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संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा  (Vatican Media)

दुनियादारी की ओर भटकने से सावधान रहें, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 13 फरवरी को, वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित किया, जहाँ उन्होंने अनजाने ही अपने धर्म से भटक जाने के खिलाफ चेतावनी दी।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 13 फरवरी 2020 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने प्रवचन में राजाओं के पहले ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जिसमें सुलेमान अपने बुढ़ापे में प्रभु से विमुख हो जाता और धर्म का त्याग करता है। (1 राजा 11:4-13) "जब सुलेमान बूढ़ा हो गया, तो उसकी पत्नियों ने उस से अन्य देवताओं की उपासना करवायी। वह अपने पिता दाऊद की तरह प्रभु के प्रति पूर्ण रूप से ईमानदार नहीं रहा।"

धर्म के धीरे-धीरे भटकना

संत पापा ने कहा कि सुलेमान ने एक अच्छे लड़के की तरह शुरूआत की थी। उसने प्रभु से प्रज्ञा मांगा था और उसे प्राप्त भी किया था। न्यायकर्ता एवं अफ्रीका से शेबा की रानी उन्हें उपहार भेंट करने आये थे क्योंकि उन्होंने उनकी प्रज्ञा के बारे सुना था।  

उन्होंने कहा कि उस समय एक से अधिक पत्नियों को रखना संभव था फिर भी इसका मतलब यह नहीं था कि उसे व्यभिचारी होने का लाइसेंस प्राप्त था। सुलेमान का हृदय कमजोर हो गया था इसलिए नहीं कि उसने कई महिलाओं से विवाह की थी बल्कि इसलिए कि वे अलग-अलग धर्मों की थीं और दूसरे देवी-देवताओं की पूजा करती थीं। वह इस जाल में फंस गया कि अपनी पत्नियों के देवी-देवताओं की पूजा करने के लिए तैयार हो गया और एक मूर्तिपूजक बन गया।  

संत पापा ने कहा, "वह एक ही दिन में अपने धर्म का त्याग नहीं किया बल्कि धीरे-धीरे उस ओर बढ़ता गया। राजा सुलेमान ने सिर्फ एक बार पाप नहीं की किन्तु पाप में पूरी तरह गिर गया।" "महिलाओं ने उनके हृदय को भटकाया और प्रभु ने उसे फटकारा, "तुमने यह काम किया- तुमने मेरे विधान और मेरे दिये आदेशों का पालन नहीं किया।"

संत पापा ने कहा कि ऐसा हमारे जीवन में भी होता है। हममें से कोई भी अपराधी न हो। दाऊद के समान कोई भी बड़ा पाप न किया हो, तो खतरा किस बात की है? उन्होंने कहा कि खतरा इसमें है कि धीरे-धीरे अपने आपको पाप में गिरने देना क्योंकि हम सावधान नहीं होते। हमें पता भी नहीं चलता और धीरे से हम उसमें गिर जाते हैं। इस तरह ईश्वर के प्रति हमारी निष्ठा खो जाती है। वे महिलाएँ दूसरे धर्मों की थीं उनके अपने देवी देवता थे। उसी तरह हम भी बहुत बार धन, अभिमान और सत्ता के पीछे चलकर भटक जाते एवं अपने प्रभु को भूल जाते हैं। यह धीरे-धीरे होता है और ईश्वर की कृपा के अभाव में हम पूरी तरह गिर जाते हैं।

दुनियादारी से सावधान

संत पापा ने स्तोत्र 106 की याद की तथा इस बात को रेखांकित किया कि राष्ट्रों के साथ मिलने–जुलने एवं उनके देवी देवताओं की पूजा करने का अर्थ है दुनियावी एवं गैर ख्रीस्तीय बनना।  

संत पापा ने कहा, "जीवन में इस तरह का पतन सीधे दुनियादारी से जुड़ा है। जो एक गंभीर पाप है।" हम सोचते हैं कि हर कोई इसी तरह करता है इसलिए चिंता करने की बात नहीं है... इस तरह हम ईश्वर के प्रति निष्ठा खोकर अपने आपको उनके सामने न्यायसंगत ठहराने की कोशिश करते हैं। संत पापा ने कहा कि ये आधुनिक पाप हैं। हम दुनियादारी, सुसमाचार की सच्चाई, ईश्वर के वचन की सच्चाई को खोने के इस पाप तथा ईश्वर के प्रेम जिन्होंने हमारे लिए अपना जीवन दिया, इसपर चिंतन करें। हम ईश्वर और शैतान दोनों के साथ अच्छा संबंध बनाये नहीं रख सकते।  

ईश्वर का प्रेम हमें बचाता है

संत पापा ने प्रवचन के अंत में विश्वासियों को निमंत्रण दिया कि हम प्रभु से कृपा की याचना करें ताकि जब हमारा हृदय उनसे दूर भटकने लगे तब हम उसे रोक सकें।

 

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13 February 2020, 16:08
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