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देवदूत प्रार्थना करते पोप फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना करते पोप फ्राँसिस  

प्रभु प्रकाश महापर्व हमें येसु की नवीनता के लिए खोलता है

आज प्रभु प्रकाश का महापर्व है, येसु के प्रकट होने का पर्व जो प्रकाश के चिन्ह द्वारा प्रकट होते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 7 जनवरी 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 6 जनवरी को प्रभु प्रकाश महापर्व के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज प्रभु प्रकाश का महापर्व है, येसु के प्रकट होने का पर्व जो प्रकाश के चिन्ह द्वारा प्रकट होते हैं। नबियों की भविष्यवाणी में प्रकाश की प्रतिज्ञा की गयी थी। नबी इसायस ने येरूसालेम को इन शब्दों से सम्बोधित किया था, ''उठ कर प्रकाशमान हो जा! क्योंकि तेरी ज्योति आ रही है और प्रभु-ईश्वर की महिमा तुझ पर उदित हो रही है।" (इसा.60: 1)

बेतलेहेम के प्रकाश

नबी ने उठ जाने का निमंत्रण इसलिए दिया है क्योंकि ज्योति, विस्मयकारी रूप से लोगों के कठिन निर्वासन और उत्पीड़न के बाद आ रही थी। संत पापा ने कहा कि यह निमंत्रण आज हमें भी मिल रही है जिन्होंने येसु के जन्म का उत्सव मनाया है तथा प्रोत्साहन दे रहा है कि हम बेतलेहेम के प्रकाश के पास पहुँचें न कि बाह्य चिन्हों में अटक जाएँ, ताकि हम नवस्फूर्ति के साथ एक नई यात्रा की शुरूआत कर सकें।  

प्रकाश जिसके बारे नबी इसायस ने बतलाया था उसे हम सुसमाचार में पाते हैं। दाऊद के नगर बेतलेहेम में येसु का जन्म हुआ, जिन्होंने दूर और नजदीक सभी के लिए मुक्ति लाया। सुसमाचार लेखक मती अलग रास्ता दिखलाते हैं जिसपर चलकर व्यक्ति ख्रीस्त से मुलाकात कर सकता तथा उनकी उपस्थिति को महसूस कर सकता है। उदाहरण के लिए, हेरोद तथा येरूसालेम के सदूकियों का हृदय कठोर था जिन्होंने बालक का दर्शन करने से इंकार किया। यह तभी होता है जब हम प्रकाश से अपने को बंद कर लेते हैं। हमारे समय में यह उन लोगों को इंगित करता है जो येसु के आगमन से डरते हैं तथा भाई बहनों की आवश्यकताओं के सामने अपना हृदय बंद कर लेते हैं।

भय अथवा खुलापन

हेरोद को अपनी सत्ता खोने का भय था जिसके कारण वह लोगों की सच्ची भलाई नहीं, बल्कि अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की खोज की। फरीसी एवं जनता के नेता भयभीत थे क्योंकि वे अपनी निश्चितताओं के परे कुछ नहीं देख सकते थे जिसके कारण वे येसु से आने वाली नवीनता को स्वीकार नहीं कर सके।

दूसरी ओर ज्योतिषियों का अनुभव बिलकुल भिन्न था। पूर्व से आते हुए वे परम्परागत यहूदी विश्वास से परे सभी लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने मसीह के आगमन की सच्चाई को जानने के बाद तारा का अनुसरण करते हुए एक लम्बी और जोखिम भरी यात्रा तय की। ज्योतिषि येसु के समाचार के लिए खुले थे तथा उन्होंने इतिहास में सबसे महान एवं आश्चर्यजनक समाचार को प्राप्त किया।

धीरज एवं उदारता

उन्होंने येसु का दण्डवत किया तथा उन्हें प्रतीकात्मक उपहार सोना, लोबान एवं गंधरस भेंट किया क्योंकि प्रभु की खोज न केवल राह चलने के लिए धीरज की मांग करती बल्कि हृदय की उदारता की भी मांग करती है। अंत में ज्योतिषि अपने देश लौट गये। सुसमाचार बताता है कि वे दूसरे रास्ते से वापस लौटे।  

संत पापा ने कहा कि व्यक्ति जब कभी येसु से मुलाकात करता है उसके रास्ते बदल जाते हैं तथा वह दूसरे रास्ते से अपने जीवन में आगे बढ़ने लगता है। वह नया व्यक्ति बन जाता है। ज्योतिषि अपने देश लौटते हुए अपने साथ विनम्र एवं दीन राजा के रहस्य को साथ लेकर गये। हम कल्पना कर सकते हैं कि किस तरह उन्होंने आँखों देखा हाल लोगों को बतलाया। ईश्वर प्रदत्त मुक्ति सभी लोगों के लिए है चाहे वे लोग नजदीक हैं अथवा दूर में रहते हैं। उस बालक पर किसी का अधिकार नहीं हो सकता, वह सभी लोगों के लिए एक उपहार है।

संत पापा ने प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "आइये हम अपने हृदय में थोड़ी देर मौन रहे तथा येसु ख्रीस्त के प्रकाश से प्रकाशित हों जो बेतलेहेम से आता है। हम भय को अपने हृदय को बंद करने न दें किन्तु इस प्रकाश में अपने आपको खोलने का साहस करें। तभी हम ज्योतिषियों के समान उस महान आनन्द का अनुभव कर पायेंगे। माता मरिया हमें इस यात्रा में सहायता प्रदान करे।"

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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07 January 2019, 15:10