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संत मार्था में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस संत मार्था में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

संत पापा द्वारा वित्तीय कठिनाइयों में पड़े लोगों हेतु प्रार्थना

संत पापा ने पवित्र मिस्सा में कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक संकट का सामना कर रहे परिवारों को विशेष याद कर उनके लिए प्रार्थना की। संत पापा ने विश्वास, दृढ़ता और साहस के साथ प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 23 मार्च 2020 (वाटिकन न्यूज) : सोमवार 23 मार्च को वाटिकन के संत मार्था प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र मिस्सा के शुरु में उन लोगों के लिए प्रार्थना की जो कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, जिसने कई कार्य गतिविधियों को अवरुद्ध कर दिया है। संत पापा ने कहा, “हम आज उन लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं जो महामारी के कारण वित्तीय समस्याओं को महसूस करने लगे हैं, क्योंकि वे काम नहीं कर सकते हैं जिसका असर उनके परिवारों पर पड़ रहा है।"

संत पापा ने संत योहन के सुसमाचार पाठ 4: 43-54 पर चिंतन किया, जहाँ राजा के अधिकारी द्वारा अपने पुत्र के स्वास्थ्य लाभ के लिए येसु से अर्जी करने और येसु द्वारा चंगा किये जाने की चर्चा की गई है।

एक अधिकारी ने येसु से अपने बेटे के लिए यह कहते हुए प्रार्थना की कि वह चलकर उसके पुत्र को चंगा कर दे, क्योंकि वह मरने-मरने को था। ईसा ने उससे कहा, ʺआप लोग चिन्ह तथा चमत्कार देखे बिना विश्वास नहीं करेंगे। इसपर अधिकारी ने कहा, महोदय कृपया चलिए, ʺकहीं मेरा बेटा मर न जाये।ʺ ईसा ने उत्तर दिया, "जाइए, आपका पुत्र अच्छा हो गया है।"

प्रार्थना में विश्वास

संत पापा ने कहा, कि सच्ची प्रार्थना करने के लिए तीन चीजें आवश्यक हैंः पहला है विश्वास। अगर आपको कोई विश्वास नहीं है और आप बार-बार प्रार्थना करते हैं तो इस तरह की प्रार्थना सिर्फ मौखिक है यह दिल से नहीं आती। संत पापा ने उस पिता का उदाहरण दिया जिसका बेटा अपदूत ग्रस्त था। ईसा ने इससे पूछा क्या आप विश्वास करते हैं, क्योंकि उसके लिए सबकुछ संभव है जो विश्वास करता है। इसपर उसने कहा, "मुझे विश्वास है, परंतु मेरे विश्वास को बढ़ाएं।" संत पापा ने कहा, "हमें विश्वास के साथ प्रार्थना करनी चाहिए। जब हम गिरजाघर में प्रवेश करते हैं, पवित्र संदूक के सामने सिर झुकाते हैं तो यह एक आदत मात्र नहीं होनी चाहिए। हमें विश्वास के साथ प्रभु के सामने अपने को प्रस्तुत करनी चाहिए और विश्वास करते हुए प्रार्थना करनी चाहिए।"

प्रार्थना में धीरज

संत पापा ने कहा, "सच्ची प्रार्थना का दूसरा शर्त है धीरज।" हमें प्रभु के पास धीरज के साथ प्रार्थना करनी चाहिए। संत पापा ने उस महाशय का उदाहरण दिया जिसने रात को अतिथि आने पर आधी रात को रोटी मांगने के लिए अपने पड़ोसी के दरवाजा को तबतक दस्तक दिया जबतक कि उसका पड़ोसी उठकर उसे रोटी न दिया। संत पापा ने कहा कि हमें गंभीरता के साथ प्रार्थना करनी चाहिए और धीरज के साथ प्रभु के जवाब का इन्तजार करनी चाहिए। "अगर हम हृदय से नहीं पर मौखिक प्रार्थना करते हैं तो हम यह भी भूल जाते हैं कि हमने प्रभु से क्या दुआ की है तो यह तोते की तरह रटी रटायी प्रार्थना होगी और इससे अधिक कुछ नहीं ...। यदि आपको विश्वास है कि प्रभु आपको वह देगा जो आप मांगते हैं और अगर प्रभु आपको प्रतीक्षा कराता है, तो आप बारंबार दस्तक दें, अंत में प्रभु आपको अनुग्रह देगा।"  

प्रार्थना में साहस

तीसरी बात जो ईश्वर प्रार्थना में चाहिए वह है साहस। संत पापा ने अब्राहम का उदाहरण देते हुए कहा कि अब्राहम का साहस सोदोम के उद्धार हेतु ईश्वर से बातचीत में देखने को मिलती है। अब्राहम ने कहा कि अगर शहर में 30 धर्मी मिलें तो क्या वह शहर को नष्ट नहीं करेगा? अब्राहम ने धर्मियों की संख्या घटा कर 25, 20... करते हुए ईश्वर के साथ बड़े साहस के साथ प्रार्थना की। उसी तरह मूसा ने भी अपने लोगों के हित के लिए ईश्वर से बड़े धीरज और साहस के साथ प्रार्थना की थी। संत पापा ने कहा कि हमें न सिर्फ प्ररितिक कार्यों को करने के लिए साहस की आवश्यकता है परंतु प्रभु के सामने उपस्थित होकर प्रार्थना करने के लिए भी साहस की आवश्यकता है।

अपने प्रवचन को अंत करते हुए संत पापा ने कहा इन दिनों हमें पूरे विश्वास, दृढ़ता और साहस के साथ प्रार्थना करने की आवश्यकता है। हम इस विश्वास के साथ प्रार्थना करें कि प्रभु हमारी प्रार्थना को जरुर सुनेंगे और हमें कभी निराश नहीं करेंगे। हम धीरज के साथ प्रभु के उत्तर की प्रतीक्षा करें।

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23 March 2020, 14:52
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