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संत पापा फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना के दौरान गुब्बारा छोड़ते हुए संत पापा फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना के दौरान गुब्बारा छोड़ते हुए 

येसु के शिष्य विश्वास पर चलते हैं न कि चमत्कार, संत पापा

येसु अपने आपको एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करते हैं जिनपर प्रभु का आत्मा छाया रहता है, क्योंकि उनका अभिषेक किया है। वे भेजे गये हैं, जिससे वे दरिद्रों को सुसमाचार सुनाएँ, बन्दियों को मुक्ति का और अन्धों को दृष्टिदान का सन्देश दें, दलितों को स्वतन्त्र करें और प्रभु के अनुग्रह का वर्ष घोषित करें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 4 फरवरी 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 3 फरवरी को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

पिछले रविवार की धर्मविधि में नाजरेथ के सभागृह की घटना को प्रस्तुत की गयी थी जहाँ येसु नबी इसायस के ग्रंथ से एक पाठ पढ़ते और प्रकट करते हैं कि धर्मग्रंथ के ये शब्द आज उनमें पूरे हो गये है। येसु अपने आपको एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करते हैं जिनपर प्रभु का आत्मा छाया रहता है, क्योंकि उनका अभिषेक किया है। वे भेजे गये हैं, जिससे वे दरिद्रों को सुसमाचार सुनाएँ, बन्दियों को मुक्ति का और अन्धों को दृष्टिदान का सन्देश दें, दलितों को स्वतन्त्र करें और प्रभु के अनुग्रह का वर्ष घोषित करें। (लूक.4,18-19) आज का सुसमाचार पाठ इसी का अगला भाग है जो उनके शहर के लोगों के विस्मय को प्रकट करता है जो कहते हैं, कि क्या यह जोसेफ का बेटा नहीं है और अपने को ख्रीस्त, ईश्वर का प्रतिनिधि मानता है?

विश्वास न कि चमत्कार

येसु शीघ्र समझ गये कि लोग उनके बारे क्या सोच रहे हैं। लोग सोच रहे थे कि चूँकि येसु भी उन्हीं की तरह हैं अतः उन्हें नाजरेथ में कोई चमत्कार दिखा कर, इस अजीब बात को साबित करने की जरूरत है, जैसा कि उन्होंने पड़ोस के शहरों में किया था। किन्तु येसु ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया क्योंकि यह ईश्वर की योजना के अनुकूल नहीं था। ईश्वर विश्वास चाहते हैं जबकि लोग, चमत्कार और चिन्ह चाहते हैं। ईश्वर सबको बचाना चाहते हैं किन्तु लोग एक ऐसा मसीह चाहते हैं जिनसे उन्हें फायदा हो। इस तरह ईश्वर के तर्क को स्पष्ट करने के लिए येसु दो प्राचीन नबियों एलिजा और एलीशा का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं जिन्हें ईश्वर ने गैर यहूदियों को चंगा करने और बचाने के लिए भेजा था।

जब येसु ने नाजरेथ के लोगों को ईश्वर के मुफ्त वरदान एवं मुक्ति को ग्रहण करने हेतु हृदय खोलने का निमंत्रण दिया तब लोग उनके विरूद्ध हो गये और इतना आक्रामक हो गये कि उन्होंने उन्हें नगर से बाहर निकाल दिया। उनका नगर जिस पहाड़ी पर बसा था, वे ईसा को उसकी चोटी तक ले गये, ताकि उन्हें नीचे गिरा दें। (पद.29) जो लोग उनसे आश्चर्यचकित थे अब बदलकर आक्रमक और विद्रोही हो गये।

बहिष्कार एवं हार

सुसमाचार हमें बतलाता है कि येसु का सार्वजनिक मिशन बहिष्कार एवं मृत्यु की धमकी से शुरू हुआ और विडंबना यह थी कि इसमें उन्हीं के गाँव वाले शामिल थे। येसु जानते थे कि पिता द्वारा प्राप्त मिशन को पूरा करने के लिए उन्हें थकान, बहिष्कार, अत्यचार और हार का सामना करना पड़ेगा। किन्तु इस कड़े बहिष्कार ने येसु को निरूत्साहित नहीं किया और न ही नबी के रूप में उनके कार्य को रोक पाया। वे अपने रास्ते पर आगे बढ़ते रहे और उन्होंने पिता के प्रेम पर भरोसा रखा।

आधुनिक नबी

संत पापा ने कहा कि आज भी दुनिया प्रभु के शिष्यों में नबी के उसी गुण को देखना चाहती है, अर्थात् ख्रीस्तीय बुलाहट का प्रत्युत्तर देने में साहसी एवं दृढ़ व्यक्ति के रूप में। जो लोग पवित्र आत्मा की प्रेरणा को ग्रहण करते हैं, जिन्हें वह गरीबों एवं बहिष्कृत लोगों के बीच आशा और मुक्ति का संदेश देने भेजते हैं, वे विश्वास के तर्क को स्वीकार करते तथा चमत्कार की खोज किये बिना, सभी लोगों की सेवा में अपने को समर्पित करते हैं। संक्षेप में, जो लोग पिता ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करते हैं वे निष्ठापूर्वक उनका साक्ष्य देने के लिए समर्पित होते हैं।

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा कि आइये हम धन्य कुँवारी मरियम से प्रार्थना करें ताकि हम ईश्वर के राज्य के लिए उसी प्रेरितिक उत्साह से आगे बढ़ सकें एवं कार्य कर सकें जिस उत्साह से येसु मिशन के लिए प्रेरित थे।  

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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04 February 2019, 16:22