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क्रूस रास्ता के अंत में युवाओं को सम्बोधित करते संत पापा क्रूस रास्ता के अंत में युवाओं को सम्बोधित करते संत पापा 

माता मरियम की तरह क्रूस के नीचे खड़े हों, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने 25 जनवरी को पनामा के कम्पो संता मरिया ला अंतिग्वा में विश्वभर के युवाओं के साथ क्रूस रास्ता प्रार्थना में भाग लिया। क्रूस रास्ता के अंत में उन्होंने युवाओं से क्रूस के रास्ते पर चलने का आह्वान किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने कहा, "प्रभु, हे करुणामय पिता, इस समुद्र तट में विश्वभर के बहुत सारे युवाओं के साथ, हमने उसी तरह से आपके पुत्र के क्रूस रास्ता में भाग लिया है, जिस तरह से, वे हमें दिखाने के लिए चलना चाहते थे कि आप हमसे कितना प्यार करते हैं और आप हमारे जीवन की कितनी परवाह करते हैं।" 

क्रूस का रास्ता जारी है

कलवारी पहाड़ की ओर येसु का रास्ता एक दुःखभोग एवं एकाकी का रास्ता था जो हमारे समय में भी जारी है। वे उसपर चलते एवं उन सभी लोगों को सांत्वना प्रदान करते हैं जिन्हें समाज में आत्मसंतुष्टि एवं गंभीर उदासीनता के कारण दुःख झेलना पड़ता है जो हमारे भाई-बहनों के दुःखों को अनदेखा करता है। हमने भी उदासीनता और निष्क्रियता को पनाह दी। कई बार हमने भी भीड़ का साथ दिया है और जिसने हमें चेतनहीन बनाया है। हमने भाई बहनों की पीड़ा को नहीं देख पाया है। अनदेखा करने के लिए दूसरी ओर नजर फेरी है, नहीं सुनने के लिए शोरगुल में प्रवेश किया है तथा आवाज नहीं उठाने की इच्छा से अपना मुँह बंद कर लिया है। इसका प्रलोभन हमेशा बना रहता है। विजय और महिमा में मित्र बनना आसान है, लोकप्रिय व्यक्तियों एवं विजेताओं से दोस्ती करना सहज है। बदमाशी, उत्पीड़न और धमकी की संस्कृति को अपनाना भी आसान है किन्तु प्रभु ऐसा नहीं करते क्रूस पर उन्होंने उन सभी को स्वीकारा जो पीड़ित थे और जो भूला दिये गये थे।  

उन्होंने उन सभी को गले लगाया जिन्हें हम गले लगाने, अपना स्नेह एवं आशीर्वाद देने अथवा उससे भी बदतर कि हम उनकी अवश्यकताओं को महसूस ही नहीं कर पाते हैं।

युवाओं के साथ ऐसा न हो बल्कि वे हर परिस्थिति में क्रूस के रास्ते पर चलें ताकि यह पुनरूत्थान का रास्ता बन जाएँ।

संत पापा ने पिता से प्रार्थना करते हुए कहा कि पिता, आज आपके पुत्र के क्रूस का रास्ता जारी है उन बच्चों के मौन रूदन में जिन्हें जन्म लेने से रोक दिया जाता है तथा कई बच्चे अपने बचपन के अधिकार से वंचित हैं उन्हें परिवार, शिक्षा और खेल-कूद से वंचित रखा जाता है।

महिलाएँ जो दुर्व्यवहार, शोषण एवं परित्यक्त होने की शिकार हैं। वे अपनी प्रतिष्ठा से वंचित हैं तथा युवाओं की दृष्टि में बेकार समझी जाती हैं। शिक्षा एवं प्रतिष्ठित काम के अभाव में उनके भविष्य की आशा छिन गयी है। युवा चेहरों की पीड़ा जो बेईमान लोगों के निशान पर पड़ जाते हैं ऐसे लोग जो प्रभु की सेवा करने का दावा करते किन्तु शोषण, आपराधिक गतिविधि, और दुर्व्यवहार के जाल द्वारा अपने जीवन को पोषित करते हैं।

संत पापा ने कहा कि आपके पुत्र के क्रूस का रास्ता उन सभी युवाओं एवं परिवारों द्वारा जारी है जो ड्रग्स, शराब, वेश्यावृत्ति और मानव तस्करी के परिणामस्वरूप, न केवल भविष्य से वंचित होते, बल्कि मृत्यु के जाल में भी फंस जाते हैं। जब आपके कपड़ों को उतारा गया तो प्रभु आपकी प्रतिष्ठा को चूर-चूर किया गया और आपके साथ दुर्व्यवहार किया गया।       

आपके पुत्र के कूस का रास्ता उन युवाओं पर जारी है जिन्होंने सपने देखना तथा भविष्य का निर्माण करने की क्षमता को खो दिया।

यह उन लोगों के शांत और क्रोध से भरे दर्द में जारी है, जो समाज से जुड़े होने के बजाय, अस्वीकृति, दुःख और दर्द का सामना करते हैं तथा समाज की सभी बीमारियों के लिए जिम्मेदार ठहराये जाते हैं। यह परित्यक्त बुजुर्गों की निराशा के मौन में जारी है। यह आदिवासी लोगों में भी जारी है जो अपनी भूमि, मूल और संस्कृति से वंचित किये जाते तथा उनकी प्रज्ञा की अवहेलना की जाती एवं उन्हें शांत किया जाता है।

आपके पुत्र के क्रूस का रास्ता मातृभूमि की कराह में जारी है जो प्रदूषण के कारण पूरी तरह घायल है। यह एक ऐसे समाज में लंबे समय से जारी है जो दूसरों के रोने और दुःख व्यक्त करने से प्रभावित होने की क्षमता खो चुका है।       

येसु चलते रहते हैं, वे अपना क्रूस ढोते तथा उन सभी परिस्थितियों में दुःख उठाते हैं जबकि एक अनियंत्रित दुनिया अपनी ही मूर्खता के नाटक में फंस गई है।

प्रभु हमें क्या करना चाहिए?

येसु जब हमारे कई मित्रों अथवा अजनबियों के दुःख, पीड़ा एवं विस्थापन में दुःख उठाते हैं जिनको हमने प्रकट करने सीखा है तब हमें क्या करना चाहिए। क्या हम परित्यक्त, असहाय एवं पीड़ित गरीबों की मदद द्वारा प्रभु को सांत्वना देते हैं। 

क्या हम शांति निर्माता, सेतु का निर्माण करने तथा भाईचारे की खमीर बनने के द्वारा हम सीरिनी सिमोन के समान आपका बोढ़ हल्का कर सकते हैं।

मरियम के समान क्रूस के नीचे खड़े होना

क्या हम मरियम की तरह येसु के क्रूस के नीचे खड़े हो पाते हैं? आइये हम मरियम को देखें जो शक्ति की माता हैं। उनसे सीखें कि हमें क्रूस के नीचे किस तरह दृढ़ता और साहस के साथ खड़ा होना है। उन्होंने अपने पुत्र की पीड़ा में उनका साथ दिया, अपनी नजरों द्वारा उनका समर्थन किया तथा अपने हृदय में उन्हें सुरक्षित रखा। उन्होंने "हाँ" कहा जो हमारा समर्थन करतीं, साथ देती और सुरक्षा प्रदान करतीं हैं और सभी का आलिंगन करती हैं। इस प्रकार वे आशा की महान संरक्षिका हैं।

हम भी एक ऐसी कलीसिया बनना चाहते हैं जो साथ और समर्थन देती है और जो कह सकती है, "मैं उपस्थित हूँ," उन लोगों के साथ और उनके जीवन में जो हमारे साथ चलते हैं।

मरियम के द्वारा हम उन अनेक माता-पिताओं एवं दादा-दादी को धीरज और दृढ़ता के साथ "हाँ" कहना सीखती हैं जो अपने बच्चों का साथ देना कभी नहीं छोड़ते।

माता मरियम में हम उन लोगों को "हाँ" कहने की शक्ति प्राप्त करते हैं, जिन्होंने दुर्व्यवहार, शोषण, असमानता और आक्रामकता की संस्कृति के सामने चुप रहने से इंकार किया है तथा सुरक्षा का वातावरण तैयार करने के लिए काम करते हैं।   

मरियम में हम उन लोगों का स्वागत करना सीखते हैं जो परित्यक्त हैं तथा अपनी भूमि, मूल, परिवार एवं कार्यों को खो दिया है।

मरियम के समान हम कलीसिया बनना चाहते हैं जो उस संस्कृति को बढ़ावा देती है जिसमें स्वागत, सुरक्षा, प्रोत्साहन एवं एकीकरण है जो समाज के लिए एक खतरे के रूप में, हर आप्रवासी की संवेदनाहीन और गैरजिम्मेदार टिप्पणी में भाग नहीं लेती।

उनके द्वारा हम क्रूस के नीचे खड़े होना सीखते हैं बंद हृदय के साथ नहीं किन्तु उस हृदय के साथ जो साथ दे सके, कोमलता एवं भक्ति को महसूस कर सके, जो दूसरों के साथ दया का वर्ताव करे और उनका सम्मान करे। हम स्मृति की कलीसिया बनना चाहते हैं जो वयोवृद्धों की सराहना करता और उन्हें सम्मान देता है तथा उन्हें उनका सही स्थान प्रदान करता है।

मरियम से हम सीखते हैं कि खड़े होने का अर्थ क्या है। प्रभु हमें सिखला कि हम सभी प्रकार के क्रूस के नीचे खड़े हो सकें। इस रात्रि में हमारी आँखों एवं हृदयों को खोल दे, चेतनहीनता, अनिश्चितता, भय और हताशा से हमें बचा।

हमें यह कहना सिखला कि हम मरियम और उनके पुत्र तथा उनके सभी शिष्यों के साथ खड़े हो सकें जो आपके राज्य को अपने हृदय में लाना चाहते हैं।

                                   

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26 January 2019, 15:00