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सन्त पापा फ्राँसिस आमदर्शन समारोह के समय सन्त पापा फ्राँसिस आमदर्शन समारोह के समय  

निर्धनता, तकनीकी प्रभुत्व, स्वतंत्रता पर ख़तरा, सन्त पापा

सन्त पापा फ्राँसिस ने, गुरुवार, 22 नवम्बर को एक विडियो सन्देश जारी कर ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को आमंत्रित किया है कि वे यथार्थ स्वतंत्रता में आनेवाली बाधाओं को दूर करने के लिये काम करें। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं, निपट निर्धनता, तकनीकी प्रभुत्व एवं व्यक्ति को उपभोक्ता मात्र समझना।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वेरोना, शुक्रवार, 23 नवम्बर 2018, (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने, गुरुवार, 22 नवम्बर को एक विडियो सन्देश जारी कर ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को आमंत्रित किया है कि वे यथार्थ स्वतंत्रता में आनेवाली बाधाओं को दूर करने के लिये काम करें . उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं, निपट निर्धनता, तकनीकी प्रभुत्व एवं व्यक्ति को उपभोक्ता मात्र समझना.

धर्मशिक्षा पर सम्मेलन वेरोना में

काथलिक कलीसिया की सामाजिक धर्मशिक्षा पर इटली के वेरोना शहर में 22 से 25 नवम्बर तक जारी आठवें सम्मेलन के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने गुरुवार को एक विडियो सन्देश प्रेषित किया.  

स्वतंत्रता पर बने ख़तरे शीर्षक से आयोजित सम्मेलन को प्रेषित सन्देश में सन्त पापा ने कहा, "ईसाईयों के रूप में, हमें चौकस और सतर्क रहने के लिए बुलाया जाता है ताकि हम 'स्वतंत्रता पर बने जोखिम' तथा उसके उच्चतम और सबसे अधिक मांग करनेवाले वाले अर्थ को न खो दे. "उन्होंने कहा," जोखिम का अर्थ है उसमें शामिल होना. "

सन्त पापा ने कहा कि स्वतंत्रता के के से महिलाओं एवं पुरुषों को वंचित करनेवाली कोई भी बाधा को दूर करने के लिये ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को मिलकर काम करना चाहिये.

निर्धनता, अन्याय और अपव्यय का फल

निपट निर्धनता, तकनीकी प्रभुत्व तथा व्यक्ति को उपभोक्ता बना देनेवाली संस्कृति को स्वतंत्रता पर बना महान ख़तरा निरूपित कर सन्त पापा ने कहा कि निर्धनता, अन्याय और अपव्यय से उत्पन्न होती है तथा लोगों को "बचे हुए" के रूप में देखती है. इसी तरह, जब तकनीकी का विकास उपयुक्त मूल्यों, अन्तःकरण और जिम्मेदारियों के साथ नहीं किया जाता तब वह स्वतंत्रता पर ख़तरा बन जाती है.

उन्होंने कहा कि उपभोक्तावादी संस्कृति भी मानव स्वतंत्रता का हनन करती है क्योंकि वह व्यक्ति को, मानव प्रतिष्ठा रहित, एक उपभोक्ता मानने लगती है. प्रतिभागियों को सन्त पापा ने आमंत्रित किया कि मानव स्वतंत्रता को बरकरार रखने का वे प्रयास करें क्योंकि स्वतंत्रता ही शक्ति एवं आशा का स्रोत है.

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23 November 2018, 11:07