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संत मर्था प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा संत मर्था प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा  (Vatican Media)

अपनी गलतियों को स्वीकारें, दूसरों को दोष न दें, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत मर्था प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के दौरान कहा कि येसु की मुक्ति कोई सौंदर्य प्रसाधन नहीं है किन्तु यह परिवर्तन लाती है। इसको पाने के लिए व्यक्ति को अपने पापों को स्वीकार करने की आवश्यकता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 6 सितम्बर 2018 (रेई)˸ संत पापा ने कहा, "हमें अपने आपको पापी स्वीकार करना चाहिए, अपनी गलतियों को स्वीकार किये बिना हम ख्रीस्तीय जीवन नहीं जी सकते।" संत पापा फ्राँसिस ने खीस्तयाग के दौरान संत लूकस रचित सुसमाचार (लूक. 5,1-11) से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु पेत्रुस को नाव पर सवार होने तथा उपदेश के बाद जाल डालने का निमंत्रण देते हैं जिसके फलस्वरूप बहुत अधिक मच्छलियाँ फंस जाती हैं।  

संत पापा ने कहा, यह घटना, येसु के पुनरूत्थान के बाद की उस घटना का स्मरण दिलाती है जब उन्होंने शिष्यों से पूछा था कि क्या तुम्हारे पास खाने के लिए कुछ है। इन दोनों ही अवसरों पर पेत्रुस की नियुक्ति हुई थी, पहली बार, मनुष्यों के मच्छवारे के रूप में तथा दूसरी बार एक चरवाहे के रूप में। इसके बाद येसु ने उनके नाम में परिवर्तन किया और उन्हें सिमोन से पेत्रुस कहा। पेत्रुस को मालूम था कि नाम परिवर्तन करने का अर्थ मिशन में परिवर्तन था, इसलिए उन्होंने गर्व महसूस किया क्योंकि वे येसु से सचमुच प्रेम करते थे और यह नामकरण उनके जीवन में एक कदम आगे बढ़ने का प्रतीक था।  

पहला कदम-अपने आपको पापी स्वीकार करना

बहुत अधिक मछलियों के फंस जाने पर जाल फटने को हो गया, जिसे देखकर, सिमोन ने येसु के चरणों पर गिरकर कहा, ''प्रभु! मेरे पास से चले जाइए। मैं तो पापी मनुष्य हूँ।'' संत पापा ने कहा कि शिष्यत्व के रास्ते पर यह पेत्रुस का पहला निर्णायक कदम था जिन्होंने अपने को पापी स्वीकारा।" यदि हम आध्यात्मिक जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमारे लिए भी यही पहला कदम है कि हम अपने आपको पापी स्वीकार करें क्योंकि अपनी गलतियों को स्वीकार किये बिना हम खीस्तीय जीवन के रास्ते पर नहीं चल सकते।

येसु की मुक्ति श्रृंगार प्रसाधन नहीं

संत पापा ने कहा कि यहाँ एक खतरा है। हम जानते हैं कि हम सब पापी हैं किन्तु यह आसान नहीं है कि हम अपने आपको पापी स्वीकार कर सकें। हम आसानी से कह देते हैं कि हम पापी हैं किन्तु उसी सहजता से यह भी कह देते हैं कि हम मानव हैं। संत पापा ने कहा कि अपने आपको पापी स्वीकार करने के लिए, हम प्रभु के सामने अपनी कमजोरियों को महसूस करें। उसके लिए लज्जा अनुभव करें जिसको शब्दों से नहीं बल्कि हृदय से किया जाता है। यह एक ठोस अनुभव है पेत्रुस के समान जिसने येसु से कहा था, "प्रभु मुझसे दूर चले, जाइये मैं पापी हूँ।" उसने पहले लज्जा महसूस किया फिर बाद में बचाये जाने का। जो मुक्ति येसु प्रदान करते हैं उसे प्राप्त करने के लिए हमें उदारतापूर्वक अपने पापों को स्वीकार करने की आवश्यकता है क्योंकि यह कोई सौंदर्य प्रसाधन नहीं है जो हमारे चेहरे पर थोड़ा बदलाव लाये बल्कि यह हमारे अंदर प्रवेश कर हमें पूरी तरह बदल देता है जिसको पापस्वीकार द्वारा प्राप्त किया जा सकता है तब हम पेत्रुस की तरह विस्मय का अनुभव करेंगे।

दूसरों की शिकायत न करें

संत पापा ने कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो दूसरों की शिकायत किये बिना नहीं रह सकते, वे दूसरों को दोष देते और अपने बारे कभी नहीं सोचते हैं। वे जब पापस्वीकार संस्कार में जाते हैं तो तोते की तरह बोल देते, किन्तु क्या उनका हृदय उन गलत कामों के लिए उदास होता है, जिनको उन्होंने किया है? कई बार हम भी ऐसा ही करते और श्रृंगार प्रसाधन की तरह मेकअप करके चले जाते हैं। संत पापा ने कहा कि ऐसा करने से हमारे हृदय का पूर्ण परिवर्तन नहीं होता क्योंकि हमने अपनी गलतियों को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया।

सच्चा पापस्वीकार कर पाने के लिए कृपा आवश्यक

अतः सबसे पहला कदम है कृपा प्राप्त करना जिसके द्वारा हर कोई अपने को पापी स्वीकार कर सके न कि दूसरों को दोष दे। व्यक्ति की अज्ञानता इससे परखी जाती है कि एक ख्रीस्तीय आपकी गलती स्वीकार करने के बदले दूसरों को दोष देने का आदि हो जाता है। यह एक बुरा चिन्ह है।

संत पापा ने प्रार्थना करने की सलाह देते हुए कहा कि हम प्रभु से कृपा की याचना करें ताकि हम प्रभु के चमत्कारों को देख सकें और उनमें उनकी उपस्थिति का एहसास करते हुए अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकें तथा पेत्रुस के समान कह सकें, प्रभु मेरे पास से चले जाइये क्योंकि मैं पापी हूँ।

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06 September 2018, 16:27
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