खोज

संत पापा फ्रांसिस संत पापा फ्रांसिस 

नेता बुद्धिमान, न्यायप्रिय और दयालु बनें, संत पापा

आज का सुसमाचार पाठ छोटे दृष्टांतों को प्रस्तुत करता है जिनके द्वारा येसु अपने शिष्यों को बुद्धिमानी के साथ जीने का रास्ता दिखलाना चाहते हैं। सवाल करते हुए, ''क्या अन्धा अन्धे को राह दिखा सकता है?वे इस बात को रेखांकित करना चाहते हैं कि एक अगुआ अंधा नहीं हो सकता बल्कि उसे अच्छी तरह देख सकना चाहिए, अन्यथा वह उन लोगों को हानि पहुँचायेगा जो उनपर भरोसा रखते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 4 मार्च 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 3 मार्च को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयों एवं बहनो, सुप्रभात।

आज का सुसमाचार पाठ छोटे दृष्टांतों को प्रस्तुत करता है जिनके द्वारा येसु अपने शिष्यों को बुद्धिमानी के साथ जीने का रास्ता दिखलाना चाहते हैं। सवाल करते हुए, ''क्या अन्धा अन्धे को राह दिखा सकता है?"(लूक. 6, 39), वे इस बात को रेखांकित करना चाहते हैं कि एक अगुआ अंधा नहीं हो सकता बल्कि उसे अच्छी तरह देख सकना चाहिए, अन्यथा वह उन लोगों को हानि पहुँचायेगा जो उनपर भरोसा रखते हैं।

एक नेता का दृष्टिकोण स्पष्ट होना चाहिए

येसु उन लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं जिन्हें शिक्षा देने अथवा लोगों की अगुवाई करने की जिम्मेदारी है। आध्यात्मिक चरवाहे, जनता के नेता, विधि निर्माताओं, शिक्षकों और माता-पिताओं से येसु कहते हैं कि वे अपने जटिल कर्तव्यों को समझें तथा सही रास्ते का चुनाव करें ताकि वे लोगों को सही मार्ग पर आगे ले सकें।  

इस प्रकार येसु अपने आपको एक आदर्श शिक्षक एवं अगुवे के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहते हैं, "शिष्य गुरू से बड़ा नहीं होता। पूरी-पूरी शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह अपने गुरू-जैसा बन सकता है।" (पद.40) संत पापा ने कहा कि यह एक निमंत्रण है कि हम एक सच्चे एवं बुद्धिमान अगुआ बनने के लिए उनके उदाहरणों एवं उनकी शिक्षा पर चलें। इस शिक्षा को हम पर्वत प्रवचन में पाते हैं जिसे तीन रविवारों के सुसमाचार पाठों में दीनता, दया, विनम्रता तथा न्याय के मनोभावों के रूप में दर्शाया गया है।

विनम्रता एवं दया के मनोभाव को अपनाना आवश्यक

आज के इस पाठ में हम एक दूसरे महत्वपूर्ण मनोभाव को पाते हैं जो हमें अभिमानी एवं पाखंडी नहीं होने का निमंत्रण देता है। वे कहते हैं, ''जब तुम्हें अपनी ही आँख की धरन का पता नहीं, तो तुम अपने भाई की आँख का तिनका क्यों देखते हो?" (पद. 41).

संत पापा ने कहा, "कई बार, हम जानते हैं कि अपनी कमजोरियों को देखे बिना, दूसरों की गलतियों एवं कमजोरियों पर टिप्पणी करना आसान होता है। हम हमेशा अपनी कमजोरियों को छिपाने की कोशिश करते और अपने आपको भी छिपाते हैं जबकि दूसरों की कमजोरियों को आसानी से देख लेते हैं। यहाँ हम अपने आप के प्रति उदार जबकि दूसरों के लिए कठोर बनने के प्रलोभन में पड़ते हैं।"

दूसरों को बुद्धिमानी के साथ सलाह देकर मदद करना सहज है लेकिन जब हम अपने पड़ोसियों की कमजोरियों एवं अवगुणों को सुधारने की कोशिश करते हैं तब हमें जानना चाहिए कि हममें कौन-कौन सी कमजोरियाँ हैं। हम सभी में कमजोरियाँ हैं अतः दूसरों का न्याय करने से पहले हमें अपनी कमजोरियों के प्रति सचेत होना चाहिए। हमें अपने अंदर झांककर देखना चाहिए। इस तरह विनम्रता के साथ पेश आने के द्वारा हम उदारता का साक्ष्य दे सकते हैं।

व्यक्ति की पहचान  

हम कैसे समझें कि हमारी आँखें धरन रहित हैं अथवा तिनका द्वारा बाधित हैं? येसु फिर कहते हैं, ''कोई अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं देता और न कोई बुरा पेड़ अच्छा फल देता है। हर पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है। लोग न तो कँटीली झाड़ियों से अंजीर तोड़ते हैं और न ऊँटकटारों से अंगूर।"(पद. 43-44).

संत पापा ने कहा कि फल हमारे कर्म और वचन हैं। वचनों के द्वारा भी व्यक्ति के गुणों की पहचान की जा सकती है। "अच्छा मनुष्य अपने हृदय के अच्छे भण्डार से अच्छी चीजें निकालता है और जो बुरा है, वह अपने बुरे भण्डार से बुरी चीजें निकालता है; क्योंकि जो हृदय में भरा है, वही तो मुँह से बाहर आता है।" यह परिवार, स्कूल, कार्य क्षेत्र एवं पड़ोस को नष्ट कर सकता है। जीभों के द्वारा युद्ध की शुरूआत हो सकती है।

हम येसु की इस शिक्षा पर चिंतन करें और अपने आप से प्रश्न करें, "क्या मैं दूसरों के बारे बुरी बातें बोलता हूँ? क्या मैं हमेशा दूसरों की शिकायत करने की कोशिश करता हूँ? क्या मेरे लिए दूसरों की कमजोरियों को देखना बिलकुल आसान है? हम इसमें सुधार लाने की कोशिश करें क्योंकि इसी में सबकी भलाई है।"

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "हम माता मरियम से सहायता की याचना करें ताकि हम इस यात्रा में ख्रीस्त का अनुकरण कर सकें।"

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

04 March 2019, 13:32