत पापा फ्राँसिस ने बालक येसु की छोटी संत तेरेसा के जीवन की एक कहानी से शुरुआत करते हुए कहा कि धर्मसंघी और धर्मबहनें इस पर चिंतन कर सकते हैं। एक मठ में संत तेरेसा एक बुजुर्ग धर्मबहन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में मदद करती है, उसे खानाकमरे में मदद करती है, बुजुर्ग धर्मबहन बात-बात पर अपनी नाराजगी दिखाती है और शिकायत करती है। परंतु संत तेरेसा मुस्कुराते हुए, शांति के साथ बुजुर्ग धर्मबहन की मदद करना जारी रखा। संत तेरेसा ने आज्ञाओं का पालन करते हुए येसु के लिए अपने उत्तम प्रेम को प्रकट किया। उदार कार्यों को करने के लिए हमारे हृदय में येसु और अपनी बहनों के लिए प्रेम होना चाहिए।

प्रेम के छोटे कार्य

संत पापा ने मठवासियों के सामान्य जीवन में आने वाली परीक्षा के बारे में ध्यान आकर्षित कराया जो वास्तव में प्रार्थना और बलिदान का जीवन जीने के लिए मठ में प्रवेश करती हैं, लेकिन इसे नजरअंदाज कर बड़े कार्य करने और मान सम्मान की ओर आकर्षित हो जाती हैं। संत पापा ने कहा कि "प्रेम के छोटे कार्य" और "विश्वास करने का साहस" के माध्यम से ईश्वर दुनिया को बचाते हैं। ईश्वर प्रेम के इन छोटे कार्यों से प्रसन्न हैं। संत पापा ने कहा कि दुनिया को बदलने या बेहतर बनाना, "उदारता के छोटे कार्यों के साथ" शुरू होता है और इन छोटे उदार कार्यों के द्वारा ईश्वर हमारे बीच में उपस्थित रहते हैं।

प्यार और प्रार्थना

संत पापा ने मठवासी जीवन के एक और पहलू पर ध्यान केंद्रित किया: प्रलोभन के खिलाफ दैनिक संघर्ष। संत पापा ने कहा कि धर्मबहनों को अपनी कठिनाइयों और अपने हृदय की बातों को अपनी दूसरी बहनों या सुपीरियर को बतानी चाहिए। दूसरों की मदद से सांसारिकता और भौतिकता से दूर रहा जा सकता है। मठ की बड़ी दीवारें सांसारिकता को रोक नहीं पाएगी। इसके लिए "प्यार और प्रार्थना" पर्याप्त हैं।

संत पापा ने कहा कि संत तेरेसा को अपनी गंभीर बीमारी के दौरान परीक्षा का सामना करना पड़ा था। उन्हें लगा कि उनका विश्वास खो गया है। उन्होंने तुरंत ही अपनी बहनों से अपने ऊपर और बिस्तर पर आशीष जल डालने को कहा जिससे वे इस परीक्षा पर विजय पा सकें। उसका अनुभव हमें दिखाता है कि प्रलोभन के खिलाफ लड़ाई और पवित्रता को बनाये रखने के लिए दैनिक संघर्ष का कोई अंत नहीं है।

संत पापा ने कहा,“संत तेरेसा आज भी बुजुर्ग व्यक्ति (खुद) का साथ देती है। वह मेरा साथ देती है। बहुत-सी बातें मैंने उनसे सीखा है।.... कभी-कभी में उनकी बातें सुनता हूँ और कभी-कभी नहीं सुनता हूँ। पर वह एक ईमानदार दोस्त है। इस वजह से ... मैं एक संत के अपने अनुभव को साझा करना चाहता था और आपको बताना चाहता था कि एक संत क्या करने में सक्षम है। वह संत बनने का रास्ता भी दिखाती है।"

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07 September 2019, 17:05