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लेच्चे के इम्मानुएल समुदाय से मुलाकात करते संत पापा लेच्चे के इम्मानुएल समुदाय से मुलाकात करते संत पापा 

संत पापा ने इम्मानुएल समुदाय से मुलाकात की

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 26 सितम्बर को लेच्चे के इम्मानुएल समुदाय से वाटिकन में मुलाकात की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 26 सितम्बर 2019 (रेई)˸ संत पापा ने उन्हें चालीस वर्षों तक लोगों का स्वागत करने, उनका साथ देने और उनके लिए कार्य करने हेतु धन्यवाद दिया और कहा कि वे यह शक्ति ईशवचन, आध्यातमिक साधना और भाईचारा से प्राप्त करते हैं जो कि महत्वपूर्ण है अन्यथा उनका समुदाय एक जनकल्याण संगठन बन कर रह जाएगा।

उन्होंने कहा, "आपके समुदाय की स्थापना ख्रीस्त जयन्ती के दिन हुई थी। यह विश्वास को सेवा में व्यक्त करता है। आपने इसे स्वागत के द्वारा शुरू किया है। कलीसिया के हर उदार कार्य की शुरूआत इसी तरह होती है। उन भाई बहनों के माध्यम से प्रभु हमारे द्वार खटखटाते हैं जो गरीब हैं, परित्यक्त अथवा गुलाम हैं...और आपने अपना द्वार खोला है, उन्हें उत्तर दिया है और अब भी उत्तर दे रहे हैं क्योंकि सबसे कठिन काम है अपने संकल्प में बने रहना, जहाँ से समुदाय का विकास हुआ है।"

ईश्वर का कार्य

संत पापा ने कहा, "मैं इस यात्रा के लिए ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ। वे स्वयं अपनी आत्मा से प्रेरित करते, चुनते और साथ देते हैं। अपने सामीप्य से मुफ्त में हमें प्रदान करते हैं। आप अपने जीवन से साक्ष्य दें कि सब कुछ उन्हीं से आता है और यह उनका दान है। यह आपको उस चेतना से प्रेरित करेगी कि कार्य मेरा नहीं बल्कि ईश्वर का है और आप कृतज्ञता, स्तुति और आनन्दमय भावना से भय जायेंगे।

40वाँ साल

संत पापा ने समुदाय के सदस्यों को सामुदायिक जीवन के 40वेँ साल की तैयारी हेतु प्रोत्साहन दिया तथा उन्हें दो रास्ते बतलाये, ख्रीस्त के साथ संयुक्त होने का रास्ता एवं कठिनाई में पड़े भाई बहनों के साथ होने का रास्ता।   

उन्होंने कहा कि इस रास्ते की ओर संकेत समुदाय के नाम से मिलता है, जिसका नाम है इम्मानुएल। ईश्वर हमें वह मार्ग दिखलाते हैं जो प्रेम हैं और हमारे साथ रहते हैं। वे विचारधारा नहीं हैं बल्कि जीवन हैं, येसु का जीवन। इम्मानुएल अर्थात् ईश्वर हमारे साथ हैं जिन्होंने पिता के प्रेम को हमारे लिए प्रकट किया और अंत तक हमारे मानव परिस्थिति का अनुभव किया। अतः संत पापा ने इम्मानुएल समुदाय से कहा-

- अपने आनन्द, आशा और साहस को खोने न दें।

- एक-दूसरे को चोट दिये बिना एक साथ रहें।

- निराशा एवं असफलता के बावजूद संबंध बनाये रखें।

- आनन्द के साथ काम करते रहें, चाहे आपको संघर्ष करना पड़े और आप थक जाएँ।

- बुलाहट और मिशन की आरम्भिक भावना में निष्ठावान बने रहें।  

एवंजेली गौदियुम

संत पापा ने समुदाय के सदस्यों तो धन्यवाद दिया जिन्होंने संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक प्रबोधन एवंजेली गौदियुम का गहराई से अध्ययन किया है। उन्होंने सलाह दी कि यह अध्ययन केवल अपने आप के लिए न हो बल्कि वे हमेशा कलीसिया के भाग के रूप में महसूस करें, जो एक यात्री है और दुनिया में भेजी गयी है।  

संत पापा ने अंत में, उन्हें धन्यवाद दिया तथा उनके लिए ईश्वर की आशीष एवं माता मरियम के संरक्षण की कामना की।

 

 

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26 September 2019, 16:34