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यूक्रेन की ग्रीक काथलिक कलीसिया की धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के स्थायी सदस्यों के साथ संत पापा यूक्रेन की ग्रीक काथलिक कलीसिया की धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के स्थायी सदस्यों के साथ संत पापा 

"मैं आपको अपने हृदय में रखता हूँ," यूक्रेन काथलिकों से संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 5 जुलाई को यूक्रेन की ग्रीक काथलिक कलीसिया की धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के स्थायी सदस्यों से मुलाकात की, जिन्होंने वाटिकन में अपनी दो दिवसीय सभा का शुभारम्भ किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 6 जुलाई 2019 (रेई)˸ यूक्रेन की ग्रीक काथलिक कलीसिया की धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के स्थायी सदस्यों को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने यूक्रेन की मुश्किल एवं जटिल परिस्थितियों को स्वीकारा, जिसने युद्ध के कारण अपने पूर्वी क्षेत्र में पाँच से भी अधिक सालों तक दुःख सहा है। उन्होंने कहा कि युद्ध की कीमत कमजोर एवं छोटे लोगों को ही चुकानी पड़ती है। संत पापा ने गौर किया कि प्रचार संबंधी मिथ्याकरणों और विभिन्न प्रकार के हेरफेर से, धार्मिक पहलू में शामिल होने के प्रयास में भी यह संघर्ष बढ़ा है।   

मैं आपको अपने हृदय में रखता हूँ

संत पापा ने यूक्रेन के ग्रीक धर्माध्यक्षों को प्रार्थना का आश्वासन देते हुए कहा, "मैं आप को अपने हृदय में रखता हूँ तथा यूक्रेन के भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करता हूँ।" उन्होंने कहा कि वे उन लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं जो युद्ध से प्रभावित हैं। वे उन्हें सांत्वना देते हैं जिन्होंने युद्ध में अपने प्रियजनों को खो दिया है, जो लोग युद्ध के घाव को अपने शरीर एवं मन में लेकर चल रहे हैं, जिन्हें अपना घर और काम छोड़ना एवं बेहतर भविष्य की तलाश में जोखिमों का सामना करना पड़ा है।    

संत पापा ने आश्वासन देते हुए कहा कि वे यूक्रेन के धर्माध्यक्षों एवं कलीसिया को धन्य कुँवारी मरियम को समर्पित करते हैं।

ख्रीस्तीय आशा का साक्ष्य

संघर्ष के कारण जटिल परिस्थिति के सामने संत पापा ने कहा कि कलीसिया की मुख्य भूमिका है ख्रीस्तीय आशा का साक्ष्य देना। इसके लिए उन्होंने कहा कि विश्वासियों को येसु के साथ संयुक्त रहना है जो हमारी आशा हैं। उन्होंने यूक्रेन के विश्वासियों को संतों के आदर्शों पर चलने हेतु प्रेरित किया, जिन्होंने इतिहास के हिंसक खेत में ख्रीस्त के क्रूस को रोपा और फल लाया। उन्होंने संसार के तर्क का बहिष्कार किया, जिसमें हिंसा का बदला हिंसा से दिया जाता है।  

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को प्रोत्साहन दिया कि उनकी प्राथमिकता प्रार्थना हो और वे अपने एवं अपने रेवड़ की आध्यात्मिकता की चिंता करें। "यही उनका पहला कर्तव्य है इससे बढ़कर कोई दूसरा कर्तव्य नहीं है।"

सामीप्य के मनोभाव को बढ़ावा

संत पापा ने उन्हें यह भी प्रोत्साहन दिया कि वे अपने लोगों के करीब रहें। "क्रूस बलिदान के पूर्व पुण्य बृह्पतिवार के दिन येसु ने अपने चेलों से यही कहा था। धर्माध्यक्षों का विश्वासियों के साथ करीबी एक नाला के समान है जिसका निर्माण हर दिन किया जाता है एवं जो आशा का जीवन जल लाता है।"   

सिनॉडालिटी

संत पापा ने प्रार्थना एवं सामीप्य में सिनॉडालिटी को जोड़ते हुए कहा कि यह उनकी प्रेरिताई की तीसरी विशेषता है। उन्होंने सिनॉडालिटी की तीन विशेषताओं को प्रस्तुत किया, सुनना, जिम्मेदारी को साझा करना एवं लोकधर्मियों की सहभागिता। उन्होंने कहा, "सिनॉडालिटी हमें वृहद क्षितीज की ओर लेता है, जिसमें हम कलीसिया की सर्वभौमिकता में अपनी ही परम्परा की समृद्धि को जीते हैं। इसके द्वारा कलीसिया में एकता फलप्रद होती, समझदारी बढ़ती तथा परमधर्मपीठ और स्थानीय कलीसिया के बीच सच्चा संबंध स्थापित होता है।       

संत पापा ने इस उम्मीद के साथ अपना वक्तव्य समाप्त किया कि उनकी सभा, साझा करने, एक-दूसरे को सुनने, स्वतंत्र संवाद करने और सुसमाचार के मनोभाव में अच्छाई की खोज करने के लिए अधिक अच्छा अवसर प्रदान करेगा। 

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06 July 2019, 13:20